*रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट*
Ratlam: रत्नपुरी रतलाम ने नगर को एक से बढ़कर एक रत्न दिए है।
ऐसे ही एक रत्न जैन दिवाक़रीय परम्परा के वरिष्ठ सन्त आगम रसिक सरलमना पूज्य गुरुदेव श्री ऋषभमुनि जी मसा की जन्म स्थली भी रतलाम नगर है। रतलाम के पोखरना परिवार के श्रेष्ठवर्य कनकमल,भँवर बाई पोखरना के सुपुत्र ऋषभमुनि जी मसा का जन्म वर्ष 1950 में हुआ था।श्री सुभाष पोखरना आपके भाई व चन्द्रकला पोखरना आपकी बहन है।परिवार के बचपन के धार्मिक संस्कार का बाल मन पर बहुत गहरा असर हुआ।और मात्र 21 वर्ष की उम्र में वर्ष 1972 में उपाध्याय भगवन श्री मूलमुनि जी मसा के शिष्य के रूप में चित्तौड़ में दीक्षा ग्रहण की।
आप बाल ब्रह्मचारी थे और 51 वर्ष की आपकी संयम साधना हुई। आप हमेशा स्वाध्याय में रत रहते थे,अगम में आपकी विशेष रुचि थी,आगम आधारित प्रवचन में आपकी विशेष महारत थी। गुरुदेव ने अनेक चातुर्मास रतलाम में किये। वर्ष 2018 के नीमचौक चातुर्मास स्थानक के 4 माह में 09 पुण्य पर आधारित प्रवचनमाला से धर्म जागरण किया था।पिछले कुछ समय से आपका स्वास्थ्य नरम चल रहा था इस वजह से आप श्री जैन दिवाकर स्मारक पर विराजमान होकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। जहां आपका देवलोकगमन हुआं।
आपके देवलोक गमन पर देश के अनेक सन्त सतियों उपाध्याय गौतम मुनि जी मसा,प्रवर्तक विजय मुनि जी मसा,राष्ट्र सन्त कमल मुनि कमलेश,अरुण प्रभाजी, कीर्तिसुधाजी,श्यामा जी, सुदर्शना जी,राकेश मुनि जी, शांता जी मसा ने उन्हें अपनी और से भावांजली अर्पित की है ।
आपकी ढोल यात्रा श्री जैन दिवाकर स्मारक से त्रिवेणी मुक्ति धाम पर पंहुची महाप्रयाण यात्रा में पोखरना परिवार के अलावा श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ के सुरेश कटारिया,इन्दरमल जैन, महेंद्र बोथरा,मणीलाल कटारिया, प्रेम कुमार जैन मोगरा,प्रदीप पोखरना,जयन्तीलाल डाँगी, अमृत कटारिया,अजय खमेसरा, विनोद बाफना,मणीलाल गादिया, रितेश मूणत,विकास कटारिया, नवीन गाँधी अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर कांफ्रेसँ के रमेश जी भंडारी (इंदौर) सहित सेकंडों श्रावक श्राविका मौजूद थे।