जस्टिस यशवंत वर्मा की महाभियोग प्रक्रिया शुरू, संसद में जांच के लिए बनी 3 सदस्यीय समिति

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जस्टिस यशवंत वर्मा की महाभियोग प्रक्रिया शुरू, संसद में जांच के लिए बनी 3 सदस्यीय समिति

नई दिल्ली: लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 146 सांसदों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की जांच करेगी। समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव, और कर्नाटक हाई कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट बी.वी. आचार्य शामिल हैं।

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महाभियोग प्रस्ताव की पृष्ठभूमि

मार्च 2025 में जस्टिस वर्मा के दिल्ली आवास में लगी आग के दौरान बड़े पैमाने पर 500 रुपये के जले हुए नोट मिलने का विवाद शुरू हुआ। आरोप हैं कि जज ने इस मामले में विश्वसनीय सफाई नहीं दी। इसके बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने तीन सदस्यों की आंतरिक समिति बनाई, जिसने जांच कर जस्टिस वर्मा के खिलाफ अनुशासनहीनता की सिफारिश की।

सुप्रीम कोर्ट और न्यायिक प्रक्रिया

जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में आंतरिक जांच प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी, लेकिन 7 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने पुष्टि की कि आंतरिक समिति की रिपोर्ट और CJI की सिफारिश मान्य है।

महाभियोग का संसद में अर्थ

महाभियोग संविधान के अनुच्छेद 124(4), 217, और 218 के तहत संसद द्वारा सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज को हटाने की संवैधानिक प्रक्रिया है। इसके लिए लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के समर्थन से प्रस्ताव लाना होता है। इसके बाद जांच समिति गठित होती है जो रिपोर्ट संसद को देती है।

वर्तमान स्थिति और आगे का कदम-

स्पीकर ने कहा है कि समिति अपनी रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करेगी। रिपोर्ट आने तक प्रस्ताव रुका रहेगा। राजनीतिक दलों ने व्यापक समर्थन दिया है, जिसमें बीजेपी, कांग्रेस, TDP, JDU, और अन्य विपक्षी दल शामिल हैं।

यह मामला भारत में जजों की जवाबदेही और स्वतंत्र न्यायपालिका की संवेदनशील अनूठी चुनौती बन गया है। संसद और न्यायपालिका दोनों की प्रक्रियाएं पारदर्शिता के साथ जारी हैं, जो देश के संवैधानिक नियमों का सम्मान करती हैं।