ED’s Big Action: महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम घोटाले में ED ने कुर्क की 5 करोड़ रुपये की संपत्ति

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ED’s Big Action: महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम घोटाले में ED ने कुर्क की 5 करोड़ रुपये की संपत्ति

बेंगलुरु। कर्नाटक के महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड (KMVSTDCL) से जुड़े एक बड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED), Bengaluru ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत करीब 5 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति और बैंक बैलेंस को अस्थायी रूप से कुर्क कर दिया है। यह कार्रवाई उस समय हुई जब जांच में इस निगम के खाते से लगभग 92 करोड़ रुपये के अवैध लेनदेन का खुलासा हुआ।

जांच के अनुसार, इस बड़े घोटाले में निगम के फंड को फर्जी खातों और विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर ट्रांसफर कर निजी फायदे के लिए उपयोग किया गया। जांच में सामने आया कि फंड का एक बड़ा हिस्सा विलासिता, कार खरीदने, चुनावी खर्चों और अन्य व्यक्तिगत खर्चों पर खर्च किया गया। ED ने चार प्रमुख व्यावसायिक व्यक्तियों की संपत्तियों की जांच करते हुए 4.45 करोड़ रुपये के जमीन-फ्लैट और 50 लाख रुपये के बैंक बैलेंस को कुर्क किया है।

मामले की पड़ताल में यह तथ्य भी सामने आए हैं कि निगम का बैंक खाता शाखा से शाखा में ट्रांसफर कर फर्जी खातों को धनराशि दी गई, जो कई चरणों से होकर गैरकानूनी रूप से विभाजित और खर्च की गई। इस घोटाले में पूर्व मंत्री, निगम के निदेशक और अन्य अफसरों के नाम भी जांच में आए हैं, जिनके खिलाफ आगे जांच जारी है।

यह मामला अनुसूचित जनजाति विकास को लक्षित सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का स्पष्ट प्रमाण है, जो न केवल आर्थिक अपराध बल्कि सामाजिक न्याय के पक्ष में भी गंभीर चुनौती है। ED की इस कार्रवाई से यह संदेश मिलता है कि भ्रष्टाचार और धनशोधन की जांच में कट्टरता बरती जाएगी और दोषियों को कानून के दायरे में लाया जाएगा।

इसके अलावा, यह मामला पूरे देश में सरकारी निधियों के प्रबंधन और जवाबदेही के महत्व को भी दर्शाता है। व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए ऐसे कड़े कदम आवश्यक हैं ताकि विकास कार्यों का सही ठहराव हो सके।