
MP में 89 नहीं 88 आदिवासी विकासखंड, डीनोटिफाई हुए बैतूल को फिर जोड़ने की तैयारी
भोपाल: मध्यप्रदेश में 89 नहीं बल्कि 88 आदिवासी विकासखंड है। आदिवासी विकासखंड बैतूल को बीच में डीनोटिफाई कर दिया गया था अब राजभवन के जनजातीय प्रकोष्ठ इसे राज्यपाल के निर्देश पर इसे फिर से नोटिफाई कराने की तैयारी में है। दरअसल यहां की केवल चालीस फीसदी आबादी ही आदिवासी होने के कारण इसे डीनोटिफाई किया गया था लेकिन आदिवासी विकासखंड होंने के कारण इसे मिलने वाली सुविधाएं जारी थी।अब फिर इसकी खोजबीन इर इसे नोटिफाई कराने की तैयारी है। लेकिन पंचायतों के चुनावों में इसका असर होगा और जिला, जनपद पंचायत के प्रमुख पदों और पंचायतों में इसी वर्ग के व्यक्ति के लिए पद आरक्षित हो जाएंगे इसके चलते यह प्रस्ताव खटाई में पड़ सकता है।
मध्यप्रदेश के इक्कीस जिलों में फैले 89 विकासखंडों को आदिवासियों की अधिक आबादी के कारण आदिवासी विकासखंड के रुप में चिन्हांकित करते हुए इस आबादी को ध्यान में रखकर सुविधाएं प्रदान करने, चुनावों में इनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी।आदिवासी विकासखंडों की स्थापना और रखरखाव करने का उद्देश्य जनजातीय समुदायों का सामाजिक और आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है ताकि उन्हें अन्य समुदाय के समान अवसर मिल सके।
मध्यप्रदेश का बैतूल विकासखंड पहले 89 आदिवासी विकासखंडों में शामिल था लेकिन वर्ष 2003 में इसे पंचायती राज एक्ट 1993 के प्रावधानों के तहत डीनोटीफाई कर दिया गया। राजभवन में बने जनजातीय प्रकोष्ठ ने देशभर में आदिवासी विकासखंडों को नोटिफाई करने के निर्देश के तहत बैतूल को एक बार फिर आदिवासी विकासखंड में नोटिफाई कराने के निर्देश दिए है। जनजातीय कल्याण विभाग इसका प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है। पहले इसे कैबिनेट से स्वीकृत कराना होगा इसके बाद इसे स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा तब यह वापस नोटिफाई हो पाएगा।
राज्य सरकार इस विकासखंड में आदिवासियों के लिए दी जाने वाली योजनाओं को तो लागू कर रही है लेकिन यहां पंचायती राज संस्थाओं में इस वर्ग के लिए पदों के आरक्षण के लिए जनप्रतिनिधि तैयार नहीं है। इसलिए यह प्रस्ताव तैयार भी हुआ तो इसकी स्वीकृति मिलना मुश्किल होगा।
इन 21 जिलों में है आदिवासी आबादी-
मध्यप्रदेश के धार, खरगौन, बड़वानी, आलीराजपुर, झाबुआ, मंडला और छिंदवाड़ा ऐसे जिले है जहां आदिवासी समुदाय की बड़ी आबादी निवास करती है। प्रदेश के छह जिले पूर्ण रुप से जनजाति बहुल जिले है और पंद्रह आंशिक जनजाति बहुल जिले है। मध्यप्रदेश में भारत की कुल जनजातीय जनसंख्या की 14.64 फीसदी जनसंख्या निवास करती है। डेढ़ करोड़ से अधिक आबादी इनकी मध्यप्रदेश में है। पंद्रह जिलों में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया के विशेष पिछड़ी जाति समूह अभिकरण संचालित है।
मध्यप्रदेश की प्रमुख जनजातियों में भील, भिलाला, गोंड, कोल, कोरकू, सहरिया, भारिया, बैगा, सोर, पटेलिया, मवासी, पनिका, कंवर, हल्बी, मुडा और खारिया है।
यह लाभ मिलते है-
राज्य सरकार जनजातीयों के सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक विकास के साथ ही उनके स्वास्थ्य, पोषण के लिए आदिवासी उपयोजना मद में विशेष प्रावधान कर रही है।आहार अनुदान, आकांक्षा योजना, प्रतिभा योजना, आवास सहायता, विदेश अध्यन छात्रवृत्ति, प्री एवं पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति, अखिल भारतीय सेवाओं के लिए कोचिंग एवं प्रोत्साहन, योजनाएं संचालित की जा रही है।





