
Scindia’s Property Dispute: ग्वालियर हाईकोर्ट ने सिंधिया परिवार को 90 दिन में सुलझाने का दिया आदेश
ग्वालियर। Scindia’s Property Dispute: हाईकोर्ट ने सिंधिया परिवार को 90 दिन में सुलझाने का दिया आदेश दिया है। इस आदेश के बाद क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी 3 बुआओं में बीच 40 हज़ार करोड़ की संपत्ति पर राजीनामा होगा!
माना जा सकता है कि देश के सबसे बड़े राजघरानों में शुमार सिंधिया परिवार के बीच लंबे समय से चल रहे ₹40,000 करोड़ की पैतृक संपत्ति विवाद में अब निर्णायक मोड़ आ गया है। ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीनों बुआओं वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और ऊषा राजे को आपसी सहमति से मामला निपटाने के आदेश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि 60 दिन के भीतर राजीनामे का आवेदन दाखिल किया जाए और 90 दिन में समझौते का क्रियान्वयन कर रिपोर्ट पेश की जाए, अन्यथा याचिका फिर से बहाल कर दी जाएगी।
*15 साल पुराना विवाद अब सुलझने की कगार पर*
सिंधिया परिवार की इस विरासत को लेकर वर्ष 2010 में कानूनी लड़ाई शुरू हुई थी। राजमाता विजयाराजे सिंधिया की बेटियों — वसुंधरा, यशोधरा और ऊषा — ने अदालत में दावा दायर कर कहा था कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का भी समान अधिकार है। दूसरी ओर, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने अधिकार का दावा ठोंका। मामला पहले ज़िला अदालत में चला, फिर अपील के बाद 2017 में यह ग्वालियर हाईकोर्ट पहुँचा, जहाँ इसे सिविल रिवीजन के रूप में दर्ज किया गया। पंद्रह साल की सुनवाई और कई बार की टलती कार्यवाहियों के बाद अब कोर्ट ने स्पष्ट समयसीमा तय कर दी है।
*संपत्ति का ब्योरा : जयविलास पैलेस से लेकर गोवा के मंदिर तक*
इस विवादित संपत्ति का अनुमानित मूल्य लगभग ₹40,000 करोड़ आँका गया है। इनमें शामिल प्रमुख संपत्तियाँ इस प्रकार हैं:
जयविलास पैलेस (ग्वालियर) – 12.40 लाख वर्गफीट में फैला महल, मूल्य करीब ₹10,000 करोड़।
शिवपुरी – माधव विलास पैलेस, हैप्पी विलास और जॉर्ज कैसल कोठी।
उज्जैन – कालियादेह पैलेस।
दिल्ली – ग्वालियर हाउस, राजपुर रोड का प्लॉट और सिंधिया विला।
पुणे – पद्म विलास पैलेस।
वाराणसी – सिंधिया घाट।
गोवा – विठोबा मंदिर।
इसके अलावा स्वतंत्रता काल के दौरान सिंधिया परिवार के पास 100 से अधिक कंपनियों के शेयर भी दर्ज हैं।
*अदालत की शर्तें और आगे की राह*
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि —
1. 60 दिन के भीतर सभी पक्ष आपसी राजीनामे का आवेदन कोर्ट में पेश करें।
2. 90 दिन के अंदर संपत्ति बंटवारे का व्यावहारिक समाधान कर कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल करें।
3. यदि ऐसा नहीं होता तो याचिका स्वतः बहाल कर दी जाएगी और कानूनी प्रक्रिया फिर से शुरू होगी।
*सदी का सबसे बड़ा पारिवारिक समझौता बन सकता है*
सिंधिया परिवार का यह विवाद अब तक भारत के सबसे बड़े पारिवारिक संपत्ति विवादों में गिना जाता रहा है। अदालत का आदेश इसे निपटाने की दिशा में ठोस कदम है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ज्योतिरादित्य और उनकी बुआएँ आपसी सहमति से इस ऐतिहासिक राजीनामे को अंजाम दे पाती हैं या मामला एक बार फिर लंबी कानूनी लड़ाई में उलझ जाएगा।





