
Ad Guru Piyush Pandey: ‘अबकी बार मोदी सरकार’’मिले सुर मेरा तुम्हारा’ जैसे कई सफल विज्ञापन कैंपेन से जुड़े एड गुरु पीयूष पांडे का निधन !
भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह विज्ञापन की दुनिया में सबसे प्रभावशाली रचनात्मक हस्तियों में से एक रहे। उन्होंने 70 साल की उम्र में मुंबई में अंतिम सांस ली. पीयूष पांडे ने कई लोकप्रिय विज्ञापनों का स्लोगन लिखा था. ‘अबकी बार मोदी सरकार’ नारा भी उन्होंने ही लिखा था, जो आगे चलकर बेहद पॉपुलर हुआ था. इसके अलावा ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ गाना भी उन्होंने लिखा था. पीयूष पांडे ने फेविकॉल मशहूर स्लोगन भी लिखा था – ये फेविकॉल का जोड़ है, टूटेगा नहीं. हालांकि, पीयूष पांडे के सांसों की डोर टूट गई. रिपोर्ट की मानें तो वे गंभीर संक्रमण से जूझ रहे थे. उनका अंतिम संस्कार उनकी कर्मभूमि मुंबई में ही किया जाएगा.
पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर में हुआ था. पीयूष पांडे के भाई प्रसून पांडे जाने माने डायरेक्टर और बहन इला अरुण सिंगर और एक्ट्रेस हैं. पीयूष पांडे के पिता एक बैंक में नौकरी करते थे. पीयूष पांडे ने विज्ञापन की कलात्मक दुनिया में कदम रखने से पहले कई साल तक क्रिकेट भी खेला था. राजस्थान में पैदा हुए पीयूष सात बहनें और दो भाई थे. उनका स्कूल एजुकेशन जयपुर से हुआ था. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया. पीयूष पांडे ने राजस्थान राज्य-टीम के लिए रणजी ट्रॉफी में हिस्सा लिया था. इसके बाद उन्होंने काफी उम्र में ही विज्ञापन जगत में कदम रख दिया था.
पद्म सम्मान
पीयूष पांडे 27 साल की उम्र में विज्ञापन जगत से जुड़ गए थे. उन्होंने शुरुआत अपने भाई प्रसून पांडे के साथ की थी. दोनों ने रोजमर्रा के उत्पादों के लिए रेडियो जिंगल्स की आवाज दी थी. साल 1982 में विज्ञापन कंपनी ओगिल्वी से की. 1994 में उन्हें ओगिल्वी के बोर्ड में नॉमिनेट किया गया. पीयूष पांडे को उनके काम के लिए साल 2016 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भारतीय राजनीति में भी विज्ञापन की नई भाषा दी थी- अबकी बार, मोदी सरकार. यह नारा उस दौर का सबसे चर्चित राजनीतिक स्लोगन बना, जिसने चुनावी अभियानों की दिशा ही बदल दी. पीयूष पांडे ने साबित किया कि विज्ञापन सिर्फ उत्पादों को नहीं, विचारों को भी जन-जन तक पहुंचा सकता है.
मिले सुर मेरा तुम्हारा
पीयूष पांडे ने विज्ञापन से आगे जाकर भी काम किया. उन्होंने ऐसे कैंपेन में भी अहम भूमिका निभाई जो भारत की एकता और विविधता को दर्शाते हैं. ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ उनके दिल के बेहद करीब था. यह गीत केवल एक कैम्पेन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव था, जिसने भारत को एक सूत्र में बांध दिया.




