
देवलालीकर कलावीथिका में गोंड कला कार्यशाला, प्रदर्शनी में दिखी गोंड संस्कृति की झलक
संस्था रंग रेखा द्वारा फाइन आर्ट कालेज के 35 विद्यार्थियों के लिए आयोजित गोंड कला की कार्यशाला में बनाई गई कला कृतियों की एक दिवसीय प्रदर्शनी आज 8 नवंबर को देवलालीकर कला विथीका में आयोजित की गई।
प्रदर्शनी का उद्घाटन चित्रकार एवं संस्था की संस्थापक श्री मती रेखा सिंह द्वारा उपस्थित युवा प्रतिभाओं, और अतिथियों की उपस्थिति में किया गया।

गोंड कला मूलतः रेखीय कला है जिसमें विविध प्रकार की रेखाएँ और छोटे-छोटे बिंदु होते हैं। गोंड कलाकार अत्यंत सावधानी से रूपरेखा बनाते हैं। इसी प्रकार, भराई भी पतले और सूक्ष्म स्ट्रोक और बिंदुओं से की जाती है। समतल रंग लगाने के बाद, अन्य रंगों से रेखाएँ जोड़ी जाती हैं जो चित्र को अत्यंत पूर्णता के साथ पूरी तरह से रूपांतरित कर देती हैं। रेखाओं की प्रवाहमय गति के साथ दर्शक की आँखें एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर सहजता से घूमती हैं। बिंदु और रेखाएँ कलाकृति में सूक्ष्म विवरण जोड़ते हैं। चटकीले और जीवंत रंग संयोजन लोक कला की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं।

चित्रकार एवं संस्था की संस्थापक श्रीमती रेखा सिंह ने अपने उद्बोधन में बताया कि लोक कला से नयी पीढ़ी के कलाकारों को परिचित कराने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है और भविष्य में और आयोजन करने का विचार है।यह कला पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ी पौराणिक कथाओं से भी प्रेरणा लेती है। कलाकार मिथकों, किंवदंतियों और रोज़मर्रा के जीवन के अनुभवों के समृद्ध चित्रण को चित्रित करते हैं। इन ३२ कलाकारों ने गोंड कला में पौराणिक कथाओं, लोककथाओं, देवी-देवताओं, जानवरों, पेड़-पौधों को दर्शाया है .
कार्यशाला में अनुभवी गोंड कलाकार श्री द्वारिका परस्ते का विशेष योगदान रहा।





