बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी कथित संत आसाराम को क्या वाकई आरएसएस के सहयोगी संगठन विश्व हिन्दु परिषद और हिन्दु राष्ट्र सेना का साथ मिल गया है? भोपाल में आसाराम आश्रम ने बकायदा अखबार में विज्ञापन देकर यह बात बताने की कोशिश की है। वेलेंटाइन डे को मातृत्व पितृत्व दिवस मनाने के आसाराम गुरुकुल के विज्ञापन में विश्व हिन्दु परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रमेश मोदी और हिन्दु राष्ट्र सेना के अध्यक्ष धनंजय देसाई के फोटो छापकर दावा किया गया है, यह दोनों आसाराम को निर्दोष मानते हैं। इसी बीच यह भी अटकलें हैं कि कुछ हिन्दूवादी संगठनों की नजर आसाराम के आश्रमों की अरबों की सम्पत्ति पर है। आसाराम का समर्थन करके उनके मंहगे और आलीशान आश्रमों को हथियाना है।
चर्चा में योगीराज की सम्पत्ति
मप्र के चर्चित पूर्व स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा आजकल फिर चर्चा में है। दिग्विजय सरकार के कार्यकाल में शर्मा को मप्र का स्वास्थ्य संचालक बनाया गया था। आरोप है कि इस दौरान शर्मा ने जमकर माल कूटा था। उनके कथित भ्रष्टाचार के किस्से चटकारे लेकर सुनाये जाते हैं। अब पता चला है कि शर्मा ने पिछले दिनों भोपाल के अरेरा कॉलोनी के पॉश इलाके में बहुत मंहगा बंगला खरीद है। इसी के साथ सोशल, मीडिया में शर्मा की सम्पत्तियों की जानकारी तैरने लगी हैं। भोपाल के आईएसबीटी में उनके शानदार होटल, हबीबगंज स्टेशन के पास पहले से मौजूद बंगले के अलावा बहुत सी कृषि भूमि खरीदने की भी चर्चा है। शर्मा अब लोकायुक्त की पकड़ से बेशक बाहर हैं, लेकिन उनकी दौलत की जो खबरें आ रही हैं, उससे लगता है कि वे आयकर विभाग के निशाने पर जरूर आ सकते है!
मुश्किल है विवेक जौहरी होना!
मप्र के पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी अगले महीने रिटायर हो जाएंगे। लगभग दो साल से अधिक का उनका यह कार्यकाल उनकी सादगी और सक्रियता के लिये याद किया जाएगा। पात्रता होने के बाद भी जौहरी ने भोपाल में न तो सरकारी बंगला लिया और न ही सरकारी वाहनों व अर्दलियों की फौज एकत्रित की। कमलनाथ सरकार ने उन्हें दिल्ली से बुलाकर डीजीपी बनाया था। शिवराज सरकार ने भी उन पर भरोसा जताया। विवादों से दूर रहने वाले जौहरी के कार्यकाल में थोक में पुलिस भर्तियां निकाली गई हैं। पुलिस कल्याण के क्षेत्र में बेहतरीन काम हुआ। पुलिस की छवि पर कोई बड़ा दाग नहीं लगा।
बुआ भतीजे में अंतर
मप्र की राजनीति में ग्वालियर राजघराने के दो धु्रव बुआ यशोधरा राजे सिंधिया और भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया में अब एक और अंतर साफ हो गया है। भाजपा में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार महाराज की छवि से बाहर निकलने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। संसद में कांग्रेस के अधीर रंजन ने उन्हें महाराज कहा तो सिंधिया ने टोका और कहा कि मेरा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया है। दूसरी ओर मप्र सरकार की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया आज भी स्वयं को महाराज कहलवाना पसंद करती हैं। फोन पर कोई अधिकारी उन्हें मेडम कहकर संबोधित करे तो यशोधरा राजे का साफ कहना होता कि पहले सम्मान से बात करना सीखिए। यानि मेडम नहीं महाराज साहब कहिए।
कमलनाथ के खिलाफ पर्चेबाजी
वैसे तो मप्र की राजनीति में यह हथकंडा नया नहीं है कि किसी भी सम्मानित व्यक्ति के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाकर पर्चे छपवाए जाएं और कुछ खास लोगों के घर डाक से भेज दिये जाएं। लेकिन पिछले कुछ दिन से यह बंद था। कुछ वर्षों पहले इस तरह की हरकतें मप्र की अफसरशाही में बहुत होती थी। आईएएस आईपीएस के खिलाफ खूब पर्चे बंटते थे। अब इसकी गंदी शुरुआत कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से फिर हो गई है। कमलनाथ के खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों का पर्चा पांच रुपए की डाक टिकट के साथ पत्रकारों के घर भेजा गया है। पर्चा पढ़कर लगता है कि यह हरकत किसी कांग्रेसी की है। फिलहाल इस संबंध में कमलनाथ की ओर से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।
कमिश्नर का सुशासन
यूं तो सरकार ने जनता को सरकारी सुविधाओं का लाभ बिना किसी रुकावट (भ्रष्टाचार)के देने के लिए सुशासन का नारा दिया है, लेकिन सरकार के ज्यादातर विभागों में सुशासन सिर्फ नारा लगता है। यदि असल में सुशासन देखना है तो भोपाल कमिश्नर के दफ्तर में अर्जी लेकर चले जाइए। अर्जी यदि जायज है तो यकीन मानिए समाधान खड़े-खड़े हो जाएगा। यदि अर्जी नाजायज है तो फिर उल्टे पांव लौटना भी पड़ सकता है। अर्जी का समाधान इस तरह नहीं होता कि सिर्फ सरकारी खानापूर्ति की गई हो। अर्जी में रुकावट कहां आ रही है, तह तक जाया जाता है। फिर तत्काल समाधान भी हो जाता है। दरअसल कमिश्नर मानते हैं कि यदि कोई समस्या लेकर यहां तक पहुंचता है तो जरूर वह परेशान होगा। फिलहाल कमिश्नर के सुशासन के चर्चे संभाग के जिलों के दूर-दराज के गांवों तक भी पहुंच गए हैं।
*और अंत में…*
मप्र के गृह विभाग के एसीएस (अतिरिक्त मुख्य सचिव) राजेश राजौरा ने अपनी कार्यशैली से मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव दोनों का दिल जीत लिया है। राजौरा मंत्रालय में सबसे अधिक समय तक बैठने वाले अफसर हैं। वे सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक (लंच समय को छोड़कर) लगातार ऑफिस में रहते हैं। इस सप्ताह दो घटनाओं ने राजौरा के नम्बर बढ़ा दिये। पेटलावद विस्फोट कांड के सभी आरोपियों के बरी होने की घटना को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने जांच टीम में लगे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया। कटनी में एक टनल में फंसे 9 मजदूरों को बचाने के रेस्क्यू अभियान पर नजर रखने राजौरा पूरी रात न केवल जागते रहे, बल्कि स्वयं अपने मोबाइल के वाट्सऐप से सीएम सीएस और पत्रकारों को पल पल की जानकारी भी देते रहे।