
धर्म और राजनीति को साथ लेकर चलना खतरनाक: नितिन गडकरी का बड़ा बयान
नागपुर: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में आयोजित महानुभाव पंथ के सम्मेलन में साफ शब्दों में कहा कि मंत्री-नेताओं को धर्म के काम से दूर रखना चाहिए क्योंकि वे जहां जाते हैं, वहां विवाद और आग लगाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि धर्म, समाज सेवा और राजनीति को अलग-अलग रखने की जरूरत है। धर्म व्यक्तिगत श्रद्धा का विषय है, लेकिन कुछ नेता इसका राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, जिससे विकास और रोजगार जैसे मुद्दे पीछे रह जाते हैं।
गडकरी ने कहा, “राजनीति में सच बोलना आसान नहीं, कई जगह मन से सच बोलने की मनाही है। जो लोगों को सबसे अच्छा मूर्ख बना सकता है, वही सबसे अच्छा नेता कहलाता है।” उन्होंने शॉर्टकट पर भी चिंता जताई, बताया कि शॉर्टकट से मंजिल अधूरी रह जाती है।
उन्होंने महानुभाव पंथ के संस्थापक चक्रधर स्वामी की शिक्षाओं को हर किसी के लिए प्रेरणा बताया और सत्य, अहिंसा, शांति, मानवता और समानता के मूल्यों को जीवन में अपनाने की सलाह दी।
*गडकरी की तीन बड़ी बातें*
1. *बोलना आसान, करना कठिन*
गडकरी ने कहा कि बोलना तो आसान है, लेकिन अपने शब्दों को अमली जामा पहनाना सबसे मुश्किल काम है। उन्होंने बताया कि जहां वे काम करते हैं, वहां मन से सच बोलने पर भी रोक होती है।
2. *जो अच्छा मूर्ख बनाता, उतना अच्छा नेता*
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजनीति में जो लोग दूसरे लोगों को सबसे अच्छे मूर्ख बना पाते हैं, वही सबसे सफल और प्रभावशाली नेता बन जाते हैं।
3. *शॉर्टकट से मंजिल अधूरी रह जाती*
गडकरी ने कहा कि शॉर्टकट लेने से मंजिल जल्दी नहीं आती, बल्कि अधूरी रह जाती है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि लाल सिग्नल तोड़ना या नियमों की अनदेखी करना सही रास्ता नहीं है।
गडकरी के ये बयान ऐसे वक्त आए हैं जब देश में धर्म-राजनीति का मुद्दा गर्म रहता है और नेताओं की धार्मिक गतिविधियों में बढ़ती भागीदारी पर सवाल उठते रहते हैं।




