Told ED the Limits of Law : सुप्रीम कोर्ट की दो-टू, ‘ईडी कानून के दायरे में रहे, बदमाश की तरह न काम करे!’

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Told ED the Limits of Law : सुप्रीम कोर्ट की दो-टू, ‘ईडी कानून के दायरे में रहे, बदमाश की तरह न काम करे!’

‘मीडियावाला’ के स्टेट हेड विक्रम सेन की समीक्षा

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कड़े शब्दों में याद दिलाया कि जांच एजेंसी की कार्रवाई हमेशा कानून के दायरे में होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि आप बदमाश की तरह काम नहीं कर सकते, इससे ईडी की छवि को नुकसान पहुंचता है।

पीएमएलए शक्तियों पर पुनर्विचार सुनवाई
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ जुलाई 2022 के उस फैसले पर दायर समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में ईडी की गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की शक्तियों को बरकरार रखा गया था।
केंद्र और ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कहा कि समीक्षा याचिकाएं महज पुराने फैसले के खिलाफ छिपी अपीलें हैं और विचारणीय नहीं हैं। उन्होंने तर्क दिया कि कई ‘प्रभावशाली आरोपी’ कानूनी प्रक्रिया का उपयोग जांच में देरी के लिए करते हैं, जिससे अधिकारियों का समय अदालत में व्यर्थ होता है।

कम दोषसिद्धि दर पर चिंता
जस्टिस भुइयां ने ईडी की दोषसिद्धि दर 10% से भी कम होने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पांच-छह साल जेल में बिताने के बाद अगर लोग बरी हो जाते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? यह व्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है।’
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पिछले पांच वर्षों में लगभग 5,000 प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज हुई हैं, परंतु दोषसिद्धि का प्रतिशत बेहद कम है।

ईडी का बचाव और चुनौतियां
ईडी के वकीलों ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में कई बार आरोपी विदेश भाग जाते हैं, जैसे केमैन द्वीप या अन्य टैक्स हेवन, जहां से उन्हें वापस लाना कठिन हो जाता है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक अलग मामले में अदालत को बताया कि एजेंसी ने अब तक मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी करीब ₹23,000 करोड़ की बरामद राशि पीड़ितों को लौटाई है, जो वित्तीय अपराध पीड़ितों को राहत देने की बड़ी उपलब्धि है।

भूषण पावर केस की पृष्ठभूमि
पीएमएलए से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) केस का भी जिक्र किया। दो मई को आए विवादास्पद फैसले में कंपनी के परिसमापन का आदेश दिया गया था, लेकिन 31 जुलाई को चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने वह फैसला वापस ले लिया और पुनः सुनवाई का फैसला किया।

संतुलित संकेत : सुधार और सख्ती दोनों ज़रूरी
सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि वित्तीय अपराधों से निपटने में ईडी की भूमिका अहम है, लेकिन उसकी कार्रवाई पारदर्शी, साक्ष्य-आधारित और कानून के अनुरूप होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एजेंसी की साख और न्यायिक विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए जांच प्रक्रिया में सुधार आवश्यक है। अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी।