Kissa-A-IAS: IAS Rishav Gupta: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से कलेक्टर तक का प्रेरक सफर 

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Kissa-A-IAS: IAS Rishav Gupta: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से कलेक्टर तक का प्रेरक सफर 

भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने का निर्णय अक्सर उन युवाओं को आकर्षित करता है जो समाज में ठोस परिवर्तन लाने का संकल्प रखते हैं। IAS ऋषव गुप्ता की कहानी इसी संकल्प का प्रेरक उदाहरण है। IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग और कॉर्पोरेट करियर के बाद उन्होंने तकनीकी दुनिया से आगे बढ़कर जनसेवा की राह चुनी। UPSC में ऑल इंडिया रैंक 37 के साथ 2014 बैच में शामिल होने के बाद से उनकी कार्यशैली ने स्मार्ट-सिटी प्रबंधन, शिक्षा सुधार, जल संरक्षण और प्रशासनिक नवाचार को नई दिशा दी है। वर्तमान में वे मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं और आधुनिक व संवेदनशील प्रशासन की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।

Kissa-A-IAS: IAS Rishav Gupta: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से कलेक्टर तक का प्रेरक सफर 

कलेक्टर ऋषव गुप्ता के नेतृत्व में हुए कार्य के कारण 2025 में खंडवा को जल संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 में देश का प्रथम स्थान मिला। यह पुरस्कार “जल संचय–जनभागीदारी” श्रेणी में दिया गया। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हाल ही में आयोजित एक समारोह में यह सम्मान राष्ट्रपति ने कलेक्टर ऋषव गुप्ता को प्रदान किया।

यह उपलब्धि पूरे जिले में जल क्रांति का प्रमाण है, जिसे प्रशासन और जनता ने मिलकर अभियान का रूप दिया।

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*1 लाख 29 हजार से अधिक जल संरचनाएं* 

कलेक्टर के नेतृत्व में खंडवा में 1 लाख 29 हजार से अधिक जल संरचनाएं विकसित और पंजीकृत की गईं। इन प्रयासों को देखते हुए जिले को 2 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई है, जिसका उपयोग अगली चरण की जल योजनाओं में होगा।

खंडवा को राष्ट्रीय जल पुरस्कार में देश का प्रथम स्थान मिलना यह साबित करता है कि वे सिर्फ प्रशासन नहीं चला रहे, बल्कि भविष्य की जल सुरक्षा का स्थायी मॉडल बना रहे हैं।

Kissa-A-IAS: IAS Rishav Gupta: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से कलेक्टर तक का प्रेरक सफर 

 *परिवार और प्रारंभिक शिक्षा* 

ऋषव गुप्ता हरियाणा के चंडीमंदिर क्षेत्र से आते हैं। पिता CPWD में इंजीनियर और माता गृहिणी थीं, जिनसे उन्हें अनुशासन और अध्ययन के संस्कार मिले। स्कूलिंग पंचकुला के सेंट जेवियर्स हाई स्कूल तथा मोतीराम आर्य स्कूल से पूरी हुई। उत्कृष्ट शैक्षणिक क्षमता ने उन्हें IIT दिल्ली तक पहुंचाया, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया।

इंजीनियरिंग के बाद उनका चयन रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में हुआ और उन्होंने सॉफ्टवेयर एनालिस्ट के रूप में काम किया। स्थिर कॉर्पोरेट करियर के बावजूद उनके भीतर समाज के लिए कुछ बड़ा करने की इच्छा जागती रही। तकनीक को जनहित में लागू करने की इसी सोच ने उन्हें सिविल सेवा की ओर प्रेरित किया।

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*UPSC यात्रा और सफलता* 

नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी शुरू की और दूसरे ही प्रयास में 2013 की परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 37 हासिल की। उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता, तकनीकी पृष्ठभूमि और व्यवहारिक समझ ने उन्हें इंटरव्यू और लिखित परीक्षा दोनों में बढ़त दिलाई। वे 2014 बैच के IAS अधिकारी बने और इंजीनियर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए।

*प्रशासनिक सफर की शुरुआत: इंदौर स्मार्ट-सिटी में महत्वपूर्ण भूमिका* 

प्रशिक्षण के बाद उन्हें इंदौर स्मार्ट-सिटी मिशन के CEO की जिम्मेदारी मिली। यह वह दौर था जब इंदौर शहरी प्रबंधन में देश का अग्रणी मॉडल बन रहा था। ऋषभ गुप्ता ने ई–ऑफिस, डिजिटल गवर्नेंस, स्मार्ट ट्रैफिक, नागरिक सेवाओं के सरलीकरण और तकनीकी नवाचारों को तेज गति से आगे बढ़ाया। इंदौर का स्मार्ट-सिटी मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा का केंद्र बना और उन्होंने तकनीक व प्रशासन के बीच सशक्त पुल तैयार किया।

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*देवास कलेक्टर: शिक्षा सुधार और उत्कृष्टता पुरस्कार* 

देवास में कलेक्टर बनने के बाद उन्होंने शिक्षा को प्राथमिकता दी। “मेरा स्कूल–स्मार्ट स्कूल” अभियान ने सरकारी स्कूलों के डिजिटल रूपांतरण को नई दिशा दी। बड़े स्क्रीन टीवी, डिजिटल मॉड्यूल, आधुनिक शिक्षण सामग्री और शिक्षकों का तकनीकी प्रशिक्षण इस अभियान की प्रमुख आधारशिला बने।

इन नवाचारों के लिए उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था और जिलाबदर कार्रवाई में भी उनके कार्यकाल को प्रभावी माना गया।

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*जनता से सीधा संवाद और संवेदनशील प्रशासन* 

ऋषव गुप्ता की प्रशासनिक शैली का प्रमुख आधार है जनता से सीधा जुड़ाव। देवास से लेकर खंडवा तक वे नियमित जनसुनवाई करते हैं और वर्षों पुराने मामलों को शीघ्रता से हल करते हैं।

खंडवा में आधार कार्ड सुधार का चार साल पुराना एक मामला उन्होंने सिर्फ 14 दिनों में निपटाया। छात्र द्वारा मिठाई लाकर धन्यवाद कहने का यह प्रसंग स्थानीय स्तर पर उनकी संवेदनशीलता का उदाहरण बन गया।

*खंडवा कलेक्टर: नीति, तकनीक और जनभागीदारी का मॉडल* 

खंडवा का कलेक्टर बनते ही उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जल प्रबंधन और फील्ड निरीक्षण को प्राथमिकता दी। गौरव दिवस पर 2000 से अधिक बच्चों के बीच बैठकर पेंटिंग बनाने का उनका कदम प्रशासनिक सरलता और मानवीयता का प्रतीक बन गया।

IAS ऋषव गुप्ता की यात्रा आधुनिक भारत के उन अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करती है जो तकनीक को जनहित से जोड़कर वास्तविक परिवर्तन लाते हैं। इंदौर से देवास और अब खंडवा तक उनकी कार्यशैली यह दिखाती है कि संवेदनशीलता, समयबद्धता, तकनीकी समझ और जनभागीदारी मिलकर किसी भी जिले की दिशा बदल सकते हैं।