Navaratri 2025:4th day- ब्रह्मांड की जननी मां कूष्मांडा की आराधना का दिन

जानिए माता की पूजा विधि, कथा, स्वरूप, महत्व, भोग और मंत्र

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Navaratri 2025:4th day- ब्रह्मांड की जननी मां कूष्मांडा की आराधना का दिन

✍️ डॉ. बिट्टो जोशी

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। इन्हें सृष्टि की आदि शक्ति और सम्पूर्ण ब्रह्मांड की जननी माना जाता है। मान्यता है कि अपनी दिव्य मुस्कान और तेजस्वी ऊर्जा से उन्होंने अंडज ब्रह्मांड (कूष्म-अंड) की रचना की और सम्पूर्ण जगत को आलोकित किया। इस कारण से उन्हें सृष्टि की जननी, ऊर्जा, प्रकाश और जीवन शक्ति की देवी कहा जाता है।

मां कूष्मांडा भक्तों को अक्षय ऊर्जा, साहस, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और निर्भीकता का प्रतीक है।

🌸 मां कूष्मांडा का स्वरूप**

मां कूष्मांडा का तेजस्वी रूप भक्तों को शक्ति और करुणा का अनुभव कराता है। वे दस भुजाओं से अलंकृत हैं और कमण्डल, त्रिशूल, चक्र, धनुष-बाण, कमल, गदा व विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। उनका वर्ण स्वर्ण-प्रभामयी है, मानो सूर्य की प्रभा उनके चारों ओर बिखरी हो। वे कमल पर विराजित रहती हैं और सिंह पर विहार करती हैं। उनकी मुस्कान सम्पूर्ण सृष्टि में ऊर्जा और जीवन का संचार करती है।

📖 प्रसिद्ध कथा**

पुराणों में वर्णित है कि जब ब्रह्मांड का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर केवल अंधकार छाया हुआ था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से अंडज ब्रह्मांड की रचना की। उसी से जगत का निर्माण हुआ और संसार में प्रकाश फैला।

कथाओं में यह भी उल्लेख मिलता है कि राक्षसों के आतंक से देवता व्यथित हो उठे थे। तब मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य शक्ति से दुष्टों का नाश किया और देवताओं को निर्भय किया। इसीलिए उन्हें सृष्टि की आदि जननी और ऊर्जा की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है।

🙏 पूजन का महत्व**

– मां कूष्मांडा की पूजा से मानसिक शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।

– साधक का स्वास्थ्य उत्तम होता है और रोग-व्याधियां दूर होती हैं।

– जीवन में नयी ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मकता का संचार होता है।

– घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

– कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति के मार्ग खुलते हैं।

– आध्यात्मिक साधना करने वालों को सिद्धि, ध्यान और तप में विशेष लाभ मिलता है।

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🌞 ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व**

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां कूष्मांडा का संबंध सूर्य ग्रह से माना जाता है। उनकी उपासना से साधक को सूर्य की भांति तेज, स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। सूर्य से संबंधित दोषों का निवारण होता है और जीवन में आत्मविश्वास बढ़ता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से मां कूष्मांडा साधक के अनाहत चक्र को सक्रिय करती हैं, जिससे हृदय में प्रेम, करुणा और दिव्य ऊर्जा का प्रवाह होता है।

🍲 भोग और प्रसाद**

मां कूष्मांडा को फलाहारी व्यंजन अर्पित करना शुभ माना जाता है। भक्त उन्हें

हलवा,मालपुआ, मीठा चावल, खीर, दूध, गुड़, मेवा और फल

का भोग लगाते हैं।

मान्यता है कि इस दिन अर्पित किया गया यह भोग साधक के जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि को स्थायी बनाता है।

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🕉️ पूजन मंत्र

“ॐ कूष्माण्डायै नमः”

भक्ति भाव से इस मंत्र का जप करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और साधक के जीवन में प्रकाश, साहस तथा आनंद का संचार होता है।

 

🪔 पूजन विधि

1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष कलश स्थापित करें।

3. अक्षत, पुष्प, सिंदूर, दूर्वा, धूप, दीप और जल अर्पित करें।

4. भोग लगाकर मंत्रों का जाप करें।

5. आरती और स्तुति के साथ माता से आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

6. पूजा के बाद घर में प्रसाद का वितरण करें और परिवार सहित माता का स्मरण करें।

मां कूष्मांडा की उपासना से साधक के जीवन में नई ऊर्जा और आत्मबल का संचार होता है। वे अंधकार को दूर कर प्रकाश का मार्ग दिखाती हैं और हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करती हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से भी उनकी आराधना सूर्य की कृपा दिलाती है।

नवरात्रि के इस चौथे दिन मां की साधना से जीवन आलोकित होता है, कठिनाइयाँ दूर होती हैं और साधक सुख, शांति व समृद्धि प्राप्त करता है।

****जय माता दी****