मुंडा, मोदी, मंगू, मोहन और मध्यप्रदेश…

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मुंडा, मोदी, मंगू, मोहन और मध्यप्रदेश…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

भारत में 15 नवंबर की तारीख आदिवासी समाज में सबसे महत्वपूर्ण बन गई है। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के दिन को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का श्रेय एनडीए सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही जाता है। और जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने वाले इस दिन पर आयोजित पहले राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम की शुरुआत मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ही हुई थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 10 नवंबर 2021 को आयोजित बैठक में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में घोषित किया गया। और तब से अब तक लगातार पांचवें जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन मध्य प्रदेश और पूरे देश में हो रहा है। आदिवासी समुदाय से भावनात्मक संबंध स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हमेशा याद किया जाएगा। इससे पहले तक विश्व आदिवासी दिवस के नाम से अगस्त में आयोजित समारोह और जनजातीय गौरव दिवस को लेकर एक बड़ी बहस भी पूरे देश में छिड़ी थी। और इसमें भी राष्ट्रभक्ति और वैश्विक सोच को लेकर राजनैतिक मतांतर सामने आया था। पर आज जनजातीय गौरव दिवस आदिवासियों की पहचान बन गया है। इन सभी परिप्रेक्ष्यों के संदर्भ में मुंडा और मोदी का संबंध इतिहास में दर्ज हो चुका है। सर्वाधिक आदिवासी जनसंख्या वाले प्रदेश मध्यप्रदेश में भगवान बिरसा मुंडा के प्रति आदर और सम्मान का भाव हमेशा ही था, है और रहेगा। और मोदी की सोच को समर्पित राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के बिरसा मुंडा के प्रति भावों की कद्र आदिवासी समुदाय द्वारा सम्मान की नजर से करना स्वाभाविक ही है। बिरसा मुंडा का जन्म भले ही झारखंड में हुआ हो लेकिन सर्वाधिक आदिवासी जनसंख्या होने के नाते मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदाय की धड़कनों में वह सबसे ज्यादा महसूस किए जाएंगे।

बिरसा मुंडा (15 नवंबर 1875 – 9 जून 1900) एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोकनायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं और उन्हें धरती आबा नाम से भी जाना जाता है। ग्राम सिंजुड़ी, टोला बाहम्बा खुटकटी, गांव उलिहातु , राँची जिला, बंगाल प्रेसिडेंसी (अब खूँटी जिला, झारखंड) में जन्मे बिरसा मुंडा अब पूरे राष्ट्र की धरोहर हैं। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जबलपुर में राज्य स्तरीय जनजातीय गौरव दिवस समारोह का आयोजन इसका प्रमाण है।

इसको वर्चुअली संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी वीरों और जननायकों ने आजादी के लिए अपना खून बहाया और अंग्रेजों को चैन से नहीं बैठने दिया। हम स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती दिनों में आदिवासी नेताओं द्वारा दिए गए योगदान को नहीं भूल सकते। इतिहासकारों और तत्कालीन सरकारों ने उनके योगदान को पूरी तरह से नकार दिया। देश के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों का योगदान अद्वितीय , अभूतपूर्व है। हमने नई पीढ़ी को आदिवासी वीरों और वीरांगनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए यह पहल की है। हर साल 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती होती है। इस विशेष दिन को राष्ट्रीय आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाने के पीछे हमारी मंशा यही है कि जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया , हम सभी उनके बारे में जानें , समझें , उनके बारे में सोचें और इन वीरों के योगदान को नमन करें। उन्होंने कहा कि आज का दिन हमें करोड़ों आदिवासियों के साथ हुए अन्याय को याद करने का अवसर देता है। हम आदिवासी वर्गों को विकास की धारा से जोड़ेंगे और उन्हें मुख्यधारा में लाएँगे। जब अटल जी की सरकार बनी, तो देश में पहली बार जनजातीय कल्याण मंत्रालय का गठन किया गया। शिक्षा , स्वास्थ्य , कनेक्टिविटी, हर क्षेत्र में आदिवासियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। दुनिया में देश का गौरव बढ़ाने में आदिवासी युवाओं का बहुत बड़ा योगदान है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया है। इस टीम में मध्य प्रदेश की एक आदिवासी बेटी का भी योगदान है।आज देश के राष्ट्रपति आदिवासी समुदाय से आते हैं। छत्तीसगढ़ , ओडिशा , अरुणाचल प्रदेश , नागालैंड में आदिवासी समुदायों के मुख्यमंत्री हैं। मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय से आने वाले मंगूभाई पटेल राज्यपाल के पद पर हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में पिछले पांच वर्षों से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज ने अंग्रेजी हुकूमत के कानूनों, कर वसूली और वन अतिक्रमण के खिलाफ अपने तरीके से स्वराज का झंडा बुलंद किया और मध्यप्रदेश लंबे समय तक अंग्रेजों के लिए सबसे दुर्गम क्षेत्र बना रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी मध्य प्रदेश में है। रानी दुर्गावती ने 500 साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी थी। इसके साथ ही हमारे कई आदिवासी नायक – टंट्या मामा , खाज्या नायक , भीमा नायक , शंकर शाह , रधुनाथ शाह , छीटू किरार का आदिवासी समुदाय के लिए योगदान अतुलनीय है। जनजातीय गौरव दिवस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणाएं अवश्य ही सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत संचालित सभी कन्या छात्रावासों और आश्रमों का नाम अब वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम पर रखा जाएगा। बालक छात्रावास भी अब महाराजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह के नाम पर संचालित किए जाएँगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जनजातीय छात्रावासों के बेहतर प्रबंधन के लिए छात्रावास अधीक्षकों की भर्ती की आवश्यकता बताते हुए वर्ष 2026 में 5 हजार छात्रावास अधीक्षकों की भर्ती की घोषणा की।

अलीराजपुर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए दीवाली और होली की ही तरह है। भारत माता के अमर सपूत स्वाभिमान और स्वराज के प्रतीक, जनजातीय अस्मिता के संरक्षक धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पूरे प्रदेश सहित देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। पांचवें जनजातीय गौरव दिवस पर चारों दिशाओं में भारत अपने जनजातीय नायकों की स्मृतियों को पूज रहा है। जनजातियों के पराक्रम और परिश्रम से सजी आलीराजपुर की पावन मिट्टी में आजादी की लड़ाई के 2 अमर योद्धा शहीद छीतु किराड़ और शहीद चंद्रशेखर आजाद ने जन्म लिया है। शहीद छीतु किराड़ ने 1857 के संग्राम में जनजातीय शक्ति को संगठित कर अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। भगवान बिरसा मुंडा और अमर शहीद छीतु किराड़ की प्रतिमा के अनावरण का अवसर प्राप्त होना परम सौभाग्य की बात है। जनजातीय संस्कृति से समृद्ध आलीराजपुर क्षेत्र किसी स्वर्ग से कम नहीं है। प्रदेश के 24 जनजातीय बाहुल्य जिलों में आयोजित भगवान बिरसा मुंडा जयंती के जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए गए।

तो यह मध्य प्रदेश जनजातीय गौरव दिवस पर हमेशा भगवान बिरसा मुंडा को याद करता रहेगा। और मुंडा के साथ मोदी भी सभी को और खासतौर पर आदिवासी समुदाय को हमेशा याद आते रहेंगे। मोदी की सोच को समर्पित मंगू भाई पटेल और डॉ. मोहन यादव की आदिवासी समाज के प्रति सोच आदिवासी समाज को समृद्ध करती रहेगी… और आदिवासी समाज राष्ट्र के प्रति समर्पण की बेहतर तस्वीर हमेशा पेश करता रहेगा।

 

 

 

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।