
Army War College Mhow: “भविष्य के लिए तत्पर: भारतीय सेना की क्षमता को कल के युद्ध के लिए सुदृढ़ बनाने” थीम पर 27वाँ सिद्धांत एवं रणनीति संगोष्ठी 24 एवं 25 नवम्बर को
Mhow: आर्मी वॉर कॉलेज महू में 24 एवं 25 नवम्बर 2025 को 27वीं सिद्धांत एवं रणनीति संगोष्ठी (DSS) का आयोजन किया जाएगा। यह प्रमुख संगोष्ठी वरिष्ठ सैन्य कमांडरों, सामरिक विचारकों, अकादमिक एवं उद्योग जगत के विषय विशेषज्ञों, तकनीकी विशेषज्ञों तथा दिग्गज अधिकारियों को एक मंच पर लाने का उद्देश्य रखती है, ताकि तेजी से बदलते सुरक्षा परिवेश में भारतीय सेना के दीर्घकालीन रूपांतरण के लिए उपयोगी और व्यावहारिक विचारों का आदान–प्रदान हो सके। भारतीय सेना की प्रमुख सिद्धांतगत गतिविधियों में से एक होने के नाते, सिद्धांत एवं रणनीति संगोष्ठी (DSS) एक ऐसा मंच है जो अभूतपूर्व तकनीकी और भू-राजनीतिक परिवर्तनों के इस दौर में परिचालनिक चिंतन, क्षमता विकास और रणनीतिक दूरदृष्टि को एक दिशा प्रदान करता है।
समकालीन संघर्ष जहाँ हाइब्रिड, मल्टी-डोमेन, उच्च तीव्रता वाले अभियानों और भारत की सीमाओं पर जटिल संयुक्त चुनौतियों के माध्यम से युद्ध के स्वरूप को बदल रहे हैं, वहीं यह संगोष्ठी विघटनकारी तकनीकों, बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों और जटिल खतरे के परिदृश्यों से उत्पन्न चुनौतियों एवं अवसरों पर केंद्रित होगी। भविष्य के लिए संरचित दिशा प्रदान करने हेतु तीन प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी। जिसमें “भविष्य का युद्धक्षेत्र परिवेश 2035 – भारतीय संदर्भ”, “संचालन के प्रभावी निष्पादन के लिए तकनीकी तैयारी” और “भविष्य की दिशा का पूर्वानुमान” शामिल है।
इन विषयों के माध्यम से वर्ष 2035 तक भारत के सामने आने वाले संभावित सुरक्षा वातावरण का विश्लेषण किया जाएगा, जिसमें सैन्य आधुनिकीकरण, बुद्धिमत्तायुक्त युद्ध, विषम रणनीतियाँ, ग्रे ज़ोन ऑपरेशंस और विरोधियों द्वारा प्रस्तुत बहु-क्षेत्रीय संयुक्त चुनौतियों की संभावनाएँ शामिल होंगी। विशेषज्ञ अंतरिक्ष, साइबर, सूचना और संज्ञानात्मक युद्ध के आयामों तथा निवारण एवं वृद्धि-नियंत्रण पर इनके प्रभावों का अध्ययन करेंगे।
भारत की तकनीकी तत्परता, मानवरहित प्रणालियों, ड्रोन-रोधी क्षमताओं, एआई-आधारित निर्णय सहायता, रोबोटिक्स, क्वांटम तकनीक, विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम संचालन और निकट-अंतरिक्ष प्लेटफॉर्म का आकलन करने पर केंद्रित होंगी। विचार-विमर्श भारत के रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र जैसे DRDO, DPSU, निजी उद्योग, स्टार्ट-अप्स और शैक्षणिक संस्थानों की क्षमता को भी परखा जाएगा, जो आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक क्षमता-विकास को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
संगोष्ठी का प्रमुख उद्देश्य भविष्य के युद्ध के लिए आवश्यक सिद्धांतगत, संरचनात्मक एवं नेतृत्व-संबंधी सुधारों का निर्धारण करना भी होगा, विशेषकर मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस, नॉन-कॉन्टैक्ट प्रिसिजन स्ट्राइक्स तथा हाइपरसोनिक, निर्देशित ऊर्जा हथियारों और स्वायत्त स्वार्म जैसी विघटनकारी तकनीकों के संदर्भ में है।
सिद्धांत एवं रणनीति संगोष्ठी (DSS) से ऐसे उपयोगी और ठोस सुझाव सामने आने की अपेक्षा है जो भारतीय सेना की 2035 और उसके बाद की क्षमता-विकास रूपरेखा में सीधे योगदान देंगे। आर्मी वॉर कॉलेज महू द्वारा बताया गया कि यह संगोष्ठी भविष्य के जटिल युद्धक्षेत्र की चुनौतियों के लिए भारत को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाएगी।





