
बुनियादी आवश्यकताओं के अनुरूप मास्टर प्लान 2041 पर पुनर्विचार करें – तकनीकी त्रुटियों को दूर करना आवश्यक
मास्टर प्लान अंतर्गत गठित समिति की प्रथम सम्मिलन बैठक संपन्न
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर। मंदसौर नगर का बहुप्रतीक्षित मास्टर प्लान 2041आज फिर जरूरी सुधार और सुझाव के साथ वापस हो गया। मात्र चंद मिनटों में जनप्रतिनिधि के तार्किक विश्लेषण और तथ्यों से कलेक्टर ने आवश्यक सुधार कर अगली बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
ग़ौरतलब है कि जहां प्रदेश भर के अन्य शहरों में आनेवाले 2047 के मास्टर प्लान संबंध में तैयारी जारी हैं वहीं मंदसौर में 2011 से बाद अबतक मास्टर प्लान लागू नहीं हो पाया है तकनीकी कारणों से पूर्व में भी मास्टर प्लान निरस्त हुआ है।
शुक्रवार की विशेष बैठक में टीएंडसीपी उप संचालक सुश्री विनीता दर्शयामकर ने जानकारी दी कि मंदसौर विकास योजना 2041 के अंतर्गत गठित समिति की प्रथम सम्मिलन बैठक सुशासन भवन स्थित सभागृह में सम्पन्न हुई। बैठक में टीएंडसीपी (नगर एवं ग्राम निवेश) के सिद्धांतों, उसकी कार्ययोजना तथा आगामी वर्षों में शहर के समग्र विकास के लिए आवश्यक प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके साथ ही टीएसपी द्वारा मंदसौर विकास योजना 2041 के संबंध में क्या मत है इसको लेकर बैठक आयोजित की गई।

बैठक में सांसद श्री सुधीर गुप्ता, कलेक्टर श्रीमती अदिती गर्ग, मंदसौर विधायक श्री विपिन जैन, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा डॉ विजय पाटीदार, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रमादेवी बंशीलाल गुर्जर, टी एंड सीपी से उप संचालक सुश्री विनीता दर्शयामकर सहित अन्य समिति सदस्य उपस्थित रहे।
बैठक में शहर के समग्र नियोजन और मास्टर प्लान के मूल सिद्धांतों पर पुनर्विचार करेंगे। सांसद श्री सुधीर गुप्ता ने कहा कि मास्टर प्लान में सबसे पहले बेसिक आवश्यकताओं को स्पष्ट कर व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ें। उन्होंने निर्देश दिए कि ड्राफ्ट प्लान को पुनः देखा जाए, एक-एक बिंदु का अध्ययन कर समस्याओं का समाधान किया जाए तथा प्राप्त आपत्तियों का पूर्ण और पारदर्शी निराकरण सुनिश्चित किया जाए।
कलेक्टर श्रीमती अदिति गर्ग ने बताया कि बैठक का उद्देश्य मास्टर प्लान पर विस्तृत चर्चा कर सभी बुनियादी तत्वों का सूक्ष्म विश्लेषण करना है। उन्होंने कहा कि ओरिजिनल प्लान में दर्ज सभी दावे-आपत्तियों को विभाग द्वारा गंभीरता से देखा जाए और उनका उचित निराकरण किया जाए।

विधायक श्री विपिन जैन ने कहा कि आमजन, जनप्रतिनिधि तथा नगर पालिका द्वारा दिए गए सभी सुझावों को महत्व दिया जाए। उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान शहर के हित में बने, शासकीय भूमि को ग्रीन बेल्ट में रखा जाए तथा बैठकें समय-समय पर आयोजित कर सुझावों पर कार्यवाही की जाए।
बैठक में समिति के समक्ष आगामी कार्य योजना, ग्रीन एरिया एवं ओपन एरिया के मानकों को देखना तथा निवेश क्षेत्र के प्रत्येक गांव का प्लान तैयार करने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई।
तकनीकी त्रुटियों को दूर कर शहर के हित में मास्टर प्लान बनाया जाए – सांसद सुधीर गुप्ता
मंदसौर मास्टर प्लान 2041 को लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय के सभागृह में नगर एवं ग्राम समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मंदसौर-नीमच सांसद माननीय श्री सुधीर गुप्ता ने मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में मौजूद गंभीर तकनीकी एवं प्रायोगिक त्रुटियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसे पुनः संशोधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सांसद गुप्ता ने बताया कि पिछली बैठक में जिन मूलभूत बिंदुओं पर उन्होंने आपत्ति दर्ज की थी, उन पर अभी तक संबंधित विभागों द्वारा समुचित कार्य नहीं किया गया। उन्होंने कहा—“मास्टर प्लान तभी स्वीकार्य होगा जब इसे शहर के हित में, पूर्ण तकनीकी अध्ययन के साथ और जनहित की प्राथमिकता पर तैयार किया जाए। जब तक इस प्लान का बेसिक ढांचा मजबूत नहीं होता, तब तक आगे की कोई प्रगति संभव नहीं है।”
अधिकारियों की गंभीर चूकें उजागर
सांसद गुप्ता ने कहा कि टीएनसीपी के अधिकारियों तथा नगर पालिका प्रशासन द्वारा तैयार किए गए फंडामेंटल डिज़ाइन में ही व्यापक त्रुटियाँ हैं। इस प्रारूप पर लगभग 1000 से अधिक आपत्तियाँ प्राप्त होना इस बात का प्रमाण है कि ड्राफ्ट बिना पर्याप्त परामर्श और बिना समिति के विश्वास में लिए तैयार किया गया।
अधिकारियों ने मास्टर प्लान बनाते समय न तो समिति से चर्चा की, न ही जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया और न ही जनसंख्या विश्लेषण, भूमि उपयोग या विभागीय मानकों का सही अध्ययन किया।
सांसद गुप्ता ने स्पष्ट कहा कि “इतना बड़ा और दीर्घकालिक प्लान बिना जनप्रतिनिधियों को शामिल किए बनाना शहर की जनता के साथ अन्याय के समान है। इसलिए यह प्लान बहुमत से अस्वीकार किया जाता है।”
तकनीकी त्रुटियों और विभागीय अनुपालन पर प्रमुख प्रश्न
सांसद श्री गुप्ता ने महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गंभीर आपत्ति दर्ज की—
जनसंख्या एनालिसिस त्रुटिपूर्ण और वास्तविकता से दूर है।
इलेक्ट्रिक स्टेशन, ट्रॉमा सेंटर, सड़क चौड़ीकरण, एयरपोर्ट अथॉरिटी, स्पोर्ट्स, रोड सेफ्टी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विभागों के सुझाव नहीं लिए गए।
ग्राम पंचायतों को शामिल करने से पूर्व उनके विकास मॉडल पर कोई नीति प्रस्तुत नहीं की गई।
अर्बन एरिया का प्रतिशत निर्धारित करते समय ग्राम पंचायतों से कोई विमर्श नहीं किया गया।
ट्रॉमा सेंटर के लिए भारत सरकार के स्पष्ट दिशा-निर्देशों का अध्ययन नहीं किया गया।
3457 हेक्टेयर नगरीय क्षेत्र की डिजाइन व परिभाषा, उनके उपयोग,उपभोग के पहले नई भूमि जोड़ने की प्रक्रिया ठीक नहीं है।
जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा डॉ विजय पाटीदार ने बताया कि ग्राम पंचायत सरपंच सचिव पंच आदि को भी मास्टर प्लान संबंध अधिक जानकारी नहीं है जबकि समीप की पंचायतों को मास्टर प्लान 2041 में समाविष्ट किया गया है। यह उचित नहीं है।
सांसद गुप्ता ने बैठक में कहा कि “शहर द्वारा प्रस्तुत आपत्तियों और दावों का त्वरित निराकरण कर नया ड्राफ्ट समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। बिना त्रुटियों को सुधारे आगे किसी भी स्तर पर प्लान को लागू न किया जाए।”
बैठक में जिला कलेक्टर श्रीमती अदिति गर्ग ने भी अधिकारियों को निर्देशित किया कि—
सभी प्राप्त दावे एवं आपत्तियों का विधिवत निराकरण किया जाए, समिति के सुझावों को शामिल किया जाए और संशोधित ड्राफ्ट को अगली बैठक में समिति के समक्ष अनिवार्य रूप से प्रस्तुत किया जाए।
सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि मास्टर प्लान में “बुनियादी स्तर पर तालमेल का अभाव है”, और इसे काउंसिल के पटल पर रखे बिना आगे बढ़ाना प्रशासनिक त्रुटि है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की सहमति, विभागीय अध्ययन और जनता के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ ही मास्टर प्लान को अंतिम रूप दिया जाए।
“मंदसौर शहर के विकास का मार्ग ऐसा हो जो आने वाली पीढ़ियों का आधार बने, न कि त्रुटियों वाला और विवादित प्लान। इसलिए मास्टर प्लान का पुनः परीक्षण और सुधार अनिवार्य है।”





