
Chhindwara Cough Syrup Mystery: जांच में सिरप में जहरीला तत्व नहीं मिला, पूरे राज्य में अलर्ट जारी, 2 कोल्ड सिरप पर लगाया बैन
Chhindwar: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में संदिग्ध कफ सिरप के सेवन से हुई मासूम बच्चों की मौतों ने स्वास्थ्य व्यवस्था को झकझोर दिया है। अब तक कुल 9 बच्चों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अन्य बच्चे गंभीर हालत में उपचाराधीन हैं। शुरुआती जांच में सिरप में जहरीले तत्व डायएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) की आशंका जताई गई थी, लेकिन ICMR और केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं की ताज़ा रिपोर्टों में सिरप के सैंपल सुरक्षित पाए गए हैं।

**घटना का क्रम**
पहली मौतें 24 अगस्त से 7 सितंबर 2025 के बीच दर्ज की गईं। तब तक 6 बच्चों की मृत्यु हो चुकी थी। इसके बाद 2 अक्टूबर को तीन और मौतों की पुष्टि हुई, जिससे आंकड़ा 9 तक पहुंच गया।
सभी मृतक बच्चे 5 से 10 वर्ष के बीच के थे। इन बच्चों को सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायत पर स्थानीय मेडिकल स्टोर्स से कफ सिरप दिया गया था। इसके कुछ दिनों बाद उनमें तेज बुखार, पेशाब रुकना और किडनी फेल्योर जैसे लक्षण दिखे।
**कौन-से सिरप पर संदेह हुआ**
स्थानीय स्तर पर जिन ब्रांडों को लेकर संदेह जताया गया, वे हैं —
1. कोल्ड्रिफ (Coldrif)
2. नेक्सट्रॉस-डीएस (Nextro-DS)
इन सिरपों की बिक्री पर जिले में तुरंत प्रतिबंध लगा दिया गया। बाद में राज्य सरकार ने पूरे मध्य प्रदेश में इन दोनों ब्रांडों की बिक्री और वितरण पर रोक लगाई।
तमिलनाडु सरकार ने भी Coldrif सिरप को राज्य में बैन कर दिया है।
**जांच में सामने आई स्थिति**
ICMR और सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी (CDL, कोलकाता) की जांच रिपोर्टों में अब तक लिए गए 19 सैंपलों में से 9 सैंपल सुरक्षित पाए गए हैं।
इनमें डायएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) या एथिलीन ग्लायकॉल जैसे कोई भी विषैले तत्व नहीं मिले।
हालांकि बच्चों की किडनी बायोप्सी रिपोर्ट में “टॉक्सिन-मीडिएटेड इंजरी” (विष प्रेरित क्षति) के संकेत जरूर पाए गए हैं, जिससे जांच एजेंसियां अब अन्य संभावित कारणों—जैसे गलत दवा संयोजन या संक्रमण—की भी जांच कर रही हैं।
**सरकारी और केंद्रीय कार्रवाई**
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलर्ट जारी किया है कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दिया जाए।
DGHS (Directorate General of Health Services) ने कहा है कि छोटे बच्चों में खांसी-जुकाम के इलाज के लिए सिरप का अनावश्यक उपयोग न किया जाए।
ICMR, CDSCO और राज्य औषधि नियंत्रण विभाग मिलकर सभी सैंपलों की दोबारा जांच कर रहे हैं।
छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों से विस्तृत बयान दर्ज किए हैं और सभी मेडिकल स्टोर्स के स्टॉक जब्त किए हैं।
**वर्तमान स्थिति**
अब तक 15-16 बच्चे प्रभावित पाए गए हैं, जिनमें 4 बच्चे नागपुर के अस्पतालों में डायलिसिस पर हैं।
राज्य स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि “जांच पूरी तरह वैज्ञानिक तरीके से की जा रही है, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।”
राज्यभर के मेडिकल स्टोर्स को निर्देश दिया गया है कि वे संदिग्ध बैच के सिरप तत्काल लौटाएं।
भले ही प्रारंभिक आशंका “जहरीले सिरप” की रही हो, लेकिन अब तक की प्रयोगशाला रिपोर्टों में कोई विषाक्तता नहीं मिली है।
इससे यह मामला और पेचीदा हो गया है — क्या दवा के कुछ बैच दूषित थे, या कोई अन्य कारण से बच्चों की किडनी फेल हुई — इसकी पुष्टि ICMR और CDSCO की विस्तृत रिपोर्ट से होगी।
फिलहाल सरकार ने राज्यव्यापी सतर्कता घोषित कर दी है और बच्चों में खांसी-जुकाम के इलाज में सावधानी बरतने की अपील की है।





