Navratri 2025: सातवां दिन: “मां महागौरी” शुद्धता, शांति और समृद्धि की अधिष्ठात्री

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Navratri 2025: सातवां दिन: “मां महागौरी” शुद्धता, शांति और समृद्धि की अधिष्ठात्री

 

– डॉ बिट्टो जोशी

 

नवरात्रि का सातवां दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां महागौरी की उपासना को समर्पित होता है। मां महागौरी का स्वरूप श्वेत और अत्यंत दिव्य है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और चंद्रमा जैसी उज्जवल आभा से आलोकित होती हैं। उनकी यह छवि पवित्रता, शांति और निर्मलता का प्रतीक है। माना जाता है कि माँ महागौरी की कृपा से जीवन से समस्त दोष, पाप और नकारात्मकता समाप्त होकर सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है।

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**मां महागौरी का स्वरूप और महत्त्व**

मां महागौरी को देवी पार्वती का ही अत्यंत पवित्र और तेजस्वी रूप माना जाता है। उन्होंने कठोर तपस्या से अपने शरीर को इतना उज्जवल और गौरवर्ण बना लिया कि उनका नाम ही महागौरी पड़ गया। उनके हाथों में त्रिशूल और डमरू शोभित होते हैं तथा उनका वाहन वृषभ (बैल) है, जो सामर्थ्य, धैर्य और स्थिरता का प्रतीक है। उनका स्वरूप इस बात का संदेश देता है कि जीवन में संयम और तपस्या से ही शुद्धता और दिव्यता प्राप्त की जा सकती है।

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**महागौरी माता की कथा**

पौराणिक कथा के अनुसार, जब मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की, तो उनके शरीर का रंग तप के कारण काला हो गया। उनकी कठोर साधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा जल से उन्हें स्नान कराया। उस स्नान से उनका स्वरूप एकदम उज्जवल और गौर हो गया, तभी से वे महागौरी कहलाने लगीं। माना जाता है कि उनकी दिव्य शक्ति ने असुरों का विनाश कर संसार को भयमुक्त किया और धर्म की पुनः स्थापना की।

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**मां महागौरी की विशेषताएं**

मां महागौरी शुद्धता और पवित्रता की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनके तेज से अज्ञान, पाप और अंधकार का नाश होता है। उनका सौम्य और शांत रूप यह दर्शाता है कि करुणा और सरलता में भी असीम शक्ति छिपी होती है। उनके आशीर्वाद से भक्तों के जीवन में समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है, मानसिक शांति प्राप्त होती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। महागौरी का पूजन दांपत्य जीवन में सुख-सौहार्द और स्थिरता भी प्रदान करता है।

 

**पूजा विधि और मंत्र**

नवरात्रि के सातवें दिन भक्त मां महागौरी की आराधना सफेद वस्त्र पहनकर करते हैं और उन्हें सफेद या हल्के रंग के पुष्प अर्पित किए जाते हैं। पूजा में दूध, हल्दी, मिश्री, खीर और मेवे का विशेष महत्व है। श्रद्धालु ध्यानपूर्वक उनका नाम-स्मरण करते हुए प्रार्थना करते हैं कि वे जीवन से सभी दोषों को दूर करें और नई ऊर्जा प्रदान करें।

प्रमुख मंत्र:

॥ ॐ महागौर्यै विद्महे पद्मनाभै धीमहि । तन्नो दुर्गि प्रचोदयात्॥

 

**भोग और प्रसाद**

मां महागौरी को दूध, मिश्री, खीर, हल्दी और सफेद पुष्प अर्पित किए जाते हैं। माना जाता है कि इन प्रसादों से भक्तों का जीवन पवित्र और संतुलित बनता है। सफेद रंग के भोग और पुष्प उनके सौम्य और निर्मल स्वरूप का प्रतीक माने जाते हैं।

 

**पूजा के लाभ और विशेष उपाय**

मां महागौरी की आराधना से जीवन के सभी प्रकार के भय, रोग और संकट दूर हो जाते हैं। आत्मशुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। भक्तों को दैहिक, दैविक और भौतिक समृद्धि का वरदान मिलता है। उनकी पूजा दांपत्य जीवन को सुखमय और पारिवारिक जीवन को संपन्न बनाती है। सातवें दिन व्रत, जागरण और दान करना विशेष फलदायी माना जाता है। साथ ही सफेद वस्त्र धारण कर पूजा करने और दूध-मिश्री का भोग लगाकर उसका वितरण करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

नवरात्रि का सातवां दिन हमें यह शिक्षा देता है कि शुद्धता, संयम और धैर्य अपनाकर हम अपने जीवन से सभी नकारात्मकताओं को दूर कर सकते हैं। मां महागौरी की उपासना से आत्मबल बढ़ता है, जीवन में उजाला आता है और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर माँ महागौरी की कृपा से भक्तों का जीवन मंगलमय और सफल बन जाता है।

🙏🙏जय माता दी🚩🚩