
खरगोन को मिलेगा सर्वश्रेष्ठ जिले का 6वां राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024, CM डॉ. यादव ने दी बधाई
खरगोन: खरगोन को जल संरक्षण कार्यों के लिए पश्चिम क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ जिले का 6वा राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु 18 नवंबर 2025 को दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में यह पुरस्कार प्रदान करेंगी। पुरस्कार की घोषणा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा की गई। जिला कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल को प्रशस्ति पत्र और ट्रॉफी से सम्मानित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से बधाई देते हुए लेख किया है “6वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार के अंतर्गत पश्चिम क्षेत्र के लिए सर्वश्रेष्ठ जिला श्रेणी में जिला खरगोन को प्रथम पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में जिला खंडवा की कावेश्वर पंचायत (संयुक्त विजेता) को द्वितीय पुरस्कार की घोषणा अभिनंदनीय है। इस उपलब्धि के लिए स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को हार्दिक बधाई।”
6वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार के अंतर्गत पश्चिम क्षेत्र के लिए सर्वश्रेष्ठ जिला श्रेणी में जिला खरगोन को प्रथम पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में जिला खंडवा की कावेश्वर पंचायत (संयुक्त विजेता) को द्वितीय पुरस्कार की घोषणा अभिनंदनीय है।
इस उपलब्धि के लिए स्थानीय…
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) November 11, 2025
खरगोन जिले में नदियों के संरक्षण और तटों के जीर्णाेद्धार के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए गए हैं। नर्मदा, नानी, वंशावली और बोराड़ नदियों के 8000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्षरित लैंडस्केप को स्टॉप डैम, चेक डैम, खेत तालाब, लूस बोल्डर स्ट्रक्चर के माध्यम से संरक्षित किया गया। सहायक नदियां, जो पहले नवंबर या दिसंबर तक सूख जाती थीं, अब अप्रैल माह तक अविरल रहती हैं। कुंदा नदी के जलग्रहण क्षेत्र के किनारे 627 स्थानों से अतिक्रमण हटाया गया है। अतिक्रमण से मुक्त कराई गई 106 एकड़ भूमि में निधिवन स्थापित कर पर्यटन स्थल बनाया गया है। जिले में काउंटर ट्रेंच, चेक डैम, पर्काेलेशन टैंक, गली प्लग और गैबियन जैसे कुल 4,21,182 कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण किया गया जिससे भूजल स्तर में वृद्धि हुई है।
जिले के सभी जल निकायों की मैपिंग कर राजस्व अभिलेखों में प्रविष्टि की गई है और 45 ऐतिहासिक बावड़ियों का जीर्णाेद्धार किया गया है। जिले में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 48,975 हेक्टेयर क्षेत्रफल आता है, जिसमें आंकलन वर्ष में कुल 3,290 हेक्टेयर नया क्षेत्रफल जोड़ा गया है; 37,042 कृषकों को इसका लाभ मिल रहा है। जिले में 156 नए अमृत सरोवर सहित 2,31,75,828 घनमीटर की जल भंडारण क्षमता बनाई है। ग्रामीण विकास विभाग की वाटरशेड विकास -प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 एवं नरेगा योजना से कार्यों का क्रियान्वयन प्रमुखता से किया गया है।
जिले में अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण के लिए 15 इकाइयां, 4 मलजल उपचार संयंत्र, 94 अपशिष्ट स्थिरीकरण कुंड संचालित हैं। 5400 हेक्टेयर में 30 लाख वृक्षों का पौधारोपण किया गया है जिनमें से 95ः वृक्ष जीवित हैं। मनरेगा योजनांतर्गत 3,80,000 पौधे और निजी फलोद्यान में 2,66,412 अमरूद के पौधे लगाए गए हैं, जिससे भूजल स्तर में वृद्धि हुई है। जल संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में 2,277 सफाई अभियान, 605 क्षमता निर्माण कार्यशाला, 200 ग्राम पंचायतों में कलश यात्रा का आयोजन, सामाजिक संगठन द्वारा 147 जल चौपाल का आयोजन कर नागरिकों और शासकीय कर्मचारियों का जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया।
जिला प्रशासन द्वारा जल संरक्षण की गतिविधियों और नवाचारों में तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा और मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री आकाश सिंह ने कुशल नेतृत्व प्रदर्शित कर अग्रणी भूमिका निभाई। जिले के दावों का कलेक्टर सुश्री मित्तल के नेतृत्व में केंद्रीय टीम द्वारा सफल सत्यापन कराया गया।





