Political Stir in MP : फिर मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट और निगम-मंडलों में नियुक्ति की हलचल!

मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा के बाद कुछ की छुट्टी होने के आसार है, निगम-मंडलों में नियुक्तियों की भी कवायद हो चुकी!

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Political Stir in MP : फिर मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट और निगम-मंडलों में नियुक्ति की हलचल!

Bhopal : विधानसभा के मानसून सत्र के बाद प्रदेश की भाजपा राजनीति में कई बदलाव की संभावना दिखाई दे रही है। इनमें सबसे प्रबल है मंत्रिमंडल में फेरबदल और निगम-मंडलों में नियुक्तियां। हालात और हलचल बता रही है कि इस दिशा में जल्दी ही कोई बड़ा फैसला होने वाला है। इस संभावना का अंकुरण दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मुलाकात के बाद हुआ।

मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार के आसार बढ़ने की स्थितियां अनुकूल भी है। मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और संगठन महामंत्री हितानंद की पिछली दिल्ली यात्रा ने निगम मंडल, प्राधिकरण और आयोगों के दावेदारों की सक्रियता बढ़ा दी। प्रदेश कार्यकारिणी में पदाधिकारी बनने की आस पाले नेताओं की भी बेचैनी बढ़ गई। संभावना जताई जा रही है कि इस महीने के अंत तक प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही निगम-मंडलों में नियुक्ति हो सकती है। प्रदेश में मोहन यादव सरकार को डेढ़ साल से ज्यादा समय होने जा रहा है, लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुई।

इंतजार कर रहे कई विधायकों को मंत्रिमंडल विस्तार का भी इंतजार है। पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, जयंत मलैया, हरिशंकर खटीक, बृजेंद्र प्रताप सिंह को अपना नंबर आने के आसार नजर आ रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि क्षेत्रीय संतुलन साधने के हिसाब कुछ पूर्व मंत्रियों को फिर मौका दिया जा सकता है। कांग्रेस से भाजपा में आए छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से विधायक कमलेश शाह भी प्रतीक्षारत हैं। रामनिवास रावत के चुनाव हारकर मंत्रिमंडल से बाहर होने के बाद मोहन यादव कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 31 मंत्री हैं। नियम के अनुसार 35 मंत्री हो सकते हैं। मंत्री बनने के लिए पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, बृजेंद्र प्रताप सिंह सहित अन्य पूर्व मंत्री सत्ता और संगठन में अपने संपर्कों के माध्यम से कोशिश में लगे हैं।

संभावना जताई जा रही है कि रिक्त स्थानों की पूर्ति मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा से हो सकती है। कुछ मंत्रियों को खराब प्रदर्शन के आधार पर विश्राम भी दिया जा सकता है। उधर, राजनीतिक नियुक्तियां भी की जाएंगी। इसे लेकर संगठन स्तर पर कई बार चर्चा भी हो चुकी है। इसमें कुछ पूर्व विधायकों को समायोजित भी किया जाएगा। अभी इनके पास कोई काम नहीं है।

दिल्ली के मध्यप्रदेश भवन में इसी संदर्भ में मध्यप्रदेश भाजपा संसदीय दल की बैठक भी हुई। इसमें मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश समेत प्रदेश से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने हिस्सा लिया। मप्र भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल अब प्रदेश में अपनी नई टीम बनाएंगे। इसके लिए समर्पित कार्यकर्ताओं की सूची बनाई जा रही है। प्रदेश कार्यकारिणी समिति से सांसद और विधायक बाहर होंगे। प्रदेश कार्यकारिणी में बड़ी संख्या में नए चेहरों को शामिल किया जाएगा। लेकिन, ये कयास कब आकार लेंगे, अभी इसका इंतजार है।