
“दीपों से सजे घर, स्वदेशी से सजे दिल – सतना कलेक्टर की ‘वोकल फॉर लोकल दीपोत्सव’ की प्रेरणा”
Satna: हर साल दीपावली रोशनी और उत्साह का पर्व बनकर आती है, लेकिन इस बार सतना की दीपावली में एक अलग ही उजास है- स्वदेशी का उजाला और लोकल का गर्व। कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने जिलेवासियों से अपील की है कि इस दीपावली पर न सिर्फ अपने घरों को दीयों से रौशन करें, बल्कि उन हाथों को भी उजाला दें जिन्होंने मिट्टी में अपने श्रम का दीप जलाया है। यह संदेश केवल शुभकामना नहीं, बल्कि “वोकल फॉर लोकल” की भावना को जीने का आमंत्रण है – ताकि रोशनी का यह पर्व रोजगार, सम्मान और आत्मनिर्भरता का भी पर्व बन सके।
सतना कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने दीपावली के अवसर पर जिले के नागरिकों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की, निराशा पर उम्मीद की और विभाजन पर साझेदारी की जीत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हर दीप में केवल तेल और बाती नहीं, बल्कि उम्मीद, परिश्रम और सकारात्मकता की लौ जलनी चाहिए।
कलेक्टर ने कहा कि दीपावली केवल रोशनी का नहीं बल्कि स्वच्छता और संवेदनशीलता का भी उत्सव है। उन्होंने अपील की कि लोग ग्रीन पटाखों का प्रयोग करें, रात्रि 10 बजे के बाद शोर करने वाले पटाखों से बचें, और अपने घर-आंगन के साथ पर्यावरण को भी स्वच्छ रखें। “दीप जलाएं, लेकिन वातावरण को धुएं से नहीं, प्रेम और उजाले से भरें,”
‘वोकल फॉर लोकल’ से सजेगा सतना का हर घर:
कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने बताया कि सतना में बड़ी संख्या में कुम्हार भाई-बहन मिट्टी के दीये बनाते हैं और महिला स्वसहायता समूह पूजन सामग्री व सजावटी वस्तुएं तैयार करते हैं। ऐसे में इस दीपावली पर यदि हर घर अपने दीये इन्हीं हाथों से खरीदे – इससे न केवल घर बल्कि पूरे समाज में रोशनी फैलेगी।
उन्होंने कहा, “जब हम स्थानीय उत्पाद खरीदते हैं, तब हम केवल सामान नहीं खरीदते, बल्कि किसी परिवार की आजीविका, किसी कारीगर की मेहनत और किसी मां की मुस्कान का हिस्सा बनते हैं।”
उन्होंने जिलेवासियों से आग्रह किया कि वे स्वदेशी दीयों, पूजा सामग्री, कपड़ों और घर की सजावट के लिए स्थानीय वस्तुओं का प्रयोग करें। यह केवल आर्थिक योगदान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है।
कलेक्टर ने कहा कि असली खुशी तब है जब दीपावली का उजाला सबके हिस्से में आए। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि अपने आस-पड़ोस के गरीब, जरूरतमंद और असहाय लोगों के साथ मिठास और मुस्कान बाँटें। “दीपों की चमक तभी सच्ची है जब वह सबके चेहरे पर मुस्कान बनकर झलके,”
सतना प्रशासन का यह संदेश इस बार केवल एक शुभकामना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है –
👉 स्वदेशी के प्रति सम्मान,
👉 पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता,
👉 और समाज के प्रति जिम्मेदारी।
इस दीपावली पर सतना सच में “लोकल से ग्लोबल” की दिशा में कदम बढ़ा रहा है – जब हर घर में मिट्टी का दिया जलेगा, तो हर कारीगर का घर भी उसी उजाले से दमक उठेगा।





