
MP Again Creates History: मुख्यमंत्री डॉ. यादव की नीतियों से खनन क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान
विक्रम सेन
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने एक बार फिर देश में अपनी अग्रणी भूमिका को सिद्ध किया है। केन्द्रीय खान मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी “राज्य खनन तत्परता सूचकांक (State Mining Readiness Index – SMRI)” और राज्य रैंकिंग 2025 में मध्यप्रदेश ने देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
यह उपलब्धि प्रदेश सरकार के खनन क्षेत्र में प्रशासनिक सुधार, पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया, आधुनिक तकनीकी उपयोग और सतत खनन नीतियों के परिणामस्वरूप मिली है।
तीन श्रेणियों में राज्यों का मूल्यांकन
खनन तत्परता सूचकांक के तहत सभी राज्यों को उनके खनिज भंडार, नीति क्रियान्वयन और निवेश अनुकूलता के आधार पर तीन श्रेणियों — A, B और C — में वर्गीकृत किया गया।
श्रेणी–A (उच्च खनिज भंडार वाले राज्य) में
1.मध्यप्रदेश, 2.राजस्थान और 3. गुजरात शीर्ष तीन राज्यों में रहे।
श्रेणी–B में गोवा, उत्तर प्रदेश और असम शीर्ष पर रहे।
श्रेणी–C में पंजाब, उत्तराखंड और त्रिपुरा अग्रणी रहे।
राज्य सरकार द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस रैंकिंग में खनिज नीलामी की गति, खनन पट्टों के शीघ्र संचालन, अन्वेषण गतिविधियों की प्रगति, पर्यावरणीय सततता और निवेश आकर्षण जैसे मापदंडों को प्रमुखता दी गई।
*खनिज नीलामी में देश का अग्रणी राज्य*
मध्यप्रदेश ने खनिज ब्लॉकों की नीलामी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
राज्य सरकार द्वारा अब तक 200 से अधिक खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी की गई है, जिनसे राज्य को हजारों करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।
प्रदेश ने क्रिटिकल मिनरल्स (Critical Minerals) की नीलामी लागू करने में देश का पहला राज्य बनने का गौरव भी हासिल किया है।
खनन मंत्रालय ने हाल ही में मध्यप्रदेश को “सर्वाधिक नीलामी करने वाला राज्य” के रूप में सम्मानित किया है।
आधुनिकीकरण और पारदर्शिता पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार ने खनन क्षेत्र में ई-ऑक्शन प्रणाली, जीआईएस आधारित सर्वे, डिजिटल खनन पट्टा प्रणाली, और ऑनलाइन पारदर्शी राजस्व ट्रैकिंग सिस्टम लागू किए हैं।
खनन विभाग द्वारा खनिज संपदाओं के दोहन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण, पुनः खनन क्षेत्र विकास (Mine Closure Plan) और खनन क्षेत्र में रोजगार सृजन पर भी विशेष बल दिया गया है।
राज्य में 40,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार इस क्षेत्र से मिला है।
*राष्ट्रीय औद्योगिक विकास में योगदान*
मध्यप्रदेश के समृद्ध कोयला, बॉक्साइट, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, डायमंड और मैंगनीज भंडार देश के औद्योगिक ढांचे की रीढ़ साबित हो रहे हैं।
खनिज आधारित उद्योगों में तेजी से निवेश बढ़ने से राज्य की अर्थव्यवस्था को वार्षिक 12% तक की वृद्धि का लाभ मिला है।
खनिज संसाधनों की प्रचुरता और निवेश-अनुकूल नीतियों के कारण प्रदेश आज देश का औद्योगिक निवेश गंतव्य बन चुका है।
*सुधारों की दिशा में राष्ट्रीय मॉडल बना मध्यप्रदेश*
केन्द्रीय खान मंत्रालय ने इस रैंकिंग को राज्य सुधार प्रोत्साहन नीति 2025-26 के तहत जारी किया है।
इसका उद्देश्य है कि राज्यों को खनन प्रबंधन, पर्यावरणीय जिम्मेदारी, नीतिगत दक्षता और निवेश पारदर्शिता के लिए प्रेरित किया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि मध्यप्रदेश की खनन नीति अब अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल फ्रेमवर्क बन गई है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का की यह उपलब्धि प्रदेश के कर्मठ प्रशासन, ईमानदार कार्यशैली और सतत विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का परिणाम है।
“मध्यप्रदेश केवल खनिज संपन्न राज्य नहीं, बल्कि भारत के औद्योगिक भविष्य का प्रमुख स्तंभ है।”
— डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश
यह माना जा रहा हैं कि मध्यप्रदेश ने न केवल खनन क्षेत्र में देश में नेतृत्व कायम रखा है, बल्कि पारदर्शी शासन, पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और औद्योगिक दृष्टिकोण से भी एक नई मिसाल कायम की है।
डॉ. मोहन यादव की नीतियाँ राज्य को “खनन सुधारों में राष्ट्रीय अग्रदूत” के रूप में स्थापित कर रही हैं।





