‘यादों का सिलसिला’: पूर्व IPS अधिकारी एन के त्रिपाठी की जीवन-यात्रा अब पुस्तक रूप में,एक पुलिस अधिकारी की आत्मकथा,संवेदना और स्मृतियों का संगम

आज शाम 5 बजे भोपाल में लोकार्पण, DGP कैलाश मकवाणा करेंगे विमोचन

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‘यादों का सिलसिला’: पूर्व IPS अधिकारी एन के त्रिपाठी की जीवन-यात्रा अब पुस्तक रूप में,एक पुलिस अधिकारी की आत्मकथा,संवेदना और स्मृतियों का संगम

भोपाल: पूर्व पुलिस महानिदेशक (DG) और वरिष्ठ IPS अधिकारी नरेंद्र कुमार त्रिपाठी की लेखनी से निकला उनका लोकप्रिय कॉलम “यादों का सिलसिला”, जो लंबे समय से अग्रणी न्यूज़ पोर्टल मीडियावाला पर प्रकाशित होता आ रहा है, अब एक पुस्तक के रूप में साकार हो गया है।

यह पुस्तक केवल संस्मरणों का संग्रह नहीं, बल्कि एक ऐसे पुलिस अधिकारी की संवेदनशील आत्मकथा है, जिसने वर्दी के भीतर एक लेखक, विचारक और इंसान की आत्मा को जिया।

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*विमोचन समारोह का आयोजन*

13 अक्टूबर की शाम 5 बजे भोपाल स्थित पुलिस ऑफिसर्स मेस में इस पुस्तक का विमोचन होगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) कैलाश मकवाणा होंगे, जबकि अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी करेंगे।

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के राज्य के निर्वाचन आयुक्त और पूर्व वरिष्ठ IAS अधिकारी मनोज श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।

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 *पुस्तक का सार: अनुभवों, संवेदनाओं और कर्तव्यपथ का इंद्रधनुष*

‘यादों का सिलसिला’ में श्री त्रिपाठी ने अपने जीवन के विविध पड़ावों को सादगी और संवेदना के साथ उकेरा है-

बचपन की जिज्ञासाओं से लेकर सेवा-जीवन की चुनौतियों तक, हर अध्याय एक नई अनुभूति कराता है।

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उन्होंने पुलिस सेवा के अनुभवों को महज़ एक अफसर के नज़रिए से नहीं, बल्कि एक सामान्य मनुष्य की दृष्टि से लिखा है, यही इस पुस्तक की सबसे बड़ी खूबी है।

असम और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य के दौरान दिखाया गया उनका धैर्य और नेतृत्व कौशल, दिल्ली और इंदौर के कार्यकाल की रोचक घटनाएं और पुलिस की परंपरागत छवि के परे किए गए नवाचार, इस पुस्तक को विशेष बनाते हैं।

साथ ही, उनके छात्र जीवन, विदेश यात्राओं और व्यक्तिगत रिश्तों से जुड़े संस्मरण पाठकों को भीतर तक छू लेते हैं।

 

*एक मानवीय अधिकारी की प्रेरक झलक*

‘यादों का सिलसिला’ में श्री त्रिपाठी ने अपने अनुभवों को किसी आत्मप्रशंसा के रूप में नहीं, बल्कि जीवन से सीखे सबक के रूप में साझा किया है।

यह पुस्तक बताती है कि एक सख़्त अनुशासित पुलिस अधिकारी भी संवेदनाओं से भरपूर लेखक हो सकता है।

हर अध्याय एक नई प्रेरणा, एक नया दृष्टिकोण और एक मानवीय संदेश छोड़ जाता है।

संक्षेप में, ‘यादों का सिलसिला’ केवल एक संस्मरण नहीं-

यह एक पुलिस अधिकारी की आत्मा से निकली आत्मकथा है,

जो पाठकों को बताएगी कि सच्चा नेतृत्व केवल शक्ति नहीं, बल्कि संवेदना और स्मृतियों का संगम होता है।