
Kissa-A-IAS: Shalini Agarwal: 3 वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाने वाली IAS अधिकारी
सुरेश तिवारी
शहरों की आवाजाही, उद्योगों की रफ्तार और जीवन की झड़ी-सी जरूरतों के बीच पानी की कमी और स्वच्छता की चुनौतियां अक्सर आवाज़ नहीं पा पाती। ऐसे समय में जब प्राकृतिक संसाधन सीमित हों और नागरिकों की उम्मीदें बढ़ती हों, एक प्रशासनिक अधिकारी की पहल सब कुछ बदल सकती है।

शालिनी अग्रवाल, 2005 बैच की आईएएस अधिकारी, जिनका प्रारंभिक जीवन राजस्थान में शुरु हुआ, ने ना केवल अपनी शिक्षा और करियर से प्रशासन में एक मजबूत पहचान बनाई है बल्कि “वर्षा कल निधि” जैसी पहल से सैकड़ों स्कूलों में जल संरक्षण स्थापित कर 1.8 लाख छात्रों को लाभ पहुंचाया और वर्षा का 10 करोड़ लीटर पानी बचाने का लक्ष्य प्राप्त किया। उनकी कहानी यह दिखाती है कि अथक परिश्रम, सोच की स्पष्टता और समाज के प्रति जिम्मेदारी से कैसे बड़े पैमाने पर परिवर्तन लाया जा सकता है।

शालिनी अग्रवाल का जन्म 28 अक्टूबर 1980 को जयपुर, राजस्थान में हुआ। उन्होंने राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.ई. की डिग्री प्राप्त की।
उनकी प्रशासनिक सेवा में प्रवेश 2005 में हुआ जब उन्हें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता मिली और गुजरात कैडर मिला।

*प्रारंभिक पद और अनुभव*
दाहोद में असिस्टेंट कलेक्टर के पद से उन्होंने अपनी सरकारी करियर की शुरुआत की। इसके बाद SDM, जिला विकास अधिकारी (District Development Officer), Additional Commissioner (Commercial Tax), Godhara, Tapi आदि जिलों में कई ज़िम्मेदारियां निभाईं।

राज्य सरकार द्वारा “Best District Development Officer” (तापी जिला) और “Best Collector” (अरावली जिला) जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हुईं।
*”वर्षा कल निधि” एक कारगर पहल*
2019 की जुलाई में वड़ोदरा में भारी वर्षा और बाद में जल संकट की स्थिति सामने आई। स्कूलों में पीने और दैनिक उपयोग के लिए पर्याप्त पानी नहीं था।
इसी संकट से प्रेरित होकर शालिनी अग्रवाल ने 2020 में “वर्षा कल निधि” की शुरुआत की। इस परियोजना के तहत लगभग 1,071 स्कूलों की जांच की गई, जिनमें से 37 स्कूलों में पहले से रेनवाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संचयन) प्रणाली थी। बाकी 963 स्कूलों में यह प्रणाली स्थापित की गई। इस से लगभग 1.8 लाख छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ मिला और अनुमानित 10 करोड़ लीटर पानी सालाना संरक्षित किया गया।

लागत को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने कम खर्चीले मॉडल विकसित करवाए:
परियोजना को स्कूल प्रबंधन समितियों, छात्रों और स्थानीय समुदाय के साथ जोड़ने का विशेष ध्यान रखा गया। बच्चों को “ब्रांड एम्बेसडर” बनाया गया और जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशालाएं और प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।

*अन्य महत्वपूर्ण कार्य और वर्तमान भूमिका*
अरावली जिले के कलेक्टर रहते हुए उन्होंने तीन गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाए: एक शिविर में 1500 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित मातृत्व अभियान के लिए एकत्र करना, 3000 छात्रों द्वारा लेकर शिक्षा-संदेश वाला सबसे बड़ा लिफाफा मोज़ैक तैयार करना, और प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का सबसे बड़ा प्रतीक चिन्ह बनाने का काम ।
वर्तमान में वे सूरत नगर आयुक्त (Municipal Commissioner), सूरत महानगरपालिका के पद पर हैं।

स्वच्छता की दिशा में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही है। उदाहरण के लिए, स्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) 2024-25 में सूरत ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है, जिसमें नगर आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने निगम टीम और नागरिक भागीदारी की मुख्य भूमिका को प्रकाश में रखा।

शालिनी अग्रवाल की कहानी सिर्फ एक प्रशासनिक सफलता नहीं है, बल्कि उदाहरण है कि कैसे समस्या की पहचान, नवाचार, सामुदायिक भागीदारी और प्रतिबद्धता मिलकर स्थायी परिवर्तन ला सकती हैं।
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“वर्षा कल निधि” ने न सिर्फ पानी की कमी को सुलझाया, बल्कि स्वाभाविक संसाधन की सुरक्षा और भूजल पुनर्भरण को संभव बनाया। उनके अन्य रिकॉर्ड और स्वच्छता क्षेत्रों में की गई पहल इस बात की गवाही हैं कि जब नेतृत्व निस्वार्थ हो और दृष्टि स्पष्ट हो, तो परिणाम दूरगामी होते हैं। आने वाले समय में उनकी ऐसी योजनाएं अन्य जिलों और महानगरों के लिए प्रेरणा बनेंगी और यह दिखाएंगी कि नागरिकों की ज़रूरतों पर आधारित प्रशासन वास्तव में जनता की सेवा में कितना शक्तिशाली हो सकता है।





