
Kissa – A-IAS: IAS Varun Baranwal: साइकिल पंचर की दुकान से IAS अफसर- संघर्ष और सफलता की प्रेरक कहानी
महाराष्ट्र के पालघर जिले के बोइसर कस्बे में जन्मे वरुण बरनवाल की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। एक छोटे से साइकिल मरम्मत की दुकान से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) तक का उनका सफर न केवल उनके परिवार की मेहनत और संघर्ष का प्रतीक है, बल्कि यह हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करना चाहता है।

*प्रारंभिक जीवन और संघर्ष*
वरुण के पिता, जो एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे, साइकिल मरम्मत की दुकान चलाते थे। दसवीं कक्षा की परीक्षा के तीन दिन बाद ही उनके पिता का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। इस घटना ने वरुण की दुनिया को हिलाकर रख दिया। रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उन्हें पढ़ाई छोड़कर दुकान संभालने की सलाह दी। लेकिन वरुण की मां ने कहा, “तुम पढ़ाई करो, मैं दुकान चलाऊंगी।” इस अटल संकल्प ने वरुण के जीवन की दिशा बदल दी।

*शिक्षा की ओर कदम*
वरुण ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और दसवीं में टॉप किया। हालांकि, आगे की पढ़ाई के लिए फीस और संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती थी। वरुण के शिक्षकों और परिवार के सहयोग से उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने साइकिल मरम्मत की दुकान भी संभाली और ट्यूशन भी पढ़ाई।

*कॉर्पोरेट नौकरी और UPSC की ओर कदम*
इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद वरुण को एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिली। लेकिन उनका सपना कुछ और था। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और UPSC की तैयारी शुरू की। कोचिंग की फीस का इंतजाम न होने के बावजूद उन्होंने एक संस्थान से मुफ्त में पढ़ाई की और वादा किया कि वे पहली बार में परीक्षा पास करेंगे। उन्होंने अपना वादा निभाया और UPSC परीक्षा में 32वीं रैंक प्राप्त की।
*प्रशासनिक सेवा में योगदान*
वरुण बरनवाल 2014 बैच के गुजरात कैडर के IAS अधिकारी हैं। उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिनमें बनासकांठा जिले के कलेक्टर और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में विशेष सचिव शामिल हैं। उनकी कार्यशैली और नीतियों ने कई सरकारी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने में मदद की है।
वरुण वर्तमान में दिल्ली में केंद्रीय कॉमर्स और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के प्राइवेट सेक्रेटरी हैं।
*समाज के लिए प्रेरणा*
वरुण की कहानी यह सिद्ध करती है कि अगर इरादा मजबूत हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है। उनकी मां का त्याग, शिक्षकों का सहयोग और समाज का समर्थन उनके सफलता के मुख्य कारण रहे हैं। आज वरुण बरनवाल न केवल एक सफल IAS अधिकारी हैं, बल्कि वे लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
वरुण बरनवाल की यात्रा हमें यह सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अगर हम ठान लें तो कोई भी सपना असंभव नहीं है। उनकी कहानी एक जीवंत उदाहरण है कि संघर्ष और समर्पण से बड़ी से बड़ी मंजिल को पाया जा सकता है।





