Navratri 2025 का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व, स्वरूप, भोग और

434

Navratri 2025 का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व, स्वरूप, भोग और मंत्र

– डॉ बिट्टो जोशी

नवरात्रि के दूसरे दिन शक्ति के तपस्वी स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी संयम, तप, ज्ञान और भक्ति की प्रतिमूर्ति मानी जाती हैं। उनका नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वे ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए परमात्मा की साधना में निरंतर लीन रहती हैं।

IMG 20250923 WA0018 1

**मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप**

मां ब्रह्मचारिणी स्थिरता और शक्ति का प्रतीक है। वे श्वेत वस्त्र धारण किए रहती हैं। उनके एक हाथ में जपमाला और दूसरे में कमंडल रहता है, जो तप और साधना का द्योतक है। उनके मुखमंडल पर करुणा, शांति और दिव्यता झलकती है। इस स्वरूप के दर्शन मात्र से भक्तों में संयम, धैर्य और ज्ञान का संचार होता है।

**भोग और प्रसाद**

इस दिन मां को खीर, फल, शहद, गुड़ और तीन प्रकार की मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना गया है। दूर्वा के सात पत्तों का विशेष महत्व है। उपवास करने वाले भक्त फलाहार, दूध और मेवों का सेवन कर मां को प्रसन्न करते हैं।

IMG 20250923 WA0017

*वंदना मंत्र-*

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

*आराधना मंत्र-*

“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”

*बीज मंत्र-*

“ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः।

श्रद्धापूर्वक इन मंत्र का जाप करने से जीवन में संयम, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

**पूजा विधि**

भक्त प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा अथवा चित्र के समक्ष पूजा करें। पूजा में जल, दूर्वा, पुष्प, फल और सिंदूर अर्पित किए जाते हैं। आरती और भजन के साथ मंत्रोच्चारण कर देवी की स्तुति की जाती है।

**महत्त्व**

नवरात्रि का दूसरा दिन साधना के प्रथम चरण का प्रतीक माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि सच्चे ज्ञान और सफलता का मार्ग संयम, तप और भक्ति से होकर गुजरता है। उनके आशीर्वाद से साधक को धैर्य, बुद्धि और दृढ़ता प्राप्त होती है, जिससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।

इस प्रकार नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को अध्यात्मिक शक्ति और जीवन में संतुलन प्राप्त होता है।