
‘मोहन’ को ‘शुभंकर मुख्यमंत्री’ साबित करते ‘क्रिटिकल मिनरल्स’…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित मध्य प्रदेश की नौ करोड़ आबादी के लिए गौरव की बात है। मध्य प्रदेश शांति का प्रदेश है, समृद्धि का प्रदेश है और अब पूरी दुनिया में भारत को शिखर पर ले जाने वाला प्रदेश बनने जा रहा है। मध्य प्रदेश में मिले क्रिटिकल मिनरल्स अब पूरी दुनिया में भारत का परचम फहराएंगे। मध्यप्रदेश क्रिटिकल मिनरल्स हब बनकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के हिस्से में उपलब्धि का खजाना भरेगा। इस उपलब्धि के लिए यही कहा जाएगा कि मोहन यादव प्रदेश के लिए ‘शुभंकर’ मुख्यमंत्री साबित हो रहे हैं। केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में यह जानकारी दी थी कि भारत में पहली बार इतनी विशाल मात्रा में इन दुर्लभ तत्वों का पता चला है। यह उपलब्धि भारत को ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश अब क्रिटिकल मिनरल्स हब बनेगा। मध्यप्रदेश ऊर्जा राजधानी के साथ क्रिटिकल मिनरल्स की राजधानी भी कहलाएगा। इसके साथ ही भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी देश बनेगा। सिंगरौली जिले में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) का अकूत भंडार मिलने से अब भारत की चीन जैसे देशों पर निर्भरता नहीं रहेगी।
वास्तव में यह मध्य प्रदेश की समृद्ध प्राकृतिक संपदा का एक और आयाम है। इससे पहले तक भी मध्य प्रदेश खनिज संसाधनों के मामले में देश में अव्वल रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश तांबा, मैग्नीज और हीरा उत्पादन में पहले स्थान पर है। इसी तरह रॉक फास्फेट में दूसरे, चूना पत्थर में तीसरे और कोयला उत्पादन में चौथे स्थान पर है। देश में उपलब्ध डायमंड भंडार का 90% मध्यप्रदेश में पाया जाता है। यह अकेले पन्ना और छतरपुर में है। मध्यप्रदेश पायरोफ्लाइट के उत्पादन में भी अग्रणी राज्य है। यहां देश के उत्पादन का 41% उत्पादन हो रहा है। देश में सर्वाधिक भंडार 14 मिलियन टन मध्यप्रदेश में है, जो छतरपुर, शिवपुरी और टीकमगढ़ में है। चूना पत्थर का भी प्रदेश में भरपूर भंडार है। यहां रीवा, सतना, सीधी, मैहर, दमोह, कटनी पन्ना, धार और नीमच में भरपूर भंडार है। देश के कुल लाइमस्टोन भंडार का 9% मध्यप्रदेश में है। मध्यप्रदेश देश का चौथा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। यहां सिंगरौली, सीधी, छिंदवाड़ा, बैतूल, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और नरसिंहपुर भरपूर कोयला भंडार है। पूरा मध्यप्रदेश खनिज संपदा से भरा पड़ा है। ग्वालियर और शिवपुरी में आयरन और क्वार्ट्ज और फ्लैगस्टोन पाया जाता है। झाबुआ और अलीराजपुर में रॉक फास्फेट डोलोमाइट, लाइमस्टोन, मैंगनीज और ग्रेफाइट मिलता है। नीमच में लाइमस्टोन, बैतूल में कोल, ग्रेफाइट, ग्रेनाइट, लेड और जिंक मिलता है। छिंदवाड़ा में कोल, मैंगनीज और डोलोमाइट मिलता है। बालाघाट में कॉपर, मैंगनीज, डोलोमाइट, लाइमस्टोन, बॉक्साइट, मंडला और डिंडोरी में डायमंड, डोलोमाइट और बॉक्साइट, सिंगरौली में कोल, गोल्ड, आयरन और शहडोल, अनूपपुर, उमरिया में कोल, कॉल बेड मीथेन, बॉक्साइट, सागर, छतरपुर और पन्ना में डायमंड, रॉक फॉस्फेट डायस्पोर, आयरन और ग्रेनाइट मिलता है। जबलपुर में डोलोमाइट, आयरन अयस्क, लाइमस्टोन, मैंगनीज, गोल्ड और मार्बल मिलता है।
तो अब रेयर अर्थ एलिमेंट्स का मिलना मध्यप्रदेश की प्राकृतिक संपदा भंडार के लिए सोने पर सुहागा जैसी बात हो गई है। रेयर अर्थ एलिमेंट्स को आधुनिक तकनीक का आधार कहा जाता है। अब तक भारत इन खनिजों के लिए चीन और अन्य देशों पर निर्भर रहा है। और मध्यप्रदेशवासियों के लिए यह गर्व की बात है कि प्रदेश के सिंगरौली में यह खोज भारत को आयात-निर्भरता से मुक्त कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाएगी। आने वाले समय में यह खोज आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने के साथ ही औद्योगिक विकास को नई रफ्तार देगी। और अकेली इस खोज से ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश संग आत्मनिर्भर भारत’ का नारा पूरे देश में गूंजेगा। हालांकि बहुत कुछ समय के साथ ही सामने आएगा। पर जो महत्वपूर्ण संकेत है वह मध्यप्रदेश और देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि का संदेश दे रहे हैं।
कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा किए गए शोध में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (जैसे स्कैंडियम, यिट्रियम आदि) की आशाजनक सांद्रता पाई गई है। कोयले में इनकी औसत मात्रा 250 पीपीएम और गैर-कोयला स्तर पर लगभग 400 पीपीएम आंकी गई है। जुलाई 2025 में इस खोज की आधिकारिक घोषणा हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कोयले की राख और ओवरबर्डन भी क्रिटिकल मिनरल्स का सैकण्डरी स्रोत बन सकते हैं।
रेयर अर्थ एलिमेंट्स की खोज को देखते हुए राज्य सरकार अब इनके प्रसंस्करण और शोध-अन्वेषण के लिए बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में जुटी है। हाल ही में खनिज संसाधन विभाग के प्रतिनिधिमंडल ने इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (आईआरईएल) की भोपाल इकाई का दौरा किया और संभावित सहयोग पर चर्चा की। विभाग रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की संभावनाएं तलाश रहा है, जो अनुसंधान, प्रशिक्षण और उद्योग को विश्वस्तरीय आधार प्रदान करेगा।
तो यह हम सभी के लिए गौरव की बात है कि हमारा मध्यप्रदेश देश की समृद्धि का आधार है और अब यह दुनिया में देश को शिखर पर ले जाने वाला योगदान करने को तैयार है। प्रदेश की यह उपलब्धि ‘डॉ. मोहन यादव’ को ‘शुभंकर मुख्यमंत्री’ का दर्जा दिलाएगी। निश्चित तौर पर अब हम सभी यह गर्व से कह सकते हैं कि ‘जय भारत, जय मध्यप्रदेश’…और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए प्रदेश की नौ करोड़ आबादी बधाई की हकदार है।





