Internal Committee: 10 से अधिक महिला कर्मचारियों वाले हर संस्थान में होगा गठन

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Internal Committee: 10 से अधिक महिला कर्मचारियों वाले हर संस्थान में होगा गठन

राष्ट्रीय महिला आयोग की बैठक में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों पर जोर

INDORE: महिलाओं की सुरक्षा, कार्यस्थल पर सम्मान और जेंडर गैप को कम करने के लिए इंदौर संभाग में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने शुक्रवार को रेसीडेंसी कोठी में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि जिन भी विभागों, कार्यालयों, संस्थानों या संगठनों में 10 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, वहां इंटरनल कमेटी (IC) का गठन अनिवार्य रूप से किया जाए।

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आयोग ने इसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप “महिला सुरक्षा की प्राथमिक आवश्यकता” बताते हुए अगले दो महीनों में सभी जिलों में यह व्यवस्था पूरी करने का निर्देश दिया है।

▪️Internal Committee क्या है और क्यों जरूरी है?

▫️कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न को रोकने और शिकायतों की सुनवाई के लिए कानून (POSH Act, 2013) के तहत इंटरनल कमेटी बनाना हर संस्थान की जिम्मेदारी है। यह समिति अदालत की तरह कार्यस्थल पर महिला कर्मचारी के साथ किसी भी प्रकार के शोषण, उत्पीड़न, भेदभाव या अनुचित व्यवहार की शिकायत सुनना, जांच करना और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित करने का काम करती है ।

▪️कई जिलों में व्यवस्था नदारत

▫️कई जिलों में यह व्यवस्था नाम मात्र की या बिल्कुल अनुपस्थित पाई गई। इसी समस्या पर फोकस करते हुए आयोग ने निर्देश दिया है कि:

10 से अधिक महिला कर्मचारियों वाले सभी विभागों, निजी संस्थानों, फैक्ट्रियों, शिक्षण संस्थाओं और असंगठित क्षेत्र की इकाइयों में इंटरनल कमेटी अनिवार्य रूप से बनाई जाए।

इस नियम का उल्लंघन कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा।

▪️कलेक्टर्स को मिली बड़ी जिम्मेदारी, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर अभियान

▫️विजया रहाटकर ने स्पष्ट कहा कि कलेक्टर और कमिश्नर स्वयं इंटरनल कमेटियों की नियमित मॉनिटरिंग करेंगे। ब्लॉक स्तर से जिला स्तर तक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाली बड़ी संख्या में महिलाएं भी अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सकें।

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▫️उन्होंने यह भी कहा कि बालक–बालिका लिंगानुपात सुधारने, बालिकाओं के विद्यालयों में प्रवेश को बढ़ाने और महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूती देने के लिए ठोस योजनाएं जिलों में तेज की जाएं।

▪️तलाक मामलों में बढ़ोतरी पर चिंता, प्री-मेडिकल कम्युनिकेशन सेंटर शुरू करने पर जोर

▫️रहाटकर ने कहा कि समाज में आपसी संवाद की कमी के कारण विवाह टूटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसे रोकने के लिए तहसील स्तर पर प्री-मेडिकल कम्युनिकेशन सेंटर शुरू किए जाएं, जहां मनोवैज्ञानिक और MSW विशेषज्ञ दंपतियों की काउंसलिंग करेंगे। नागपुर के शंभाजी नगर में चल रहे ऐसे सेंटरों के अच्छे परिणाम सामने आए हैं, और लक्ष्य देशभर में 100 सेंटर स्थापित करने का है।

▪️कलेक्टर्स ने रखे जिले के नवाचार

📍इंदौर: भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान से महिलाओं को आजीविका

▫️इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने बताया कि भिक्षावृत्ति मुक्त इंदौर अभियान के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा गया। इससे न सिर्फ सड़कें भिक्षावृत्ति से मुक्त हुईं बल्कि महिलाओं को सम्मानजनक आय के अवसर भी मिले।

📍झाबुआ: ‘मोटी आई’ अभियान से कुपोषण में सुधार

▫️झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना ने बताया कि ‘मोटी आई’ अभियान ने ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ा बदलाव किया है। स्वस्थ बच्चों की माताओं को आंगनवाड़ी में जिम्मेदारी देकर कुपोषित बच्चों के परिवारों को मार्गदर्शन देने का मॉडल बेहद प्रभावी साबित हुआ।

📍बड़वानी: ग्रीन कमांडो पोषण क्लीनिक और सिकल सेल उन्मूलन

▫️बड़वानी कलेक्टर जयती सिंह ने ग्रीन कमांडो पोषण क्लीनिक और सिकल सेल उन्मूलन अभियान की सफल पहल पर विस्तृत जानकारी दी। स्थानीय युवाओं को “ग्रीन कमांडो” बनाकर सामुदायिक स्वास्थ्य सुधार में लगाया गया है।

▪️बैठक में व्यापक सहमति, सभी विभागों में तेज होगी कार्रवाई

▫️बैठक में संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े सहित जिला पंचायत सीईओ, विभागीय अधिकारी और बड़ी संख्या में प्रशासनिक प्रतिनिधि मौजूद रहे। सभी कलेक्टर्स ने इंटरनल कमेटियों को मजबूत बनाने, महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देने तथा लिंगानुपात सुधारने पर सहमति जताई।

📍इंदौर संभाग में यह पहल न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करेगी बल्कि कार्यस्थल पर सुरक्षित, सम्मानजनक और समान वातावरण बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी।