Closeness with Digvijay-Scindia : हाथ पकड़कर मंच पर ले जाने पर दिग्विजय का सिंधिया के प्रति स्नेह बरसा बोले ‘ज्योति मेरे बेटे जैसे!’

दिग्विजयसिंह ने कहा 'निजी कांग्रेस मंच पर नहीं बैठने की कसम कायम!'

508

Closeness with Digvijay-Scindia : हाथ पकड़कर मंच पर ले जाने पर दिग्विजय का सिंधिया के प्रति स्नेह बरसा बोले ‘ज्योति मेरे बेटे जैसे!’

Bhopal : केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मंच तक ले जाने का वीडियो सामने आने के बाद सियासी हलकों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया। इसे लेकर विपक्ष और सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। अब दिग्विजय सिंह ने खुद इस मामले पर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा ‘मैंने कांग्रेस के मंच पर नहीं बैठने की बात कही थी।

जबकि, वह कार्यक्रम निजी था। वहां भी मैं नीचे ही बैठा था, लेकिन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सिंधिया आए और मुझे मंच पर ले गए। ज्योतिरादित्य मेरे पुत्र समान हैं।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस की विचारधारा और मंच के प्रति उनकी प्रतिबद्धता कायम है, और यह घटना केवल एक औपचारिकता थी।

इस बीच, भाजपा नेताओं ने इसे ‘राजनीतिक सद्भाव’ का उदाहरण बताया, तो कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने इसे व्यक्तिगत रिश्तों और राजनीतिक मतभेदों को अलग रखने का संकेत माना। गौरतलब है कि दोनों नेताओं के रिश्तों में उतार-चढ़ाव के बावजूद पारिवारिक निकटता बनी रही है। इससे पहले भी कई अवसरों पर दिग्विजय ने सिंधिया परिवार के प्रति सम्मान व्यक्त किया है, वहीं सिंधिया भी उन्हें ‘दिग्गी अंकल’ कहकर संबोधित करते रहे हैं।

क्या हुआ था जो ये बात चली

दो दिन पहले भोपाल में एक मंच पर वे सिंधिया के साथ नजर आए थे। इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस बात की ज्यादा चर्चा हो रही है। मैंने हमेशा से हमारे जितने भी लोग हैं, चाहे किसी भी पार्टी के हों, सिंधिया जी तो पुत्र के समान हैं, माधवराव जी के साथ काम किया है। भोपाल में हुए एक निजी कार्यक्रम में मैं मंच पर नहीं था। ज्योतिरादित्य आए और मुझे मंच पर ले गए। अब नई बात चालू कर दी कि दिग्विजय सिंह मंच पर नहीं बैठेंगे।

कांग्रेस में मंच पर बैठने पर विवाद

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने कहा था कि कांग्रेस के मंच पर इसलिए नहीं बैठना चाहता कि वहां पर विवाद शुरू हो जाता है कि कौन बैठेगा और कौन नहीं? इसलिए मैं कार्यकर्ताओं के साथ बैठ जाता हूं। राहुल गांधी जब कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे, तो मंच पर कोई नहीं बैठा था, वे स्वयं नीचे बैठे थे। जिसको भाषण देना होता था, वह मंच पर जाता था। पहले भी यही होता था। मध्य भारत के जमाने में भी यही होता था। मंच पर जिला अध्यक्ष और मुख्य अतिथि बैठते थे। विधायक सांसद नीचे बैठते थे। मंच पर बैठना कांग्रेस की परंपरा नहीं है।