Efforts Of Kailash Vijayvargiya: कीर्तिमानी पौधारोपण से इंदौर का हरियाला दौर

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Efforts Of Kailash Vijayvargiya: कीर्तिमानी पौधारोपण से इंदौर का हरियाला दौर

रमण रावल

यूं तो कैलाश विजयवर्गीय मध्यप्रदेश के साथ ही देश की राजनीति में भी अपनी विशिष्ट पहचान कायम कर चुके हैं, लेकिेन हाल के वर्षों में वे धार्मिक,सामाजिक व पर्यावरण चेतना जगाने के अपने संकल्पों की वजह से नये रूप में सक्रिय हुए हैं। इंदौर में 14 जुलाई 2024 को एक दिन में 12.41 लाख पौधारोपण कर गिनीज बुक में कीर्तमान दर्ज करवा चुके हैं और पूरे अभियान में 51 लाख पौधे रोपे गये थे। इसे उन्होंने राजनीतिक हवाबाजी की तरह नहीं लिया और निरंतर इस प्रकल्प की देखरेख करते रहे। सुखद आश्चर्य यह है कि उनमें से ज्यादातर पौधे जीवित हैं और एक बंजर पहाड़ी को हरीतिमा की ओर ले जा रहे हैं।

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विजयवर्गीय की एक खूबी यह है कि वे जिस काम का बीड़ा उठाते हैं, उसे सकुशल अंजाम तक भी पहुंचाते हैं। वे इंदौर के पहले सीधे निर्वाचित महापौर(1999) भी रहे हैं। तभी उन्होंने संकल्प लिया कि हातोद मा्र्ग पर स्थित लगभग बंजर देवधरम टेकरी को पितृ पर्वत के रूप में विकसित करेंगे। इसमें शहरवासियों से आव्हान किया कि वे अपने पुरखों की याद में पौधे रौपें। आज वहा करीब एक लाख पौधे विशाल वृक्ष बनकर लहलहा रहे हैं,जिसने उस क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने में मदद की। इसी पितृ पर्वत पर 71 फीट ऊंची,108 टन वजनी हनुमानजी की बैठी मुद्रा में प्रतिमा स्थापना का संकल्प लिया कि जब तक प्रतिमा स्थापना नहीं हो जाती, वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। करीब सत्रह साल तक उन्होंने मोरधन,फल व दूध के सहारे व्यतीत किये। 2 मार्च 2020 को प्रतिमा स्थापना के साथ ही संकल्प पूर्ति के बाद अन्न का उपयोग प्रारंभ किया।

इस तरह के क्रियाकलाप उन्हें हठयोगी बनाते हैं। हनुमानजी की प्राण प्रतिष्ठा के निमित्त ही करीब 10 लाख लोगों को भोजन प्रसाद वितरित कर एक और पराक्रम किया गया, जो संभवत समूची दुनिया में इतने विशाल रूप में कहीं नहीं हुआ होगा।

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इन्हीं कैलाश विजयवर्गीय को मार्च-अप्रैल 2024 में यह लगा कि इंदौर में बेतहाशा गर्मी बढ़ती जा रही है, जिसका मुख्य कारण पेड़-पौधों का निर्ममता से कटना और नये रोपण नगण्य होना है। तभी उन्होंने फिर एक संकल्प लिया कि वे 14 जुलाई को शहर के अलग-अलग हिस्सों में 51 लाख पौधे लगायेंगे और इनकी देखरेख भी करेंगे। इसके बाद पूरे इंदौर में यह एक बड़े जन अभियान की तरह चला। जिसमें अधिकतम जन भागीदारी का सिलसिला भी चलाया गया। विभिन्न सामाजिक संगठन,शिक्षण संस्थायें,व्यापारिक संगठन से लेकर तो नागरिकों तक ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। फिर दुनिया ने देखा कि एक ही दिन में 12.41 लाख पौधे रेवती रेंज की पहाड़ी पर लगा दिये गये। जिसके साक्षी बने देश के गृह मंत्री अमित शाह।

इस पहाड़ी पर स्थायी जल संकट है। ऐसे में पौधों के लिये सबसे जरूरी पानी की उपलब्धता बड़ी चुनौती रही। वहां 10 बोरवेल खोदे गये, लेकिन थोड़े समय बाद ही उसमें से 9 सूख गये। तब टैंकरों के जरिये वहां पानी लाया जा रहा है। तीन तालाब बनाये गये। दर्जनों माली व सेवक इस काम में लगे रहते हैं। कैलाश विजयवर्गीय उनसे जीवित संपर्क बनाये रखते हैं और हफ्ते-पंद्रह दिनों में वहां जाकर समूचे क्षेत्र में घूमकर पौधों की स्थिति देखते हैं।

इसी तरह वे जब भी शहर में होते हैं, तब आवश्यक सार्वजनिक व शासकीय कामों के बाद सीधे रूख करते हैं पितृ पर्वत का। वहां बाबा हनुमान की सेवा के बाद पौधों की देखरेख उनकी दिनचर्या में शामिल रहता है। वे शहर में चल रहे मेट्रो के काम की भी नियमित समीक्षा करते हैं, जो कि उनके विभाग से जुड़ा मामला भी है। यहां भी उन्होंने शहर हितों की चिंता के तहत शहर के बीच जमीन के अंदर से जाने वाले भाग की फिर से समीक्षा के आदेश दिये।

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ये सारे मामले दर्शाते हैं कि कैलाश विजयवर्गीय के लिये राजनीति से ज्यादा नहीं तो किसी भी तरह से कम भी नहीं है सामाजिक कार्य,शहर हित व पर्यावरण संरक्षण। इसके लिये वे कोई समझौता नहीं करते। साथ ही इस वर्ष भी वर्षाकाल प्रारंभ होने पर 11 लाख पौधे लगाने का भी उनका इरादा है ही। राजनीतिक व्यक्ति यदि स्वयं को समाज हित से जोड़ ले तो उसकी छवि भी जनता के बीच अधिक सम्मानजनक हो जाती है। पितृ पर्वत पर करीब एक लाख और रेवती रेंज की पहाड़ी पर 12.41 लाख पौधों का लहलहाना यह बताता है कि एक व्यक्ति इरादा कर ले तो कठिन या असंभव दिखने वाला काम किया जा सकता है। ऐसा हुआ भी, जब इस अभियान से शहर का कमोबेश हर वर्ग जुड़ा और 51 लाख पौधे लगा दिये।

हैरत नहीं, जब आज की पीढ़ी 20 वर्ष बाद जवान होगी, तब हवाई मार्ग से इंदौर एक सघन वन क्षेत्र नजर आयेगा। इससे आंखों को जो सुकून मिलेगा, वह तो निराला होगा ही, साथ ही वातावरण में जो वनस्पतियों की विविध महक तैरेगी, जो फूलों के पराग कण उड़-उड़ कर इंदौर की आबोहवा में शामिल होंगे,जब शहर के आसमान पर विविध रंगी पक्षी उड़ान भरेंगे,चहचहायेंगे,जब दुनिया के दूर देश से शीतल बसेरे की तलाश में प्रवासी पक्षी आकर इंदौर में कुछ समय ठहरेंगे, तब उस समय का संपन्न,विकसित,व्यवस्थित, सुपर से ऊपर शहर इंदौर उसे गर्व,संतोष और आत्म सम्मान से भर देगा। तब इंदौर पारिस्थितकीय संतुलन में अग्रणी,कार्बन मुक्त,सुगमतापूर्वक,आनंदमयी जीवन यापन करने वाला भारत का अत्याधुनिक अग्रणी शहर होगा।