संगीत सरिता : संगीत का अमृत और दीर्घायु का उत्सव

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संगीत सरिता : संगीत का अमृत और दीर्घायु का उत्सव

✍🏻 डॉ. तेजप्रकाश व्यास🌎.

🎼 संस्कृति, स्वास्थ्य और आत्मिक आनंद का अद्भुत संगम

भारत की संस्कृति में संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं रहा है। यह आत्मा की शांति, शरीर की चिकित्सा और मन की गहराइयों में उतरकर आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग बनता आया है। भारतीय परंपरा में भजन, राग, धुन और स्वर न केवल आनंद प्रदान करते हैं, बल्कि तन-मन को स्वस्थ और संतुलित रखते हैं। इसी दिव्यता को जीवंत करने के लिए इंदौर के जल सभागार में “संगीत सरिता” का आयोजन किया गया।

इस आयोजन में इंदौर, उज्जैन, देवास और सांवेर के प्रतिष्ठित नागर ब्राह्मण समाज ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से गौरव बढ़ाया। आसपास के नगरों से आए श्रोताओं और संगीतप्रेमियों की सहभागिता ने इस संध्या को और भी भव्य बना दिया।

इस बार आयोजन की थीम थी—“मन क्यों बहका… ऐ बहका”, जो लता मंगेशकर और आशा भोसले के जन्मदिनों को समर्पित रही। यह संध्या केवल स्वरांजलि नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम थी।

🎶 कलाकारों की स्वरांजलि

मंच पर समाज के प्रतिभाशाली कलाकारों ने जब अपनी स्वर लहरियों को सुरबद्ध किया तो पूरा सभागार झूम उठा।

डॉ. रेनुका मेहता, दिव्या मंडलोई, पुनीता व्यास, श्रद्धा नागर, वंदना नागर, असीम त्रिवेदी, दीपक शर्मा, अश्विनी व्यास, विनोद शंकर नागर और कार्यक्रम संयोजक हर्ष मेहता ने एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति दी।

प्रत्येक प्रस्तुति ने यह सिद्ध किया कि संगीत केवल कानों का रस नहीं, बल्कि आत्मा की तृप्ति का साधन है। कार्यक्रम में शामिल श्रोताओं ने कलाकारों को समाज के संगीत और संस्कृति के स्तंभ के रूप में सम्मानित किया।

🎵 कालजयी गीतों की झड़ी

इस संध्या की एक और विशेषता रही कि इसमें प्रस्तुत किए गए गीत भारतीय फिल्म संगीत के स्वर्णिम युग को पुनर्जीवित कर गए।

पुकारता चला हूँ मैं (मेरे सनम/मजरूह/ओ.पी. नैयर)

दिलबर मेरे (सत्ते पे सत्ता/गुलशन बावरा/आर.डी. बर्मन)

दिल दीवाना (मैने प्यार किया/असद भोपाली/रामलक्ष्मण)

चांद फिर निकला (पेइंग गेस्ट/मजरूह/एस.डी. बर्मन)

जो वादा किया (ताजमहल/साहिर/रोशन)

गाता रहे मेरा दिल (गाइड/शैलेन्द्र/एस.डी. बर्मन)

शोखियों में घोला जाए (प्रेम पुजारी/नीरज/एस.डी. बर्मन)

मन क्यों बहका… ऐ बहका (उत्सव/वसंत देव/लक्ष्मीकांत प्यारेलाल)

ये है रेशमी जुल्फों का अंधेरा (मेरे सनम/मजरूह/ओ.पी. नैयर)

रात अकेली है (ज्वेल थीफ/मजरूह/एस.डी. बर्मन)

झिलमिल सितारों का आंगन होगा (जीवन मृत्यु/आनंद बक्षी/एल.पी.)

इन गीतों के साथ-साथ मुकेश, किशोर दा और शैलेन्द्र जैसे गीतकारों और गायकों की थाती ने वातावरण को रस-रंग से भर दिया। श्रोता इन अमर नग्मों के सुरों में डूबते चले गए और मानो समय थम सा गया।

🧬 विज्ञान और संगीत : स्वास्थ्य का अद्भुत संगम

आधुनिक विज्ञान ने अब यह सिद्ध कर दिया है कि संगीत केवल आत्मा को नहीं, बल्कि शरीर को भी गहराई से प्रभावित करता है।

🌟 नाइट्रिक ऑक्साइड : दीर्घायु का अमृत अणु

गायन और गहन श्रवण के दौरान शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) का निर्माण बढ़ता है। यह प्राकृतिक वेसोडाइलेटर है जो हृदय और मस्तिष्क की धमनियों को शिथिल करता है। इससे रक्त प्रवाह सुधरता है, रक्तचाप नियंत्रित होता है और हृदयाघात से बचाव होता है। यह प्रभाव अनुलोम-विलोम, ॐ जप और भस्त्रिका जैसे प्राणायाम के समान है।

🌟 Vagus Nerve वागस नर्व : शरीर का रिलैक्सेशन स्विच

संगीत और ध्यानमय श्रवण वागस नर्व को सक्रिय करते हैं। इससे हृदयगति नियंत्रित होती है, पाचन शक्ति सुधरती है, प्रजनन स्वास्थ्य बेहतर होता है और प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है।

🌟 हैप्पी हार्मोन का स्रवण

संगीत के संपर्क से डोपामिन, सेरोटोनिन, एंडोर्फिन और ऑक्सीटोसिन जैसे हैप्पी हार्मोन प्रचुर मात्रा में स्रवित होते हैं। ये तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करके सामाजिक बंधन को मजबूत करते हैं और भीतर से आनंद प्रदान करते हैं।

🌿 संगीत के चमत्कारी लाभ

हृदय स्वास्थ्य : रक्तचाप नियंत्रित, धमनियों का लचीलापन, हृदयाघात से सुरक्षा।

मस्तिष्क : स्मृति वृद्धि, एकाग्रता, भावनात्मक संतुलन, अवसाद से मुक्ति।

फेफड़े : श्वसन क्षमता में वृद्धि, प्राणायाम तुल्य लाभ।

मांसपेशी और अस्थि तंत्र : बेहतर लचीलापन, तालबद्ध शक्ति और मजबूती।

मेटाबॉलिज़्म : डायबिटीज और मोटापे पर नियंत्रण।

प्रतिरक्षा : सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में कमी।

हार्मोनल संतुलन : पुरुषों में प्रोस्टेट स्वास्थ्य, महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य, अग्न्याशय की क्रियाशीलता से डायबिटीज पर नियंत्रण।

दीर्घायु और एंटी-एजिंग : सहनशक्ति और ऊर्जा में वृद्धि, हृदय और मस्तिष्क आघात से बचाव, मन की शांति और शरीर की युवा अवस्था।

🧘‍♂️ श्रवण ही ध्यान—ध्यान ही अमृत

“संगीत सरिता” में जो श्रवण हुआ, वह केवल कानों का सुख नहीं था। यह सामूहिक ध्यान की साधना थी। संगीत में डूबकर तनाव हार्मोन घटते हैं, नींद सुधरती है और मन गहन शांति का अनुभव करता है। यह वही अवस्था है जिसमें आत्मा और शरीर एकाकार होकर अमृत का अनुभव करते हैं।

🌺 निष्कर्ष

“संगीत सरिता” ने यह प्रमाणित कर दिया कि जब संगीत को समर्पण और निरंतरता से जिया जाए, तो यह केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन-साधना, स्वास्थ्य-उपचार और दीर्घायु का अमृत बन जाता है।

यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आधुनिक विज्ञान के संगम का प्रतीक था। इसने दिखाया कि संगीत समाज की एकता, पीढ़ियों के संवाद और जीवन की गुणवत्ता सुधारने का शक्तिशाली माध्यम है।

सचमुच, यह संध्या केवल गीतों का संग्रह नहीं, बल्कि संगीत का अमृत और जीवन का उत्सव थी।