IPS Manoj Singh : आईपीएस मनोज सिंह वास्तव में ‘सिंह इज किंग!’

1204
IPS Manoj Singh : आईपीएस मनोज सिंह वास्तव में ‘सिंह इज किंग!’ https://mediawala.in/ips-manoj-singh-ips-manoj-singh-is-truly-singh-is-king/

IPS Manoj Singh: आईपीएस मनोज सिंह वास्तव में ‘सिंह इज किंग!’

वरिष्ठ पत्रकार छोटू शास्त्री की खास रिपोर्ट

    Dhar : प्रशासनिक हलकों और खासकर पुलिस महकमे में इन दिनों डीआईजी मनोज सिंह सुर्खियों में हैं। इसलिए कि उन्होंने जो चाहा वो पाने में सफल हुए और इस आईपीएस अधिकारी ने जता दिया कि ‘जिद’ हो तो मनोज सिंह जी जैसी। डीआईजी इंदौर (ग्रामीण) जैसे दमदार और प्रतिष्ठित पोस्टिंग पाकर उन्होंने साबित कर दिया कि जो वे चाहते हैं, उसे हासिल करके ही मानते है। अब उनकी जिद, जुनून और जज्बे की यह कहानी और इसके चर्चे बरसों बरस तक चलते रहेंगे।
प्रदेश में यूं तो पुलिस महकमे में कई कद्दावर आईपीएस अधिकारी है जिनकी कार्यशैली के चर्चे होते रहते हैं। लेकिन, मनोज सिंह बेहद अलग और अनूठे से व्यक्तित्व में गढे हैं, तभी अपनी पहली पोस्टिंग से आज तक ‘पावर सेंटर’ की तरह मन पसंद पोस्टिंग, मनपसंद शहर और मनपसंद भूमिका पाते रहे हैं।  तभी तो प्रशासनिक गलियारों से लेकर आम लोग यही कहते हैं कि पावर हो, तो मनोज सिंह जैसा!

 सरकार और मुखिया के प्रति समर्पण

   मैदानी जमावट से लेकर सरकार और सरकार के मुखिया (सीएम) का विश्वास हासिल करना हर किसी के बूते की बात नहीं होती। लेकिन, मनोज सिंह का समर्पण और निष्ठा इंगित करती है कि मैदान के खिलाड़ी के रूप में तो वे सफल रहे ही हैं। साथ ही सरकार और सरकार के मुखिया का दिल भी जीतने में वे सफल रहे है।

मान गए मनोज सिंह जी
प्रदेश को कई आईपीएस अफसर मिले जो मेहनती, निष्ठावान और समर्पित रहे। पर, मनोज सिंह जैसे अफसर प्रदेश में कम ही हैं। जो प्रशासन के शीर्ष से लेकर सरकार पर अपनी. पकड़ रखते हैं। तभी तो वे हमेशा सुर्खियों में रहें है पोस्टिंग से लेकर जमावट तक। हर और यही स्वर मंद-मंद सुनाई दे रहा है पकड़ और रूतबा हो तो मनीज सिंह जैसा।

मुखिया का भरोसा

चहु और खेमेबंदी षड्यंत्र और कुटिल चाल पर चट्टान की भांति डटे रहे अपने कर्तव्य पथ पर किसी फौलादी चट्टान की तरह। वे तो चलते रहे अविरल धारा की तरह। न किसी षड्यंत्र की परवाह की और न कुटिल चालों से विचलित होने का भाव। अपने को साबित करने का खुद पर भरोसा भी था विश्वास भी। आज उसी का नतीजा सामने है। इस तरह मुखिया का भरोसा जीता और शिखर पर मनोज सिंह चढ़ते गए।

दमदार पोस्टिंग में कोई अड़चन नहीं

   आज मनोज कुमार सिंह इंदौर ग्रामीण डीआईजी बन गए। पर, यह पटकथा पहले ही दिन लिखी जा चुकी थी। अर्थात मनीष अग्रवाल की विदाई उसी दिन तय हो गई थी, जब मनोज कुमार सिंह डीआईजी बने थे। इंदौर डीआईजी जैसी पोस्टिंग के लिए सरकार और सरकार के मुखिया ने तो उसी दिन तय कर दिया था कि यहां पर सिर्फ मनोज कुमार सिंह ही पदस्थ होंगे और वे हुए भी!

पुलिस महकमे से लेकर आम जन तक, सरकारी तंत्र से लेकर सरकार के मुखिया तक सबकी पसंद बने रहना, काबिलियत की बात होती है। लोग चटखारे लेकर कहते थे कि सिंह साहब की धार से मोह नहीं छूट रहा लेकिन, यह सरकार की मर्जी और उनकी इच्छा शक्ति की यहाँ मैदान में डटे रहना। पुलिस विभाग की नकल को समझने वाले बताते हैं कि पुलिस महकमे में जितना पावर सिंह साहब को मिला उतना हर किसी की नहीं।
मनोज कुमार सिंह का प्रबंधन, कार्यशैली, संपर्क और उच्च स्तर पर जमावट तथा संवाद अदायगी से लोग मजाक में कहा करते थे कि वो पेन (कलम) नहीं बना कि मनोज कुमार सिंह को इंदौर ग्रामीण डीआईजी बनने इसे कोई रोक सके। आशय यही है कि बहुत आए और बहुत गए, पर मनोज कुमार सिंह जैसी किस्मत किसी की नहीं!

3 मजदूरों की मौत का मामला: पीथमपुर की केमिकल फैक्ट्री में की जांच के लिए प्रशासन ने भेजा दल 

IAS Transfer List: कल रात हुई प्रशासनिक सर्जरी के मायने! इंदौर रहा केंद्र बिंदु!