Sasive Kalu and Kadale Kalu Ganesh:’ससिवे कालू’ का अर्थ है सरसों का बीज, और ‘कदले कालू’ का अर्थ है चने का बीज जैसे पेट वाले गणेश

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Sasive Kalu and Kadale Kalu Ganesh

Sasive Kalu and Kadale Kalu Ganesh:’ससिवे कालू’ का अर्थ है सरसों का बीज, और ‘कदले कालू’ का अर्थ है चने का बीज जैसे पेट वाले गणेश

ससिवे कालू और कदले कालू गणेश कर्नाटक के हम्पी में स्थित दो विशाल गणेश प्रतिमाएँ हैं, जो विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थीं। ‘ससिवे कालू’ का अर्थ है सरसों का बीज (सरसों जैसा गोल पेट), और ‘कदले कालू’ का अर्थ है चने का बीज (चने के बीज जैसा फूला हुआ पेट)। कदले कालू गणेश कर्नाटक की सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा है।
 इस विशाल अखंड गणेश प्रतिमा की समानता के कारण, इसे स्थानीय रूप से शशिवेकालु (सरसों के बीज) गणेश कहा जाता है। यह हेमकूट पहाड़ी की दक्षिणी तलहटी में स्थित है।

हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान गणेश (जिन्हें गणपति या विनायक भी कहा जाता है) अपनी खान-पान की आदतों के लिए कुख्यात हैं। एक दिन उन्होंने इतना खाना खा लिया कि उनका पेट लगभग फट गया। पेट फटने से बचाने के लिए उन्होंने एक साँप पकड़ा और उसे बेल्ट की तरह अपने पेट पर बाँध लिया।

Sasive Kalu and Kadale Kalu Ganesh
Sasive Kalu and Kadale Kalu Ganesh

इस मूर्ति पर आप उनके पेट के चारों ओर उकेरा हुआ साँप देख सकते हैं। साथ ही, उनके हाथ में अंकुश, पाशा (फाँसी) और टूटा हुआ दाँत भी है। मोदक (एक प्रकार की मीठी गेंद) पकड़े हुए उनका हाथ टूटा हुआ है और उसका पुनर्निर्माण नहीं हुआ है। एक विशाल शिलाखंड को तराशकर बनाई गई यह अखंड मूर्ति लगभग 2.4 मीटर (8 फीट) ऊँची है।

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मूर्ति के चारों ओर एक खुला मंडप बना हुआ है। पास में मिले शिलालेखों के अनुसार, इस मंडप का निर्माण चंद्रगिरि (वर्तमान आंध्र प्रदेश) के एक व्यापारी ने 1506 ई. में विजयनगर के एक राजा नरसिंह द्वितीय (1491-1505 ई.) की स्मृति में करवाया था।

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ससिवेकालु गणेश के थोड़ा उत्तर में गणेश की एक और विशाल प्रतिमा है, जिसे कदलेकालु गणेश कहा जाता है। ससिवेकालु गणेश के थोड़ा दक्षिण में विष्णुपद मंदिर है। ये सभी मंदिर एक से दूसरे मंदिर तक पैदल चलकर पहुँच सकते हैं और 30-45 मिनट में देखे जा सकते हैं।

शशिवेकालु गणेश मंदिर के ठीक सामने आप पुरातत्व विभाग द्वारा स्थापित हम्पी का एक विशाल स्थल मानचित्र देख सकते हैं।

प्रवेश शुल्क नहीं है और फोटोग्राफी निःशुल्क है।

कदलेकालु गणेश

विशाल गणेश प्रतिमा हेमकूट पहाड़ी की उत्तर-पूर्वी ढलान पर एक विशाल शिलाखंड को तराश कर बनाई गई थी। इस प्रतिमा का पेट बंगाल के चने (स्थानीय भाषा में कडालेकालु) जैसा दिखता है, इसीलिए इसका नाम कडालेकालु पड़ा।

मूर्ति के चारों ओर एक गर्भगृह बना है। इस गर्भगृह के सामने स्तंभों वाला हॉल इस विशाल मूर्ति की तरह ही आकर्षक है। असामान्य रूप से पतले और ऊँचे स्तंभों से निर्मित खुला हॉल। इनमें से प्रत्येक स्तंभ पौराणिक विषयों से अलंकृत है।

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Kadalekalu Ganesha Temple in Hampi has a huge statue of Lord Ganesha, carved out of a single block of rock. Hampi, the capital of the Vijayanagar empire is a UNESCO World Heritage site.

 

4.5 मीटर (15 फ़ीट) ऊँची यह मूर्ति हम्पी की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है। स्तंभों वाला यह हॉल आसपास के वातावरण, खासकर हम्पी बाज़ार और मतंगा पहाड़ी की तलहटी का अवलोकन करने के लिए एक सुविधाजनक स्थान है।

नटखट शिशु कृष्ण एक पेड़ पर छिप जाते हैं। वे नहाती हुई ग्वालिनों के वस्त्र चुराकर पेड़ पर टांग देते हैं। स्त्रियाँ अपने वस्त्र वापस माँगती हैं। इस कहानी के लिए हम्पी की पौराणिक कथा देखें।

एक स्तंभ पर उकेरी गई पौराणिक विषयवस्तु
नटखट शिशु कृष्ण एक पेड़ पर छिप जाते हैं। वे नहाती हुई ग्वालिनों के वस्त्र चुराकर पेड़ पर टांग देते हैं। स्त्रियाँ अपने वस्त्र वापस माँगती हैं।