मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमने 22 माह में एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए किसानों के खाते में डालने का चमत्कार किया है। यह किसानों की सरकार है, किसानों के कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। प्रदेश में सिंचाई की योजनाओं का जाल बिछा कर प्रदेश के हर सूखे खेत में फसल लहलहाने के लिए राज्य सरकार निरंतर कार्यरत है।
किसानों के खाते में खरीफ 2020 और रबी 2020-21 की 49 लाख दावों में 7618 करोड़ रुपए की राशि का सिंगल क्लिक से अंतरित करने का काम शनिवार को शिवराज ने बैतूल में आयोजित कार्यक्रम में करते हुए यह दावा किया है। राज्य स्तरीय फसल क्षति दावा राशि वितरण की यह राशि किसानों को राहत तो देगी ही, हालांकि नुकसान के अनुपात में यह सौगात कहां ठहरती है यह अलग बात है। पर यह साफ है कि मध्यप्रदेश के किसानों को शिवराज के मुख्यमंत्री बनने का असर तो दिख रहा होगा।
अगर केंद्र में मोदी-तोमर और प्रदेश में शिव-कमल न होते तो शायद यह चमत्कार संभव न हो पाता। जैसा कि अक्सर केंद्र और प्रदेश में अलग-अलग दल की सरकार होने का खामियाजा प्रदेश की जनता को भी उठाना पड़ता है। और जिस तरह पंद्रह महीने की कांग्रेस सरकार में नाथ की आवाज भी बयां करती थी। जब प्रदेश में शिव और केंद्र में मनमोहन थे, तब शिव की वेदना भी सामने आ ही जाती थी।
शिव ने 22 महीने का पूरा हिसाब भी दिया और नाथ सरकार के समय किसानों की उपेक्षा का ब्यौरा भी किसानों के बीच परोसा। बताया कि पिछले 22 महीनों में एक लाख 64 हजार 737 करोड़ रुपए किसानों के खातों में डाले गए हैं। इसमें यदि आज जारी हुई राशि को जोड़ दिया जाए तो किसानों के खातों में एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए जारी किए गए।
नाथ सरकार को घेरा कि किसानों का केवल 6000 करोड़ का ऋण माफ किया था। इसमें से भी आधे की जिम्मेदारी बैंकों और सोसाइटी पर डाल दी गई थी, परिणाम स्वरूप किसानों का ऋण माफ ही नहीं हुआ था। पूर्व की सरकार ने बीमा कंपनियों को प्रीमियम की राशि नहीं दी थी।
परिणामस्वरूप किसानों को बीमा की राशि नहीं मिल पाई। पूर्व की सरकारों ने फसल खराब होने पर सर्वे तक नहीं कराया, जबकि वर्तमान में राज्य सरकार ने केवल बैतूल जिले में ही एक लाख 28 हजार 474 किसानों को 306 करोड़ 78 लाख रुपए से अधिक राशि प्रधानमंत्री बीमा योजना में उपलब्ध कराई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में देश में सबसे बड़ी 7618 करोड़ रूपये की सहायता राशि का वितरण सिंगल क्लिक से होना एतिहासिक है। तो 49 लाख किसानों को राहत की सौगात के लिए शिवराज को शुक्रिया कहा जा सकता है। मोदी-तोमर और कमल-शिवराज किसानों के चेहरों पर खुशियां लाने की कवायद करते रहें।
पर इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि खेती जब तक लाभ का धंधा नहीं बन जाती, तब तक राहत की बड़ी से बड़ी राशि भी किसान के नुकसान की तुलना में ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित होती रहेगी। ऐसे में देश-प्रदेश उस दिन के इंतजार में हैं कि खेती लाभ का धंधा बने और किसानों की आय दोगुनी हो सके ताकि देश के अन्नदाता का चेहरा हमेशा मुस्कराता रहे।
खेती में ड्रोन की भी एंट्री हो, नर्मदा के दोनों तरफ पांच किलोमीटर क्षेत्र जैविक खेती का गढ़ बने, केन-बेतवा लिंक खुशियां बिखेरे और सिंचाई का रकबा लगातार बढ़ता रहे। पथरीली जमीन पर सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए सरकार प्रोत्साहन दे-मदद करे।किसान सफल उद्यमी भी बने। और स्वर्णिम आर्थिक काल करोड़ों किसानों के भाल को गौरव से भर दे।