
धर्मराजपुरी महाराज का अद्भुत संकल्प: हाथों के बल नर्मदा परिक्रमा की 3500 किमी यात्रा
अमरकंटक: मध्य प्रदेश: पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी अखाड़ा के प्रमुख धर्मराजपुरी महाराज ने एक अनूठा और साहसिक संकल्प लिया है। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा को पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि उल्टे होकर, केवल हाथों के बल पर चलकर करने का निर्णय लिया है। यह यात्रा लगभग 3500 किलोमीटर लंबी होगी, जिसे महाराज चार वर्षों में पूरा करने की योजना बना रहे हैं।

*यात्रा की शुरुआत और मार्ग*
यह अनोखी परिक्रमा नवरात्रि के समापन, अर्थात दशहरा के दिन, अमरकंटक स्थित नर्मदा के उद्गम स्थल से शुरू हुई थी। धर्मराजपुरी महाराज के साथ उनके अन्य संत भी इस यात्रा में सहभागी हैं।
यात्रा का मार्ग छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र होते हुए गुजरात तक जाएगा। गुजरात में समुद्र तट पार करने के बाद, महाराज नर्मदा के उत्तरी तट से वापस अमरकंटक लौटेंगे, जिससे परिक्रमा पूरी होगी।
*यात्रा की गति और वर्तमान स्थिति*
धर्मराजपुरी महाराज प्रतिदिन लगभग 2 से 3 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं। अब तक, उन्होंने लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पार की है।
**उद्देश्य और प्रेरणा**
इस अनूठी यात्रा का मुख्य उद्देश्य नर्मदा नदी के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करना है। धर्मराजपुरी महाराज का मानना है कि इस कठिन यात्रा के माध्यम से वे न केवल अपनी आस्था को प्रगाढ़ करेंगे, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश देंगे।
धर्मराजपुरी महाराज की यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है,. बल्कि यह मानव संकल्प, साहस और आस्था की मिसाल भी प्रस्तुत कर रही है।





