Big Action of ED: अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा ब्लॉक से जुड़ा 20 करोड़ का गबन मामला – ED ने ₹4.5 करोड़ की 14 संपत्तियां अटैच की 

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Big Action of ED: अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा ब्लॉक से जुड़ा 20 करोड़ का गबन मामला – ED ने ₹4.5 करोड़ की 14 संपत्तियां अटैच की 

– राजेश जयंत

अलीराजपुर। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा ब्लॉक शिक्षा कार्यालय से जुड़े करोड़ों रुपये के गबन मामले ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। कथित फर्जीवाड़े में सरकारी खजाने से योजनाओं और वेतन मदों के नाम पर करोड़ों रुपये निकालने का खुलासा हुआ था। अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने निर्णायक कदम उठाते हुए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत 14 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर दिया है, जिनकी कीमत करीब ₹4.5 करोड़ आंकी गई है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत की गई है।

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*कैसे हुआ खुलासा*

यह पूरा घोटाला वर्ष 2018 से 2023 के बीच कट्ठीवाड़ा ब्लॉक शिक्षा कार्यालय (BEO) में हुआ। जांच रिपोर्टों के मुताबिक आरोपियों ने 917 फर्जी बिल तैयार किए और उन्हें IFMS (इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) में पास कराकर सरकारी खातों से भारी-भरकम रकम निकाल ली। शुरुआती ऑडिट में पता चला कि कुल ₹20.47 करोड़ की राशि अवैध तरीके से विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित की गई।

पैसे को छुपाने और वैध दिखाने के लिए रकम को लगभग 134 बैंक खातों में बांटा गया। इनमें से कई खाते कथित आरोपियों, उनके रिश्तेदारों और परिचितों के नाम पर थे। धीरे-धीरे रकम को नकद निकासी, आपसी खातों में ट्रांसफर और ज़मीन-जायदाद की खरीद के जरिये घुमाया गया।

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*ED की एंट्री- छापे, खाते फ्रीज़ और गिरफ्तारी*

जैसे ही कोष-लेखा विभाग ने इस गड़बड़ी को पकड़ा, मामला पुलिस तक पहुंचा और एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस की चार्जशीट के आधार पर ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच शुरू की।

जून 2025 में ED की टीम ने अलीराजपुर और इंदौर समेत कई स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान कई अहम दस्तावेज, बैंक पासबुक, प्रॉपर्टी डीड और डिजिटल सबूत जब्त किए गए। साथ ही कुछ बैंक खातों को तत्काल प्रभाव से फ्रीज़ किया गया। शुरुआती जांच में सामने आया कि आरोपी नेटवर्क ने करीब ₹9 करोड़ नकद निकाले और शेष रकम को अलग-अलग खातों के जरिए घुमाकर निवेश किया।

इसके बाद एजेंसी ने मुख्य आरोपी कमल राठौड़ को 7 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है और अदालत में मुकदमे का सामना कर रहा है।

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*14 संपत्तियां अटैच*

ED की ताज़ा कार्रवाई में जिन 14 अचल संपत्तियों को अटैच किया गया है, वे मुख्य रूप से अलीराजपुर, इंदौर और आसपास के जिलों में स्थित हैं। इनमें कृषि भूमि, प्लॉट और आवासीय भवन शामिल हैं। सभी संपत्तियों का कुल मूल्य लगभग ₹4.5 करोड़ है।

ED का कहना है कि ये संपत्तियां सीधे तौर पर गबन की गई सरकारी राशि से खरीदी गई थीं या फिर उसमें हिस्सेदारी रही थी। यही कारण है कि इन्हें PMLA के तहत अटैच किया गया है।

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*गबन की परतें- कैसे उड़ाए गए करोड़ों*

इस घोटाले की पड़ताल करने पर सामने आया कि शिक्षा विभाग के कुछ क्लर्क और अधिकारी DDO कोड (4902506054) का दुरुपयोग कर रहे थे। योजनाओं, वेतन, पेंशन और छात्रवृत्ति जैसे मदों पर खर्च दिखाने के लिए फर्जी बिल बनाए गए। फिर उन बिलों को सिस्टम में पास कराकर सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया।

रकम निकलने के बाद उसे नकद निकासी, हवाला-जैसे लेन-देन और रिश्तेदारों के खातों में भेजकर मनी-लॉन्ड्रिंग का पूरा नेटवर्क तैयार किया गया।

 

*स्थानीय स्तर पर सवाल- जिम्मेदारी किसकी?*

यह मामला केवल एक घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी वित्तीय प्रणाली पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। IFMS जैसे संवेदनशील सिस्टम में वर्षों तक करोड़ों का फर्जी लेन-देन होता रहा और ऑडिट या उच्च स्तर पर इसकी भनक तक नहीं लगी।

स्थानीय लोग और शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारी भी पूछ रहे हैं कि इतनी बड़ी रकम निकलने के बावजूद जिला और राज्य स्तर पर वित्तीय नियंत्रण और निगरानी कैसे नाकाम रही। ED की कार्रवाई से अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि बड़े अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो सकती है।

 

*ED का आधिकारिक बयान*

ED ने कहा है कि यह कार्रवाई मनी-लॉन्ड्रिंग जांच का हिस्सा है और अटैचमेंट अभी प्रोविजनल (अस्थायी) है। एजेंसी ने साफ किया कि यह प्रक्रिया अदालत में प्रस्तुत की जाएगी और आगे की न्यायिक कार्यवाही में अंतिम फैसला होगा।

साथ ही ED ने यह भी बताया कि जांच अभी जारी है और आगे की कार्रवाई में और संपत्तियों का खुलासा होने की संभावना है। यदि नए सबूत मिलते हैं तो अतिरिक्त अटैचमेंट या गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी।

अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा ब्लॉक का यह घोटाला सिर्फ एक जिले तक सीमित घटना नहीं है, बल्कि यह सरकारी धन के दुरुपयोग और सिस्टम की लापरवाहियों का उदाहरण भी है। ED की अब तक की कार्रवाई ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। स्थानीय प्रशासन और लचर कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह उठे हैं..

 

14 संपत्तियों का कुर्क होना इस बात का संकेत है कि गबन की रकम से खरीदी गई जायदादों को बचाया नहीं जा सकेगा। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि जांच और अदालत की कार्यवाही से इस बड़े घोटाले का अंत किस रूप में होता है और दोषियों को किस हद तक सज़ा मिलती है।