
BHOPAL में बनेगा नया Western Bypass: 3000 करोड़ से बदलेगा ट्रैफिक का नक्शा
BHOPAL :राजधानी भोपाल में यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने और शहर के अंदर से गुजरने वाले भारी वाहनों को बाहर मोड़ने के लिए अब पश्चिमी बायपास (Western Bypass) बनने जा रहा है। यह नया फोरलेन मार्ग शहर के विकास की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा। प्रशासन ने इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके तहत करीब 15 गांवों से कुल 155 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी।

▪️3000 करोड़ की लागत से बनेगा 35.60 किमी लंबा फोरलेन
करीब 3000 करोड़ की लागत से बनने वाला यह बायपास 35.60 किमी लंबा होगा। इसकी चौड़ाई दोनों ओर 9-9 मीटर होगी क्योंकि इसमें पेव्हड शोल्डर की व्यवस्था रहेगी। परियोजना का उद्देश्य शहर के ट्रैफिक दबाव को कम करना और इंदौर हाईवे से नर्मदापुरम तक सीधा कनेक्शन स्थापित करना है। इस बायपास के पूरा हो जाने से बड़े वाहनों को अब भोपाल शहर के बीच से गुजरने की जरूरत नहीं पड़ेगी जिससे शहर के भीतरी हिस्सों में जाम की स्थिति में कमी आएगी।

▪️किन गांवों से ली जाएगी जमीन
अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत भानपुर केकडिया से 15.9929 हेक्टेयर, समसगढ़ से 14.0685 हेक्टेयर, समसपुरा से 10.2719 हेक्टेयर, सरवर से 2.0694 हेक्टेयर, झागरिया खुर्द से 17.8365 हेक्टेयर, मूंडला से 12.8594 हेक्टेयर और नरेला से 13.5931 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी। बायपास की शुरुआत 11 मील जोड़ से होगी और यह फंदा कलां तक पहुंचेगा। प्रशासन ने छह माह में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य तय किया है।

▪️विकास की नई राह खोलेगा प्रोजेक्ट
पश्चिमी बायपास परियोजना से भोपाल के बाहरी इलाकों में विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी। औद्योगिक और आवासीय प्रोजेक्ट्स को भी इससे गति मिलेगी क्योंकि यह बायपास इंदौर-भोपाल-नर्मदापुरम के बीच एक सुगम मार्ग के रूप में विकसित होगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रोजेक्ट न केवल ट्रैफिक को सरल बनाएगा बल्कि राजधानी की आर्थिक गतिविधियों को भी नई दिशा देगा।
▪️पुनर्वास और पर्यावरण रहे बड़ी चुनौती
हालांकि भूमि अधिग्रहण से जुड़े गांवों में कुछ परिवारों पर इसका असर पड़ेगा और प्रशासन को पुनर्वास से जुड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा बायपास के रूट में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना और जल निकासी जैसी तकनीकी व्यवस्थाओं पर भी ध्यान देना आवश्यक होगा। लेकिन समुचित मुआवजा और वैकल्पिक पुनर्वास की व्यवस्था के साथ यह परियोजना शहर की आधारभूत संरचना को नया रूप देने में अहम साबित हो सकती है।





