
Navratri 2025: मां स्कंदमाता को समर्पित पांचवा दिन, जानिए महिमा और उपासना का महत्व
– डॉ बिट्टो जोशी
नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के स्वरूप स्कंदमाता की आराधना के लिए समर्पित है। देवी स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण इस नाम से जानी जाती हैं। उनका शरीर गंगा के निर्मल जल की भांति उज्ज्वल है। चार भुजाओं वाली यह देवी अपनी गोद में बाल स्कंद को धारण करती हैं। दो हाथों में कमल हैं, एक हाथ में वरमुद्रा और दूसरे हाथ में अभयमुद्रा। शेर पर सवार उनका यह रूप साहस और शक्ति का प्रतीक है, जबकि उनके गोद में बालक कार्तिकेय मातृत्व और ममता का संदेश देते हैं।

**पौराणिक कथा**
पुराणों के अनुसार, असुर तारकासुर के अत्याचार से त्रस्त देवताओं और मानवों की मुक्ति के लिए भगवान शिव और पार्वती के पुत्र स्कंद का जन्म हुआ। स्कंद ने तारकासुर का वध कर देवताओं को विजय दिलाई और इसी कारण माता को स्कंदमाता कहा गया। इस कथा का संदेश यही है कि मां अपने पुत्र की तरह भक्तों को भी संरक्षण और संकटों से मुक्ति प्रदान करती हैं।

**पूजा का महत्व**
मां स्कंदमाता की उपासना से भक्त को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की सफलताएं मिलती हैं। उनकी पूजा से ज्ञान, बुद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। संतानहीन दंपति को संतान सुख मिलता है, रोग-कष्ट दूर होते हैं और परिवार में सुख-शांति तथा सौभाग्य का वास होता है। भक्तों का विश्वास है कि देवी की कृपा से कठिन से कठिन संकट भी आसानी से टल जाते हैं और जीवन की राह सुगम बन जाती है।

**पूजन विधि**
नवरात्रि के पांचवें दिन प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने के बाद माता की प्रतिमा या चित्र के समक्ष कलश स्थापित किया जाता है। जल से अभिषेक कर पुष्प, कुमकुम, अक्षत और गंध अर्पित किए जाते हैं। दूध, दही, मिश्री, गुड़ और चावल का भोग मां को अर्पित किया जाता है। इस दौरान “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना गया है। अंत में दीप प्रज्वलित कर आरती कर भक्त अपनी मंगलकामनाएं मां के चरणों में समर्पित करते हैं।
**विशेष उपाय और लाभ**
आस्थावानों का कहना है कि विवाह में विलंब हो तो इस दिन मां को पीले फूल और केले का भोग लगाना चाहिए। संतान की कामना करने वाले दंपति दूध और मिश्री अर्पित करें तो विशेष लाभ होता है। आर्थिक समृद्धि के लिए भक्त लाल कुमकुम से “ॐ ह्रीं स्कंदमातायै नमः” लिखकर दीपक के पास रखते हैं और मानसिक शांति के लिए रुद्राक्ष की माला से मंत्रजप करते हैं।के
**मंत्र और वंदना**
मंत्र – ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।
वंदना – “स्कंदमातरां हरेः पुत्रां कुमारीमङ्गलेश्वरि। सर्वमङ्गलदात्रीं च नमामि जगतां शुभे॥”।
इस वंदना से भक्तों के हृदय में श्रद्धा और विश्वास का संचार होता है और मन में सकारात्मक ऊर्जा का उदय होता है।
नवरात्रि के पावन अवसर पर मां स्कंदमाता की उपासना करने से भक्त का जीवन प्रकाशमय होता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को न केवल सांसारिक सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल भी प्राप्त होता है। मां स्कंदमाता की आराधना मनुष्य को हर कठिनाई से लड़ने का साहस और धैर्य प्रदान करती है।
****जय माता दी****





