‘रक्षा’ नहीं अब ‘युद्ध’ की लालसा है…

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‘रक्षा’ नहीं अब ‘युद्ध’ की लालसा है…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हर कदम से यह संदेश देने की ही कोशिश की है कि अमेरिका अब युद्ध के रास्ते पर है। शायद नियति में यही है कि ट्रंप के जरिए एक बार फिर पूरी दुनिया को युद्ध के रसातल में धकेल दिया जाए। ट्रंप का ताजा कदम यही साबित कर रहा है। ट्रंप ने रक्षा विभाग यानी पेंटागन का नाम बदलकर युद्ध विभाग (वॉर डिपार्टमेंट) करने का कार्यकारी आदेश जारी किया है। ट्रंप का तर्क है कि यह नाम अमेरिका की सैन्य शक्ति और आक्रामक रणनीति को बेहतर तरीके से दर्शाता है। एक मुहावरा है कि ‘कुत्ता की पूंछ बारा बरसें पुँगरिया में राखी, जब निकरी तब टेढ़ी की टेढ़ी’। यानि कि कितने भी प्रयास किए जाएं लेकिन मनुष्य की बुरी आदतें या बुरी सोच को आसानी से बदला नहीं जा सकता। किसी मनुष्य की बुरी आदत कठिनाई से ही छूटती है।

ट्रंप के इस विभाग का नाम बदलने के पीछे की सोच भी द्वितीय विश्व युद्ध तक लेकर जा रही है। मकसद कहीं न कहीं अमेरिका को युद्ध में झोंकना ही है। सोच का स्तर पूरी कहानी बयां कर रहा है। 1789 से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक अमेरिका की सेना वॉर डिपार्टमेंट के बैनर तले लड़ी। बाद में साल 1947 में राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने इसे पुनर्गठित कर रक्षा विभाग नाम दिया। इस विभाग के अंतर्गत सेना, नौसेना और वायु सेना शामिल हुईं। ट्रंप का दावा है कि युद्ध विभाग नाम के साथ अमेरिका ने जीत का शानदार इतिहास बनाया था। और अब युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के समय की जीत की लालसा ने ट्रंप के दिमाग को परंपरा और इतिहास की तरफ मोड़ दिया है। इसी के चलते ट्रंप ने रक्षा विभाग का नाम बदलकर युद्ध विभाग कर दिया है। ट्रंप का कहना है कि मौजूदा समय में रक्षा विभाग नाम वोक विचारधारा से जुड़ा हुआ लगता है। नाम बदलने के बाद से अमेरिका ने कोई बड़ा युद्ध नहीं जीता, इसलिए पेंटागन का नाम फिर से युद्ध विभाग करना इतिहास और परंपरा को बहाल करना है।

ट्रंप की इस सोच पर तरस आता है कि युद्ध विभाग का नाम ज्यादा ताकतवर और बेहतर लगता है। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले के बाद अमेरिका ने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर रक्षा विभाग यानी पेंटागन का नाम बदलकर युद्ध विभाग कर दिया है। इसके अलावा पीट हेगसेथ के ऑफिस के बाहर लगे बोर्ड पर भी सेक्रेटरी ऑफ वॉर कर दिया गया है। आगे जैसा हर देश में पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी होती है, वैसी ही अमेरिका में हो रही है। रिपब्लिकन नेता जहां इस कदम को अमेरिकी परंपरा का सम्मान बता रहे हैं, वहीं डेमोक्रेट्स इसे सत्ता का दुरुपयोग मान रहे हैं। प्रतिनिधि डॉन बेकन ने कहा कि ट्रंप प्रशासन कांग्रेस की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहा है।

ट्रंप को शर्म आनी चाहिए कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद पूरी दुनिया युद्ध समीकरणों में व्यस्त है। रूस के हमले यूक्रेन पर और तेज हो गए हैं। रूस, चीन और भारत के बीच बने नए समीकरण में खुद ट्रंप भी उलझ गए हैं। खुद ट्रंप अब भारत और मोदी से अपनी पुरानी दोस्ती का हवाला दे रहे हैं तो उनकी चीनी राष्ट्रपति से मिलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। ट्रंप के चलते ही मध्य-पूर्व युद्ध की आग में जल रहा है। फरवरी 2022 में रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमले शुरू करने के बाद से अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमला कर मुख्य इमारत कैबिनट बिल्डिंग को तहस नहस कर दिया। अब पश्चिमी यूक्रेन पर हवाई हमलों के खतरे को देखते हुए पोलैंड ने हवाई सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने और सहयोगी विमानों को एक्टिव कर दिया है। यानि युद्ध विस्तार के आसार पूरे हैं।

तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने पूरी दुनिया में आर्थिक युद्ध का जो माहौल बनाया है, अब उसे ट्रंप सामरिक युद्ध की तरफ ले जा रहे हैं। परंपरा और इतिहास में जाने से युद्ध विभाग अमेरिका को जीत दिलाएगा, यह उनका भ्रम है। एक सदी का फासला देख पाने में असक्षम ट्रंप को महाभारत युद्ध के पहले के धृतराष्ट्र के समकक्ष ही रखा जा सकता है। तब परमाणु बम गिराकर युद्ध जीतने वाला अमेरिका अगर अब परमाणु बमों से छलनी होकर त्राहिमाम-त्राहिमाम करता नजर आए, तब भी कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। और तब अमेरिका का इतिहास ट्रंप को कभी माफ नहीं करेगा… क्योंकि ट्रंप अमेरिका के नागरिकों की रक्षा करने की जगह अमेरिका को युद्ध में झोंककर जीत का तांडव करना चाहते हैं। ‘रक्षा’ नहीं अब उनकी ‘युद्ध’ की लालसा है… इसीलिए रक्षा विभाग का नाम बदलकर युद्ध विभाग करने की ट्रंप की विकृत सोच सबके सामने है…।

 

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।