24 साल का शिक्षा भर्ती घोटाला,STF बड़े एक्शन की तैयारी में, रिटायर्ड अफसर, पुराने नेताओं की हो सकती है गिरफ्तारी

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24 साल का शिक्षा भर्ती घोटाला,STF बड़े एक्शन की तैयारी में, रिटायर्ड अफसर, पुराने नेताओं की हो सकती है गिरफ्तारी

भोपाल : मध्य प्रदेश में फर्जी मार्कशीट लगाकर शिक्षकों की भर्ती में सामने आ रहे बड़े घोटाले में रिटायर्ड अफसर और नेताओं पर जल्द ही गिरफ्तारी की तलवार लटकने वाली है। इस घोटाले में इनके भी शामिल होने के शुरूआती संकेत प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को मिल चुके हैं। पुख्ता सबूत जुटते ही एसटीएफ इस मामले में अफसर, नेताओं और दलालों की गिरफ्तारी करेगी।

एसटीएफ की अब तक की जांच में यह सामने आया है कि शिक्षक कर्मी और सहायक शिक्षकों की भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। जांच में सामने आया कि प्रदेश में 1996 से यह रैकेट चला। जिसने वर्ष 1996 से लेकर वर्ष 2020 तक इस तरह की भर्तियां हुई। एसटीएफ के एसपी राजेश सिंह भदौरिया इस पूरी जांच को लीड कर रहे हैं, जबकि नोडल अफसर प्रवीण सिंह बघेल है।

इस मामले में एसटीएफ की जांच में अब तक ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी और इंदौर जिले में घोटाले के सबूत मिले हैं। इसमें 1996 से 2006 तक सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आई हैं। आशंका है कि रैकेट पूरे प्रदेश में सक्रिय रहा। इसलिए अब पूरे प्रदेश की जांच की जा रही है।

एसटीएफ की जांच चार बिंदुओं पर प्रमुखता से चल रही है। जिसमें पहला बिंदु शासकीय शिक्षक की बीएड की फर्जी मार्कशीट किसने तैयार करवाई। एक-एक रोल नंबर पर 3 से 5 तक फर्जी मार्कशीट बनाई गई। वहीं दूसरा बिंदु यह है कि एक ही रोल नंबर पर तीन-तीन लोगों को नौकरी शिक्षाकर्मी भर्ती कमेटी और सहायक शिक्षक भर्ती कमेटी ने कैसे दी। तीसरा बिंदु यह है कि इस पूरे गोरखधंधे में अलग-अलग गैंग शामिल हैं। यह गैंग कहां से संचालित हो रहीं हैं। वहीं चौथा बिंदु है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने दस्तावेजों के सत्यापन पर जो रिपोर्ट थी दी, वह बाद में बदल कैसे गई।

इसमें शिक्षाकर्मी भर्ती कमेटी वर्ष 1996 से 2003 तक सक्रिय रही। इसके बाद सहायक शिक्षक भर्ती कमेटी बन गई। इन दोनों ही कमेटियों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत और जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष शामिल रहे हैं। ऐसे में इन्होंने एक ही रोल नंबर पर तीन-तीन लोगों को नौकरी कैसे दी, इसकी पड़ताल तेजी से चल रही है। ऐसी आशंका है कि इस मामले में जनपद के तत्कालीन सीईओ और तत्कालीन जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बड़ी संख्या में आरोपी बन सकते हैं। इसके बाद इनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी।