आदिवासी छात्र की कथित झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से मृत्यु, छात्रावास के वार्डन को हटाया, जांच के आदेश

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आदिवासी छात्र की कथित झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से मृत्यु, छात्रावास के वार्डन को हटाया, जांच के आदेश

खरगोन: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के बलकवाड़ा स्थित शासकीय छात्रावास में निवास रत कक्षा ग्यारहवीं के आदिवासी छात्र की कथित तौर पर झोलाछाप चिकित्सक से उपचार के उपरांत मृत्यु के मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं।

खरगोन की जिला कलेक्टर भव्या मित्तल ने बताया कि कक्षा ग्यारहवीं के 17 वर्षीय छात्र सुरेश की मृत्यु की आदिवासी विकास विभाग से आंतरिक जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस इस मामले की मूल रूप से जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि घटना के उपरांत बलकवाड़ा के सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास के वार्डन जितेंद्र मंडलोई को हटा दिया गया है, साथ ही कथित डॉक्टर का क्लीनिक सील कर उससे आवश्यक दस्तावेज मांगे गए हैं।

सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास खरगोन इकबाल हुसैन आदिल ने बताया कि महेश्वर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी मामले की जांच कर तीन दिन में प्रतिवेदन सौंपेंगे।

उधर खरगोन के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एम एस सिसोदिया ने बताया कि कथित डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नहीं पाया गया है, और कसरावद के विकासखंड चिकित्सा अधिकारी, तहसीलदार और पुलिस के दल ने उसके क्लीनिक की जांच कर दवाइयां जब्त कर पंचनामा बनाया गया है।

सुरेश के पिता मुकेश कौर ने पत्रकारों को बताया कि कल दोपहर उससे फोन पर चर्चा हुई थी, और वह बिल्कुल ठीक था। रात्रि भोजन के बाद उसे बुखार व सर्दी खांसी की तकलीफ होने पर छात्रावास प्रबंधन ने उसे झोला छाप डॉक्टर को दिखाया था। उसके इंजेक्शन लगाए जाने के बाद सुरेश बेहोश हो गया था, और जिला अस्पताल ले जाने के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। मुकेश ने आरोप लगाया कि छात्रावास प्रबंधन ने सुरेश की तकलीफ के बारे में उन्हें सूचित नहीं किया।