EX DGP SS Yadav: IPS यादव की मूल कैडर में वापसी के आदेश, 8 महीने में तीन तबादले

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EX DGP SS Yadav: IPS यादव की मूल कैडर में वापसी के आदेश, 8 महीने में तीन तबादले

नई दिल्ली: चंडीगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) भारतीय पुलिस सेवा में 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी सुरेंद्र सिंह यादव का उतार-चढ़ाव भरा कार्यकाल जारी है। चंडीगढ़ पुलिस में नेतृत्व की भूमिका से हटाए जाने और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के डीआईजी के रूप में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के आदेश दिए जाने के बाद, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अब उन्हें तत्काल प्रभाव से बीएसएफ से उनके मूल कैडर, दिल्ली पुलिस, में समय से पहले वापस भेजने का आदेश दिया है।

 

दिलचस्प बात यह है कि गृह मंत्रालय के आदेश की विषय पंक्ति है, ‘डीआइजी (बीएसएफ) एसएस यादव की समय से पहले उनके मूल कैडर में वापसी।’ गृह मंत्रालय का यह आदेश उनके चंडीगढ़ से बीएसएफ में प्रतिनियुक्ति पर डीआइजी के पद पर स्थानांतरित होने के सात महीने बाद आया है।

 

उनके उतार-चढ़ाव भरे सफ़र की शुरुआत इसी साल 1 अप्रैल को हुई जब केंद्र शासित प्रदेश में डीजीपी के तौर पर लगभग एक साल सेवा देने के बाद उन्हें प्रतिनियुक्ति पर बीएसएफ में स्थानांतरित कर दिया गया। 1 अप्रैल से अब तक उनका तीन बार तबादला हो चुका है। उन्हें रातोंरात चंडीगढ़ से बीएसएफ में स्थानांतरित कर दिया गया और फिर दिल्ली भेज दिया गया। उन्होंने अदालत का रुख़ करके क़ानूनी सुरक्षा की माँग की, और कहा कि गृह मंत्रालय ने उन्हें उनके कनिष्ठ के अधीन बीएसएफ में डीआईजी के पद पर नियुक्त किया है, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी।

यादव के गृह मंत्रालय के खिलाफ अदालत जाने के फैसले ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दीं, क्योंकि उन्हें दिल्ली से राजस्थान ओरिएंटेशन के लिए फिर से स्थानांतरित कर दिया गया और फिर छत्तीसगढ़ में बीएसएफ मुख्यालय में नक्सल विरोधी अभियानों का डीआईजी बनाकर भेज दिया गया। ये तबादले आदेश एक के बाद एक जारी किए गए।

दरअसल, मार्च 2024 में चंडीगढ़ के डीजीपी के रूप में यादव की नियुक्ति उनके विवादास्पद आदेशों के कारण बदनामी का कारण बनी। चंडीगढ़ के डीजीपी रहते हुए उन्होंने लंबे समय से एक ही जगह जमे लगभग 2763 पुलिस जवानों का तबादला कर दिया। इससे पहले इतनी बड़ी संख्या में जवानों का तबादला कभी नहीं हुआ था। इसके बाद उन्होंने थानों में पुलिसकर्मियों सहित जनसभाओं में भी हिस्सा लेना शुरू कर दिया।

वह यहीं नहीं रुके, उन्होंने नशा तस्करी और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में शामिल पुलिसकर्मियों को रिटायर भी करवा दिया। इसके अलावा, थाने लगाने वालों पर भी केस दर्ज करवाए गए।

कहा जाता है कि डीजीपी के रूप में यादव के कार्यकाल ने चंडीगढ़ पुलिस कर्मियों को इतना भयभीत कर दिया था कि उनमें से अधिकांश ने पुलिस विभाग छोड़ने का फैसला कर लिया और सामूहिक रूप से वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया।

इन घटनाक्रमों ने मानो गति पकड़ ली, और 1 अप्रैल की रात को स्थिति बदल गई, जब गृह मंत्रालय ने यादव को चंडीगढ़ से दिल्ली बीएसएफ में डीआईजी के पद पर स्थानांतरित करने के आदेश जारी कर दिए। उन्होंने इसके खिलाफ अदालत का रुख किया और माना जाता है कि वे आज भी इसकी कीमत चुका रहे हैं।