
‘सायरन मैन’ की जगह ‘आयरन लेडी’ को मिला नोबेल पीस प्राइज…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
हमने एक दिन पहले ही लिखा था कि ट्रंप की ‘तबाही और डर’ की मानसिकता को आइना दिखा रहा साहित्य का नोबेल पुरस्कार… और अब यह साबित हो गया है कि ट्रंप को आइना दिखा दिया गया था। नोबेल पीस प्राइज घोषित हो चुका है। दरअसल युद्ध के समय जब युद्ध का सायरन बजता है तो उसके कई मायने होते हैं। जैसे- हवाई हमले की वार्निंग के लिए सायरन बजाया जाता है। इसके अलावा एयरफोर्स के साथ रेडियो संपर्क को चालू करने के लिए, हमले के दौरान सिविल डिफेंस की तैयारियों की जांच के लिए, हमले के दौरान ब्लैकआउट एक्सरसाइज के लिए और कंट्रोल रूम की तैयारियों की जांच के लिए ये सायरन बजाए जाते हैं। और आज अगर देखा जाए तो पूरी दुनिया में युद्ध के सायरन बज रहे हैं। और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न देशों के बीच युद्ध के ऐसे सायरन बजवाकर इनके जरिए शांति की राह निकालकर शांति का नोबेल पुरस्कार पाने की जद्दोजहद में लगे थे। भारत और पाकिस्तान का युद्ध इसका प्रमाण है जिसमें दोनों के बीच युद्ध विराम कराने का श्रेय बटोरने में डोनाल्ड ट्रंप ने कतई समझौता नहीं किया। उद्देश्य यही था कि नोबेल पीस प्राइज उन्हें मिल सके। इसी तरह के प्रयोग उन्होंने रूस-यूक्रेन, इजराइल-फिलिस्तीन और जहां मौका मिला वहीं किया। ऐसे में खुद को ‘पीस मैन’ साबित करने का दुष्प्रयास करते अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘सायरन मैन’ की तरह ही नजर आए हैं। और अब जब नोबेल पीस प्राइज की घोषणा हो चुकी है तो यह साबित हो गया है कि कमेटी ने ‘सायरन मैन’ की जगह ‘आयरन लेडी’ को इसका हकदार माना है। वेनेजुएला की मारिया मचाडो को 2025 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है। कोरिना मचाडो लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने में अपने योगदान के लिए वेनेजुएला में ‘आयरन लेडी’ के नाम से मशहूर हैं।
नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी हर साल इस पुरस्कार के लिए ऐसे लोगों या संस्थाओं को चुनती है, जो शांति को बढ़ावा देने, देशों के बीच भाईचारे को मजबूत करने और समाज के लिए काम करने में योगदान देते हैं। और दबाव-प्रभाव से परे यह पुरस्कार हमेशा चौंकाने वाला होता है। और इस बार भी कमेटी ने सबको नहीं तो कम से कम ट्रंप को चौकाते हुए मारिया कोरिना मचाडो पेरिस्का को नोबेल पीस प्राइज दे दिया है। मारिया को वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के उनके अथक कार्य और तानाशाही की जगह लोकतंत्र में न्याय और शांति स्थापित करने के उनके संघर्ष के लिए दिया गया है। शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरिना मचाडो ने साबित किया है कि लोकतंत्र, शांति का भी जरिया है। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और चर्चित नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान शुक्रवार यानि 10 अक्टूबर 2025 को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में होते ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सपना चकनाचूर हो गया। शांति पुरस्कार, वार्षिक नोबेल पुरस्कारों में से एकमात्र पुरस्कार है जो ओस्लो, नॉर्वे में प्रदान किया जाता है।
मारिया कोरिना मचाडो पेरिस्का (जन्म 7 अक्टूबर 1967) वेनेजुएला की एक राजनीतिज्ञ और औद्योगिक इंजीनियर हैं जो वर्तमान में वेनेजुएला में विपक्ष की नेता हैं। उन्होंने 2011 से 2014 तक वेनेजुएला की नेशनल असेंबली की निर्वाचित सदस्य के रूप में कार्य किया।
मचाडो ने 2002 में अलेजैंड्रो प्लाज के साथ वोट-निगरानी समूह सूमेट के संस्थापक और नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। वह राजनीतिक दल, वेंटे वेनेज़ुएला की राष्ट्रीय समन्वयक हैं। 2018 में, उन्हें बीबीसी की 100 महिलाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। 2025 में, टाइम पत्रिका ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोग में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया। मचाडो को वेनेजुएला के विपक्ष का एक प्रमुख व्यक्ति माना जाता है। वेनेजुएल में निकोलस मादुरो सरकार ने मचाडो को वैनेजुएला छोड़ने से प्रतिबंधित कर दिया था। मचाडो 2012 के वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार थी, लेकिन हेनरी के कैप्रिल्स से हार गई। 2014 में वेनेजुएला विरोध के दौरान, मचाडो निकोलस मादुरो की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में प्रमुख हस्तियों में से एक थी। 2019 में, वेनेजुएला के राष्ट्रपति संकट के बीच, उन्होंने घोषणा की कि अगर विवादित अंतरिम राष्ट्रपति जुआन गुआइडो ने सफलतापूर्वक चुनाव के लिए आह्वान किया तो वह दूसरी राष्ट्रपति पद की दौड़ शुरू करेंगी।गुआइडो अंततः अपने प्रयासों में असफल रहे। वह 2023 के यूनिटरी प्लेटफॉर्म के प्राथमिक चुनावों में वेंटे वेनेजुएला के लिए एक पूर्व उम्मीदवार थीं, हालांकि 30 जून 2023 को उन्हें वेनेजुएल के नियंत्रक जनरल द्वारा पंद्रह साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। जनवरी 2024 में वेनेजुएला के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उनकी अयोग्यता की पुष्टि की गई थी। प्राथमिक चुनाव जीतने के बाद, मचाडो को 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए विपक्षी उम्मीदवार घोषित किया गया था, हालाँकि 22 मार्च 2024 को उनकी जगह कोरिना योरिस ने ले ली थी। योरिस को एक उम्मीदवार के रूप में पंजीकरण करने से रोक दिया गया था और अस्थायी रूप से एडमंडो गोंजालेज उरुतिया द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। 1 अगस्त 2024 को, मचाडो ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक पत्र प्रकाशित किया, जिसमें कहा गया था कि वह “निकोलस मादुरो की तानाशाही से अपने जीवन, अपनी स्वतंत्रता और अपने साथी देशवासियों के डर से” छिप गई थी।
और अब नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरिना मचाडो की पहली प्रतिक्रिया आई है। कोरिना ने अपनी जीत पर खुशी जताते हुए कहा कि वह शॉक में हैं। वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना की जीत के बाद एडमंडो गोंजालेज उरुटिया ने उन्हें फोन किया था। इस दौरान कोरिना आश्चर्यमिश्रित खुशी जताती नजर आईं। इस पर गोंजालेज ने भी कहा कि वह भी काफी ज्यादा खुश और हैरान हैं। बता दें कि जब पिछले साल कोरिना के राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने पर रोक लग गई थी तो एडमंडो ने उनकी जगह ली थी। वहीं, जब नॉर्वेजियन नोबल इंस्टीट्यूट के निदेशक क्रिस्टियन बर्ग हार्पविकेन ने उन्हें फोन कर विजेता होने की जानकारी दी तो वह आंसुओं में डूब गईं।
कोरिना मचाडो फिलहाल किसी अज्ञात स्थान पर छिपी हुई हैं। पिछले साल वेनेजुएला में हुए चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने व्यापक रूप से धांधली की थी। जिसका मारिया कोरिना मचाडो ने जमकर विरोध किया था। उसके बाद से ही उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है।
मारिया कोरिना मचाडो ने वेनेज़ुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने में बिना थके काम किया है।
नोबेल समिति ने कहा कि वह मारिया कोरिना मचाडो को यह पुरस्कार इसलिए दे रही है क्योंकि उन्होंने वेनेज़ुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने में बिना थके काम किया है। साथ ही तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र के लिए न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण बदलाव लाने के लिए संघर्ष किया है। समिति ने मचाडो की तारीफ करते हुए उन्हें “शांति की बहादुर और समर्पित चैंपियन” बताया, जो “बढ़ते अंधेरे (तानाशाही) के समय भी लोकतंत्र की रोशनी को जलाए रखती हैं।”
खैर मूल मुद्दा यही है कि दुनिया में डर और तबाही का माहौल निर्मित कर नोबेल पीस प्राइज नहीं पाया जा सकता है। ‘सायरन मैन’ बनकर शांति पुरुष का मुखौटा नहीं लगाया जा सकता है। नार्वे की राजधानी ओस्लो में नोबेल पीस प्राइज कमेटी ने इस बात पर मोहर लगा दी है। और ‘सायरन मैन’ डोनाल्ड ट्रंप की जगह ‘आयरन लेडी’ मारिया कोरिना मचाडो पेरिस्का को नोबेल पीस प्राइज मिल चुका है…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





