
कहानी संग्रह ‘अंतर्मन की गूँज ‘का लोकार्पण सम्पन्न: कहानी लेखन में प्रेम और मर्यादा का बड़ा स्थान होता है – मुकेश वर्मा
भोपाल : साहित्यकार मधूलिका श्रीवास्तव के कहानी संग्रह “अंतर्मन की गूँज” का विमोचन करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कहानीकार,निदेशक वन माली सृजन पीठ मुकेश वर्मा ने अपने संबोधन में ने कहा कि कहानी लेखन में प्रेम और मर्यादा का बड़ा स्थान होता है। महिला लेखिकाओं को एकरूपता में बँधकर नहीं लिखना चाहिए, बल्कि अपनी विशिष्ट शैली और नए विषयों पर प्रयोग करते रहना चाहिए। कहानी में नए प्रयोग किये जाना चाहिए.

कार्यक्रम की अध्यक्षता बृजमोहन श्रीवास्तव (प्रमुख राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राष्ट्रीय महासचिव – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) ने करते हुए कहा कि“हर पुरुष की प्रगति के पीछे एक नारी का हाथ होता है और नारी की प्रगति में परिवार के सभी सदस्यों का महत्वपूर्ण सहयोग होता है।”

सारस्वत अतिथि वरिष्ठ कहानीकार डॉ. स्वाति तिवारी ने कहानी के बदलते स्वरूप पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमेशा से कहानियां हमारे जीवन की विभिन्न परिस्थितियों व घटनाक्रमों के विश्लेषण में सही समय पर उचित व सटीक निर्णय लेने में हमारी मदद करती हैं । कहानियां एक सबक व सीख होती है, जिनसे दूसरों के जीवन में घटित घटनाओं से होने वाले अनुभवों का लाभ पाठक भी ले सकते हैं। मधूलिका श्रीवास्तव की ये कहानियाँ चारित्रिक विशेषताओं, वातावरण, मुश्किल स्थितियों आदि के साथ सामाजिक-आर्थिक जीवन से भी संबंध रखती हैं .कहानी नाम में क्या रखा है पर टिपण्णी करते हुए उन्होंने कहा यह कहानी समाज को एक बड़ा सन्देश देती है .कैसे परम्परा के नाम पर एक स्त्री के अस्तित्व और वजूद को हम मिटा देते हैं नाम बदल कर विवाह होते ही कभी किसी पुरुष का नाम तो नहीं बदला गया ,कुछ लोग ना केवल सरनेम नाम भी बदल देते हैं .पहचान ही बदल जाती है इस तरह .
विशेष अतिथि डॉ. कुमकुम गुप्ता ने मधूलिका की कहानियों पर अपने विचार व्यक्त किए एवं समीक्षक साहित्यकार कमल चंद्रा ने अंतर्मन की गूँज पर सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की।विशिष्ट अतिथि पूर्व अध्यक्ष लेखिका संघ अनीता सक्सेना
लेखिका मधूलिका श्रीवास्तव ने अपनी चर्चित कहानी ‘नाम में क्या है’ का वाचन किया, जिसे उपस्थित जनों द्वारा विशेष सराहना मिली।कार्यक्रम का कुशल संचालन कीर्ति श्रीवास्तव ने किया तथा डॉ. नीता खरे ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।

इस अवसर पर राजधानी के अनेक वरिष्ठ साहित्यकार एवं अतिथि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। मुख्य रूप से —
मधूलिका की पूर्व शिक्षिका श्रीमती पुष्पा त्यागी ,महेश सक्सेना, चरणजीत सिंह कुकरेजा,साधना शुक्ला, निरुपमा खरे, सुधा दुबे, शेफालिका श्रीवास्तव, मुग्धा श्रीवास्तव, मनमोहन श्रीवास्तव,रानी राय, मृदुल शर्मा, अशोक राय, पूनम श्रीवास्तव, आदित्य मोहन और कबीर शर्मा उपस्थित थे।





