रविवारीय गपशप : शासकीय सेवा के दो नाजुक वक्त – पदोन्नति और रिटायरमेंट!

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रविवारीय गपशप : शासकीय सेवा के दो नाजुक वक्त – पदोन्नति और रिटायरमेंट!

आनंद शर्मा

सरकारी नौकरी में आदमी के लिए दो मौके बड़े महत्वपूर्ण होते हैं। एक तो पदोन्नति का और दूसरा सेवाकाल की समाप्ति यानी रिटायरमेंट का । दोनों ही वक्त बंदे के लिए बड़े नाज़ुक हुआ करते हैं , और कई बार तो उसे इन आफ़तों का पता ही नहीं होता है ।

मेरा जब भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति का समय आया , तभी मुझे एक कारण बताओ नोटिस मिला जिसमें उज्जैन नगर निगम के आयुक्त रहने के दौरान की गई सामान की खरीदी में लापरवाही बरतने के आरोप थे । मैंने तलाश की तो उज्जैन नगर निगम के मेरे पूर्व पी.ए. त्रिवेदी ने बताया कि यह मामला तो आपके कार्यकाल का है ही नहीं , बल्कि आपकी जॉइनिंग के पहले का है । मैंने वैसा ही जवाब सामान्य प्रशासन विभाग को दे दिया और मान बैठा कि अब ये स्वयमेव समाप्त हो जाएगा। पर, कुछ महीनों बाद पाया कि नोटिस वहीं का वहीं था । मैं सामान्य प्रशासन विभाग में अंडर सेक्रेटरी से मिला और पूछा कि इसे समाप्त क्यों नहीं कर रहे हैं , तो उन्होंने बड़ा मज़ेदार जवाब दिया । कहने लगे “हमारे पास तो नगरीय प्रशासन विभाग से जाँच आई थी , सो हमने कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर दिया था , अब आपका जवाब आया है तो हमने पुष्टि के लिए उन्हें भेज दिया है “।

मैंने सर ठोका और कहा जाँच की बात से कोई गुरेज नहीं पर पोस्टिंग तो आप ही करते हो , मैं उस समय वहाँ पदस्थ था या नहीं ये तो आप ही बताओगे वे क्या करेंगे? बहरहाल तत्कालीन उपसचिव श्रीमती सुनीता त्रिपाठी की मदद से मेरी पदोन्नति की बैठक के पूर्व वह नोटिस नस्तीबद्ध हो गया ।

मेरी सेवानिवृत्ति के समय पेंशन शाखा का काम देख रहे श्री प्रजापति का बड़ा सहयोग रहा । मैंने मेरे साथ सेवा निवृत हो रहे अपने मित्रों महेश चौधरी और रजनीश श्रीवास्तव के बारे में उन्हें बताया और अनुरोध किया कि मेरी तरह इनके भी सेवानिवृत्ति के प्रकरण में आप सहयोग करिएगा । एक दिन प्रजापति मेरे पास आए और कहने लगे सर आपके मित्र श्रीवास्तव साहब के विरुद्ध एक बेनाम शिकायत पिछले दस बरस से जी.ए.डी. में पेंडिंग है , और उन्हें शायद पता भी ना होगा । मैंने उन्हें फ़ोन कर बताने की कोशिश की तो उनसे बात ही नहीं हो पायी । वे कमिश्नर हैं शायद सोचते हों “ क्या बाबू से बात करूँ” । मैंने कहा रजनीश ऐसा आदमी तो नहीं है , कहीं व्यस्तता रही होगी , मैं उन्हें बताता हूँ । रजनीश भाई को मैंने ब्रीफ़ किया तो वो कहने लगे यार मैं दौरों में व्यस्त था अब बात कर लेता हूँ और दिखवा भी लेता हूँ । शिकायत तो बेवजह सी थी तो निपट गई और पेंशन प्रकरण समय से केंद्र सरकार को भेज दिया गया ।

लेकिन कई बार अपने ही पराये हो जाते हैं । मैं इंदौर में अपर कलेक्टर था , तो कलेक्टर के ना रहने पर टाइम लिमिट संदर्भों की बैठक लेने का जिम्मा मेरा रहता था । बैठकों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिविल सर्जन डाक्टर श्रीवास्तव आया करते थे , जिनका विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में बड़ा सहयोगात्मक और सक्रिय रवैया रहता था । उस वर्ष वे रिटायर हो रहे थे और माह की जिस तारीख को वो रिटायर हो रहे थे , शासन ने उसी तारीख को डाक्टरों की रिटायरमेंट की अवधि बढ़ा दी । एक दिन पहले मैंने उन्हें सफल सेवाकाल की बधाई दी और दूसरे दिन सेवावृद्धि के उपहार की , पर अगले सप्ताह वे टी.एल. की बैठक में आए तो बड़े दुखी लग रहे थे । बैठक के बाद मेरे चेम्बर में आकर बैठे तो मैंने कुरेदा “ आप परेशान क्यों दिख रहे हो , क्या सेवावृद्धि से दुखी हैं ? डाक्टर साहब कहने लगे नहीं सर ऐसी बात नहीं है , मैं तो अपनों से ही परेशान हूँ । दरअसल मेरा सेवानिवृत्ति आदेश जारी हो चुका था , अब सेवावृद्धि का निर्णय उसी दिन हुआ तो उस आदेश को निरस्त कर पूर्वानुसार सेवा में बने रहने का आदेश निकलना है , पर सी.एम.एच.ओ. आदेश जारी ही नहीं कर रहे हैं , तो मैं सेवा में हूँ भी या नहीं ये ही तय नहीं कर पा रहा हूँ । स्वास्थ्य विभाग के अपने मित्रों को भोपाल फ़ोन लगा कर पूछा तो उन्होंने कहा कि हमने तो स्पष्टीकरण जारी कर दिया है और आख़िरी तारीख को सेवानिवृत होने वाले डाक्टरों को इसका लाभ मिलेगा । मैंने सर्कुलर की कॉपी बुलवाई और डाक्टर श्रीवास्तव को कहा कि आप जाइए ।

डॉ।श्रीवास्तव के जाने के बाद मैंने सी.एम.एच.ओ. साहब को यह कह कर बुलवाया कि कुछ अर्जेंट मैटर है, आप तुरंत आ जाओ । सी.एम.एच.ओ. आए तो मैंने सर्कुलर उन्हें थमाया और कहा शासन के आदेश के मुताबिक डाक्टर श्रीवास्तव के सेवनिवृति आदेश को रद्द कर सेवा में बने रहने का आदेश जारी कर दें । वे कुछ हिला हवाला करने लगे तो मैंने कहा आप आदेश का प्रारूप यहीं बुलवा कर , यहीं दस्तख़त करिए तभी आज आप घर जा पाएंगे । धमकी काम कर गई और अगले सप्ताह जब डाक्टर श्रीवास्तव बैठक में आये , तो उनके चेहरे की चमक बता रही थी , कि शासन की सेवावृद्धि के उपहार से वे कितने खुश हैं ।