BJP का निर्देश: सांसद 6-7 सितंबर को दिल्ली में रहें, NDA आज उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करेगा

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BJP का निर्देश: सांसद 6-7 सितंबर को दिल्ली में रहें, NDA आज उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करेगा

पूरी तैयारी, रणनीति और चुनाव प्रक्रिया पर विस्तार से रिपोर्ट

राजेश जयंत की खास रिपोर्ट 

नई दिल्ली: करीब एक महीने बाद होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव (9 सितंबर) को लेकर सियासी हलकों में पूरी तैयारी चरम पर है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) 12 अगस्त को अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर सकता है। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सभी सांसदों को 6 और 7 सितंबर को दिल्ली में रहने और सक्रिय रहने का निर्देश जारी कर दिया है ताकि वे चुनाव में पार्टी के समर्थन में एकजुट रहें।

***बड़े नेताओं को मिली जिम्मेदारी:

7 अगस्त को NDA के शीर्ष नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को उम्मीदवार चयन की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजिजू समेत अन्य गठबंधन के प्रतिनिधि मौजूद थे।

***उम्मीदवार की घोषणा कब?

सूत्रों के मुताबिक आज, 12 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष नड्डा उपराष्ट्रपति पद के लिए NDA के उम्मीदवार का ऐलान कर सकते हैं। माना जा रहा है कि उम्मीदवार का नाम अप्रत्याशित भी हो सकता है, जैसा अक्सर BJP और NDA की रणनीतियां रही हैं।

***चुनाव की रूपरेखा:

उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होना है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य वोट करेंगे। NDA के पास दोनों सदनों में स्पष्ट बहुमत है, जिससे उसके उम्मीदवार के जीतने की संभावना काफ़ी मजबूत मानी जा रही है। इस चुनाव में विपक्षी दलों की तुलना में NDA की पकड़ मजबूत है।

***उपराष्ट्रपति पद की राजनीतिक अहमियत:

भारत के उपराष्ट्रपति न केवल राष्ट्र के द्वितीय सर्वोच्च संवैधानिक पद पर होते हैं, बल्कि वे स्वतः ही राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। इसलिए इस पद का राजनीतिक महत्व उच्चतम स्तर का होता है। उपराष्ट्रपति का प्रभावकारी होना सरकार के सदन संचालन और राजनीतिक संतुलन पर भी असर डालता है।

***सांसदों को क्यों मिला निर्देश.?

बीजेपी द्वारा सांसदों को दिल्ली में रहने का निर्देश इसलिए दिया गया है ताकि वे चुनाव के दिन सक्रिय रूप से मतदान में भाग लें और गठबंधन की पूरी ताकत मतदान में झोंक सकें। सांसदों की मौजूदगी से रणनीतिक फैसले जल्दी लिए जा सकेंगे और किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित स्थिति में समन्वय स्थापित रहेगा।

***हाल के प्रगति संकेत:

– NDA विधायी सक्रियता भी तेज़ कर रहा है, हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में सांसदों के लिए 184 नए बहुमंज़िला फ्लैट का उद्घाटन किया है, जिससे सांसदों को बेहतर आवासीय सुविधा मिलेगी।
– सरकार द्वारा संसद की कार्यवाही में पूर्ण समर्थन सुनिश्चित करने के लिए कई बार whip (सख्त निर्देश) जारी किए जाते रहे हैं, जैसे कि बजट पारित करने और विशेष सत्रों में सांसदों की अनिवार्य उपस्थिति के लिए।
– उपराष्ट्रपति चुनाव में भी इसी रणनीति का पालन किया जा रहा है ताकि मिस्ड वोट की संभावना न हो।

***विपक्ष और अन्य दल:

विपक्ष की तरफ से फिलहाल उपराष्ट्रपति पद के लिए कोई खासी लड़ाई की उम्मीद कम दिख रही है, NDA के फैसले को व्यापक समर्थन मिला है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल अपने अंदाज में उम्मीदवार उतार सकते हैं, पर जीत की संभावना कम ही दिखाई दे रही है।

***आगे का रोडमैप:

– 12 अगस्त को उम्मीदवार का ऐलान।
– 21 अगस्त तक नामांकन की अंतिम तारीख।
– 22 अगस्त तक नाम वापसी की अंतिम तारीख।
– 9 सितंबर को चुनाव।

इस पूरी प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं, क्योंकि उपराष्ट्रपति की भूमिका राज्यसभा की कार्यवाही एवं देश के संवैधानिक संतुलन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होती है।

***संभावित उम्मीदवार:

– गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत
– कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत
– बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
– जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा
– दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना
– बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सत्यनारायण जटिया

NDA ने अंतिम फैसला प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंप रखा है। 12 अगस्त को उम्मीदवार की घोषणा होने की संभावना है।

***मतदान प्रक्रिया:

– चुनाव 9 सितंबर 2025 को होगा।
– उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सांसद करते हैं, कुल 788 सदस्य (543 लोकसभा + 245 राज्यसभा)।
– मतदान गुप्त मतपत्र द्वारा होता है।
– चुनाव में “प्रो-रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम” लागू होता है जहां सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में वोट देते हैं।
– सबसे अधिक वैध प्रथम पसंद के वोट पाने वाला उम्मीदवार उपराष्ट्रपति निर्वाचित होता है।
– चुनाव आयोग पूरी प्रक्रिया की निगरानी करता है और मतदान संसद भवन परिसर में होता है।

***उपराष्ट्रपति पद का महत्व:

– उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है।
– वे राज्यसभा के सभापति भी होते हैं।
– राष्ट्रपति के अस्थायी अनुपस्थित या रिक्ति की स्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्य भी संभालते हैं।