World Photography Day: खूबसूरत चेहरे अब भी चाहते हैं कि वो उनकी फ़ोटो ले,उदार फ़ोटोग्राफ़र उन्हें निराश भी नहीं करते।
मुकेश नेमा
वल्ड फ़ोटोग्राफ़ी डे है आज। एक ज़माना था जब फ़ोटोग्राफ़ी और फ़ोटोग्राफ़रों की वाक़ई कद्र होती थी। आदमी गले में कैमरा भर लटका ले ,लोग उसकी इज़्ज़त करने लग जाते थे। कैमरे आते थे निकान और कोडक के। महँगे होते थे ये। सब ख़रीद सकते नहीं थे। जो इक्का दुक्का ख़रीद लेते थे वो ज़माने भर को दिखाते और इतराते फिरते थे। आम तौर पर ये साज सज्जा की वस्तु थे। ख़ास मौक़ों पर ही इस्तेमाल होता था उनका। ऐसे में शादियों में खिंचने वाली फ़ोटो के भरोसे ही होती थी पब्लिक। शादियों में आदमी तैयार ही इस डर के मारे होता था कि वहाँ फ़ोटो खिंच सकती है। इतराती लड़कियाँ भाव खाती थीं। सजी सजाई औरतें मंडराती थी खूसट फ़ोटोग्राफ़र के इर्द गिर्द। फ़ोटो खिंचवाने के शौक़ीन ,फ़ोटोग्राफ़र से पहचान निकाल कर दुआ सलाम भी ठोक देते थे पर अब फ़ोटोग्राफ़रो की वैसी पूछताछ रह नहीं गई है।
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मोबाइल फोन अब बाते करने से ज़्यादा फ़ोटो खींचने की चीज़। पिछले आठ दस सालों में अनगिनत फ़ोटोग्राफ़र पैदा हुए हिंदुस्तान में ,इतने हुए कि माँग से ज़्यादा आपूर्ति हो गई।पहले फ़ोटोग्राफ़र घटी दरों पर उपलब्ध हुए ,फिर टके सेर मिलने लगे।एक पर एक फ़्री का ज़माना भी आया फिर बिल्कुल मुफ़्त हो गये।बेरोज़गार व्यस्त हुए और पुराने फ़ोटोग्राफ़र बेरोज़गार हो गये।अब हालात से है कि फ़ोटो खींचने वाले वालों की भीड़ है।गिड़गिड़ाते फिरते हैं कि एकाध तो खिंचवा लें हमसे।इतना कॉम्पिटिशन है इस फ़ील्ड में कि फ़ोटोग्राफ़र से नदी और पहाड़ भी मुँह चुराने लगे है।फ़ोटो खिंचवाने वाला भाव खाता है अब ।उसके लिये यह तय करना मुश्किल है कि किस फ़ोटोग्राफ़र को बेहतर माने।किसे चुने।
मंहगे कैमरे अब भी मिलते हैं। पर वो आमतौर पर शेर चीतों और डिस्कवरी वालों के ही काम आते हैं। लोग फ़ोटो खिंचवाने के लिये किसी दूसरे फ़ोटोग्राफ़र के भरोसे भी नहीं है अब। हर दूसरा बंदा चोंच निकाले सेल्फ़ी में पुच्च पुच्च करता दिखता है।पर ऐसे बुरे वक़्त के बावजूद अब भी कुछ ऐसे फ़ोटोग्राफ़र बचे हैं जिनके पास इज़्ज़त है ,शोहरत है और भगवान का दिया सब कुछ है।खूबसूरत चेहरे अब भी चाहते हैं कि वो उनकी फ़ोटो ले ,और ऐसा जब भी होता है उदार फ़ोटोग्राफ़र उन्हें निराश भी नहीं करते। मेरा ख़याल है कि आप समझदार है और जानते है कि मैं अपनी ही बात कर रहा हूँ।
मुकेश नेमा




