Lucknow : इस बार के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे बागी उम्मीदवारों की हार-जीत पर टिके हैं। तीनों प्रतिद्वंदियों भारतीय जनता पार्टी (BJP), समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) में इस बार जमकर बगावत हुई! ऐसे में ये असमंजस बरक़रार है कि बगावत करने वाले खुद जीतेंगे या जनता उन्हें नकार देगी। चुनाव के नतीजों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। इसमें सबसे बड़ी चुनौती BJP के सामने है, जिसे सत्ता में वापसी करना है। जबकि, SP की कोशिश BJP से सत्ता छीनना है! ऐसे में BSP हमेशा त्रिशंकु की कोशिश में रहती है, ताकि उसका दबदबा बरक़रार रहे। यदि त्रिशंकु स्थिति बनती है, तो BSP उस पार्टी के पाले में जा सकती है, जिसकी सरकार बनाने की संभावना ज्यादा होगी।
इस बार गठबंधन की सियासत ने सारा खेल बिगाड़ दिया और स्थिति ऐसी बनी कि पहले के टिकट के दावेदार नकार दिए गए। दूसरी पार्टी से आए नेता उम्मीदवार बन गए। कुछ ने जुगाड़ कर उम्मीदवारी हांसिल कर ली। कुछ ने दूसरे को टिकट देने के पार्टी नेतृत्व के फैसले को गलत साबित करने के लिए दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया। उन्होंने अपनी पार्टी को सबक सिखाने के लिए बगावत का झंडा उठा लिया या फिर निर्दलीय ही मैदान में उतर गए। ऐसे भी सामने आए जिन्होंने BSP से टिकट का इंतजाम कर लिया। सवाल यह कि ये विद्रोही खुद चुनाव जीतेंगे या अपनी पुरानी पार्टी के उम्मीदवार का खेल बिगड़ेंगे! ऐसे में सारा दारोमदार जीतने वाले बागी पर ही टिका है।
BJP के एक पूर्व MLA का टिकट कटा तो उसने पहले तो आगे पार्टी आलाकमान से नाराजगी बताई। नेतृत्व ने उन्हें पार्टी के लिए फिलहाल त्याग करने की सलाह दी। आगे अच्छी जगह एडजस्ट करने का भरोसा दिया, पर वे नहीं माने और BSP के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका दावा है कि जीत गए तो BJP के शीर्ष नेतृत्व से कहेंगे कि आपने टिकट नहीं दिया, फिर जीतकर आ गए। ऐसी नाराजी कई MLA में है, जिन्हें पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया। तीन चरणों का चुनाव निपट गया। बाकी के चरणों में 231 सीटों में तमाम जगह बागी कहीं मजबूती से लड़ रहे हैं, तो कहीं वोट कटवा वाली स्थिति में हैं।
भाजपा के बागी बन सकते हैं मुसीबत
Ex MLA सुरेंद्र सिंह को जब पार्टी ने बैरिया से टिकट नहीं दिया तो वे एक छोटी सी पार्टी से मैदान में उतर गए। गोंडा के कैसरगंज से BJP ने विनोद कुमार शुक्ला का टिकट काट दिया तो वे BSP से खड़े हो गए। BJP ने प्रयागराज की बारा सीट सहयोगी अपना दल सोनेलाल के हवाले कर दी, तो MLA अजय कुमार BSP के हाथी पर सवार हो गए। बरहज से MLA सुरेश तिवारी ने भी टिकट कटने पर BSP का दामन थाम लिया। वे सीट बदलकर रुद्रपुर से मैदान में डट गए। वे पहले भी BSP से MLA रहे हैं।
बागियों की जीत का इतिहास पुराना
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी दो दर्जन सीटों पर SP, BSP और Congress छोड़कर BJP में गए और जीत गए। लेकिन, BJP MLA विजय बहादुर टिकट कटने पर SP में गए, पर हार गए थे। विजय मिश्र भी टिकट कटने पर निषाद पार्टी से लड़े और जीतकर आ गए। कौमी एकता दल छोड़कर BSP से लड़ने वाले सिगबतुल्ला अंसारी हार गए थे। जबकि, BSP छोड़कर BJP में आने वाले कई नेता चुनाव जीते थे। पिछली बार SP से बगावत करने वाले अम्बिका चौधरी और नारद राय दोनों BSP से लड़े थे पर हार गए थे। अब ये दोनों SP में हैं।
गठबंधन के लिए चुनौती बने
शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा (प्रजातांत्रिक समाजवादी पार्टी) फिलहाल SP के साथ है। प्रसपा की पुरानी नेता व अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुकी शादाब फातिमा जहूराबाद या गाजीपुर सदर से टिकट चाह रही थीं। जब शिवपाल यादव केवल अपना टिकट ही SP से पक्का करा पाए तो उन्होंने निराशा में पार्टी छोड़ दी और BSP से उम्मीदवार हो गईं। यहां भाजपा, गठबंधन व बसपा तीनों के उम्मीदवार पहले भी आपस में लड़ चुके हैं। तीनों कम से कम एक-एक बार जीत भी चुके हैं। शिवपाल यादव के एक सहयोगी शारदा प्रताप शुक्ला भी लखनऊ की सरोजनीनगर से SP से टिकट मांग रहे थे ,नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ने उतर गए। BJP छोड़कर SP में शामिल स्वामी प्रसाद मौर्य को अखिलेश यादव ने फाजिलनगर सीट पर प्रत्याशी बनाया। इस पर इलियास अंसारी ने बगावत कर दी और BSP के उम्मीदवार बन गए।
यहाँ भी बागी मौजूद
ये परेशानी सभी पार्टियों ने झेली है। ललितपुर और महरानीपुर सेट पर भी ऐसी ही बगावती स्थिति है। SP के MLA नरेंद्र सिंह यादव इस बार फर्रुखाबाद की अमृतपुर सीट से निर्दलीय खड़े है। यहां तो वोटिंग भी हो गई। नतीजे बताएँगे कि इन सीटों पर किसको फायदा और किसको नुकसान हुआ। मड़ियांहू में SP से टिकट न मिलने पर श्रद्धा यादव और टांडा में SP के टिकट से वंचित शबाना खातून BSP से खड़ी हो गईं। बीकापुर में टिकट कटने से गुस्सा अनूप सिंह निर्दलीय ही मैदान में हैं। श्रावस्ती सीट पर Ex MLA मोहम्मद रमजान भी SP से बगावत कर चुनाव मैदान में कूद पड़े। लखनऊ में बख्शी का तालाब में SP के बागी राजेंद्र यादव और मलिहाबाद में सीएल वर्मा दोनों को SP से टिकट नहीं मिला तो दोनों निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।