
BJP में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की हलचल तेज: नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया अंतिम चरण में
– राजेश जयंत
New Delhi: भारतीय जनता पार्टी में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर हलचल तेज हो गई है। तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बी एल संतोष के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसके बाद राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी के लक्षमण ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। लगातार हो रही इन बैठकों ने संकेत दे दिए हैं कि पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।

▪️शिवराज सिंह चौहान की दावेदारी सबसे मजबूत
▫️केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम इस समय सबसे प्रमुख दावेदार के रूप में उभरकर सामने आया है। चौहान का तीन दशक से अधिक का राजनीतिक अनुभव, चार बार मुख्यमंत्री के रूप में नेतृत्व, ओबीसी समुदाय में मजबूत पकड़, कल्याणकारी योजनाओं से बनी छवि और व्यापक जनाधार उन्हें अन्य दावेदारों से आगे रखता है। आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ उनकी हालिया बैठकें भी उनके पक्ष में जाती बताई जा रही हैं। विदिशा लोकसभा सीट से 2024 में भारी अंतर से मिली जीत ने भी उनकी संगठनात्मक क्षमता को और मजबूत किया है।
▪️ RSS की सहमति और जातीय संतुलन का गणित
▫️राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस बार अध्यक्ष चयन में पहले से अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहा है। संघ चाहता है कि नया अध्यक्ष ऐसा चेहरा हो जो सरकार और संगठन के बीच तालमेल बनाए रख सके और आने वाले राजनीतिक युग के अनुसार पार्टी को संतुलन में रखे। जातीय समीकरण भी महत्वपूर्ण बन चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी समुदाय से और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आदिवासी वर्ग से आते हैं। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान का ओबीसी वर्ग से होना भाजपा के व्यापक सामाजिक आधार को मजबूत कर सकता है।
▪️अन्य दावेदारों पर निगाह
▫️धर्मेंद्र प्रधान, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव और सुनील बंसल के नाम भी चर्चा में हैं। हालांकि पार्टी के भीतर माना जा रहा है कि अनुभव, जनाधार और संघ की सहमति के मामले में ये नाम अभी शिवराज के बराबर नहीं हैं। कुछ हलकों में यह भी संभावना जताई जा रही है कि अंतिम क्षण में कोई नया और चौंकाने वाला नाम भी सामने आ सकता है, क्योंकि भाजपा नेतृत्व कई बार रणनीतिक तरीके से अप्रत्याशित विकल्प चुनता रहा है।
▪️BJP और RSS रिश्तों की नई दिशा
▫️नए अध्यक्ष का चयन केवल संगठनात्मक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भाजपा और संघ के रिश्तों की नई दिशा तय करने का क्षण है। संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों में संगठनात्मक अनुशासन, नेतृत्व के अहंकार और राजनीतिक संतुलन की जरूरत पर जोर देखा गया है। इन संकेतों ने स्पष्ट किया है कि संघ आने वाले वर्षों में पार्टी के भीतर एक अधिक निर्णायक वैचारिक भूमिका निभाना चाहता है। यही कारण है कि भाजपा में ऐसे नेतृत्व की तलाश हो रही है जो मोदी के बाद के दौर में संगठन को एक नई वैचारिक स्थिरता दे सके।

▪️मोदी युग के बाद नेतृत्व की रेखा
▫️प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा को राष्ट्रीय राजनीति की ऊंचाई पर पहुंचाया है, लेकिन 75 वर्ष की उम्र सीमा पार कर चुके नेताओं को लेकर पार्टी और संघ के भीतर नए नेतृत्व की आवश्यकता पर मंथन बढ़ गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में मोदी मार्गदर्शक मंडल की भूमिका में अधिक सक्रिय दिख सकते हैं। ऐसे में नया अध्यक्ष वह चेहरा होगा जो पार्टी के भविष्य की दिशा तय करेगा और नई पीढ़ी के नेतृत्व को आगे बढ़ाएगा।
▪️निर्णय की समय सीमा
▫️प्रदेश इकाइयों के संगठनात्मक चुनाव लगभग पूर्ण होने वाले हैं। संकेत मिल रहे हैं कि औपचारिकताएं पूरी होते ही पार्टी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा करेगी। अंदरखाने इसे जल्द से जल्द संपन्न करने की इच्छा है ताकि बिहार चुनाव और आगामी लोकसभा रणनीति के लिए संगठन को नए नेतृत्व के साथ सक्रिय किया जा सके। सूत्रों का आकलन है कि घोषणा इसी सप्ताह या अगले कुछ दिनों में कभी भी हो सकती है।




