बाल दिवस पर नेहरू सोच रहे होंगे… राहुल भी बच्चा, तेजस्वी भी बच्चा…और पूरा विपक्ष है राजनीति में कच्चा…

225

बाल दिवस पर नेहरू सोच रहे होंगे… राहुल भी बच्चा, तेजस्वी भी बच्चा…और पूरा विपक्ष है राजनीति में कच्चा…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

इक्कीसवीं सदी में और खास तौर से राजनीति के मोदी युग में अब यह साबित हो चुका है कि विपक्ष द्वारा तैयार किए गए मुद्दों के कीचड़ में एनडीए यानि भाजपा, अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर कमल को खिलाकर सत्ताधारी दल का तमगा लगातार हासिल कर रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव ने इस पर पक्की मुहर लगा दी है। बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम से ऐसा लग रहा है कि मानो बाल दिवस पर पंडित जवाहरलाल नेहरू खुद आकर यह कह रहे हों कि राहुल भी बच्चा है और तेजस्वी भी बच्चा है और मोदी-शाह की रणनीति के आगे पूरा विपक्ष भी कच्चा है। बिहार में प्रचंड जीत की बहार के बाद एनडीए खेमा उत्साह के उत्कर्ष पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में जीत का आधार एमवाय माय फॉर्मूला को बताया है। एमवाय यानि महिला और युवा, इन दोनों पर फोकस कर एनडीए ने बिहार में विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया है। वही तेजस्वी और महागठबंधन के एमवाय फार्मूला को मिट्टी में मिला दिया है। महागठबंधन का एमवाय फार्मूला यानि मुस्लिम और यादव मतदाताओं के भरोसे सत्ता के सिंहासन को फतह करने का सपना। इसमें यादव मतदाता को तेजस्वी से जोड़कर देखा जा सकता है तो मुस्लिम मतदाता पर राहुल और तेजस्वी का मिलाजुला भरोसा। पर 21वीं सदी में कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का यह फार्मूला पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है। और अगर इन दलों ने अपनी रणनीति में बदलाव नहीं किया तो शायद विपक्ष के कीचड़ में एनडीए के नेतृत्व में भाजपा कमल खिलाकर कमाल करती ही रहेगी। बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम यह भी साबित कर रहे हैं कि एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) जैसे मुद्दों पर माथापच्ची करके विकास और सुशासन जैसे मुद्दों को मात नहीं दी जा सकती है। महिलाओं और युवाओं को झांसे में नहीं लाया जा सकता। और अगर महिलाओं और युवाओं का समर्थन हासिल नहीं कर पाया तब सत्ता का वरण कर पाना विपक्ष के लिए सपना ही रहेगा।

बिहार विधानसभा चुनाव का ऐसा आकलन अब बेमानी है कि किसने कितनी सीटों पर चुनाव प्रचार किया और किस-किस की वजह से कितनी सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता मिली है। अब महाविजय के इस महासमर में सभी को अपनी-अपनी हर आहुति मोदी और शाह के साथ नीतीश कुमार के नेतृत्व को समर्पित करने में ही भलाई है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेश प्रभारी महेंद्र सिंह, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, नरोत्तम मिश्रा या अन्य सभी नाम और उनकी मेहनत मोदी को ही समर्पित मानी जा सकती है। वैसे भी भाजपा का यह मोदी युग पूरी तरह से मोदी रंग में ही रंगा हुआ है। हालांकि क्षेत्रीय स्तर पर क्षेत्रीय आकलन भी प्रभावी रहेंगे। मध्य प्रदेश में यह माना जा सकता है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बिहार विधानसभा चुनाव की अग्नि परीक्षा में एक लोकप्रिय यादव नेतृत्व के रूप में पूरी तरह से खरे साबित हुए हैं। तो डॉ. महेंद्र सिंह, हितानंद शर्मा, विष्णु दत्त शर्मा, नरोत्तम मिश्रा और अन्य सभी नेता संगठनात्मक कौशल की दृष्टि से अपना-अपना लोहा मनवा चुके हैं। पर निष्कर्ष यही है कि बिहार विधानसभा चुनाव में महायोद्धा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बरसे मतदाताओं के प्यार में बाकी सभी थोड़े-थोड़े हिस्सेदार हैं।

और यह बात भी अंतिम सच है कि जब तक भारत में मुस्लिम आतंक का नामोनिशान रहेगा तब तक मुसलमान मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की इच्छा रखने वाला हर राजनैतिक दल मुंह की खाता रहेगा। और ओवैसी जैसे राजनेता गिनी-चुनी सीटें हासिल कर मुस्लिम मतदाताओं का धुर्वीकरण कर कहीं ना कहीं कमलदल और उसके सहयोगी राजनैतिक दलों को सत्ता दिलाने में विशेष सहयोगी बनते रहेंगे। हास्यास्पद बात यह है कि राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रहितों की जगह मुस्लिम और जातिगत समीकरण के भरोसे सत्ता में आने का सपना देख रहे राजनैतिक दल अब भी अपनी रणनीति को यू-टर्न देने को राजी नहीं है। वह इस बात को भी समझने को राजी नहीं हैं कि मुस्लिम आतंक, लव जिहाद और देशद्रोह जैसे मामले भारत की बहुसंख्यक आबादी के आक्रोश को उच्चतम स्तर तक पहुंचा चुके हैं। ऐसे में भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव के नाम पर विपक्षी राजनैतिक दल बहुसंख्यक मतदाताओं का समर्थन हासिल नहीं कर सकते हैं। कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा महिलाओं और युवाओं का समर्थन हासिल ना कर पाने में यह भी बहुत बड़ा फैक्टर है। और आगे भी अगर विपक्षी दलों ने अपनी रणनीति में बदलाव नहीं किया तो शायद वोट चोरी और ऐसे ही दूसरे मुद्दों का गुणगान कर विपक्ष को हार के अपमान का घूंट लगातार पीना पड़ेगा।

महाविजय के बाद मोदी ने कहा, साथियों एक पुरानी कहावत है कि लोहा लोहे को काटता है, बिहार में कुछ दलों ने तुष्टिकरण वाला एमवाय फॉर्मूला बनाया था पर आज की जीत ने एक नया सकारात्मक एमवाय माय फॉर्मूला दिया है। नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय पर अपने संबोधन में इसे बिहार के युवाओं और महिलाओं से जोड़ा और चुनावी नतीजों के लिए उन्‍हें धन्‍यवाद भी दिया। उन्‍होंने आगे कहा, ‘आज बिहार देश के उन राज्‍यों में है जहां सबसे ज्‍यादा युवाओं की संख्‍या है और इसमें ह‍र धर्म और जाति के युवा हैं। उनकी इच्‍छा, आंकाक्षा और सपनों ने जंगलराज वाले पुराने एमवाय फॉर्मूले को ध्‍वस्‍त कर दिया है।’

बिहार के इस विधानसभा चुनाव में अगर वास्तव में किसी को शिकस्त मिली है तो वह तेजस्वी यादव हैं। अब वह अपने राजनैतिक कैरियर के सबसे बुरे दौर में है। और फिलहाल उनके पास यह विकल्प भी नहीं है कि पांच साल तक सत्ता के इर्द-गिर्द पहुंचने का विचार भी मन में ला सकें। और लालू यादव के लिए आरजेडी की यह हार जिंदगी की सबसे बड़ी मार है। आगामी विधानसभा चुनाव तक बिहार की राजनीति के दो महास्तंभ नीतीश कुमार और लालू यादव हो सकता है कि राजनीति के दौर से बाहर हो जाएं। ऐसे में यह चुनाव नीतीश कुमार के लिए ‘अंत भला सो सब भला’ की कहावत चरितार्थ कर रहा है तो लालू यादव के लिए ‘अंत बुरा सो सब बुरा’ की कहावत गढ़ रहा है। यह प्रचंड जनादेश एनडीए को जनता-जनार्दन की सेवा करने और बिहार के लिए नए संकल्प के साथ काम करने की शक्ति प्रदान करेगा। तो महागठबंधन के लिए यह प्रचंड हार अवसाद और निराशा का पर्याय बनेगी। बाल दिवस पर महागठबंधन की यह हार देखकर वास्तव में पंडित जवाहरलाल नेहरू भी निराशा में डूबे यही सोच रहे होंगे कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव राजनीति में बच्चा ही हैं। और पूरा विपक्ष ही राजनीति में कच्चा साबित हो चुका है…।

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।