
Turmeric: Turmeric: पीले हाथ ,कहीं स्वाद , तो कहीं सेहत की गारंटी-हर जगह कारगर है हल्दी
डॉ विकास शर्मा
Turmeric :हाथ पीला करने से लेकर रोगों को ढीला करने तक, हर जगह कारगर है हल्दी। कहीं यह सुंदरता का पिटारा है, तो कहीं स्वाद की पुड़िया, तो कही सेहत की गारंटी…
हल्दी के गुण इतने खास हैं कि इसकी जैविक चोरी भी हो चुकी है। हल्दी इतनी खास है कि इसके बिना न तो पूजा पाठ संपन्न होगा, न ही मांगलिक कार्यक्रम और न ही कोई साग – सब्जी का निर्माण संभव है। इसके नाम से हल्दी- कुमकुम और हल्दी की रस्में भी बनाई गई है।

पूजन कार्यों में सुपारी, पान, चावल और नारियल के साथ हल्दी की गांठ भी प्रमुख स्थान रखती है। मांगलिक या शुभ कार्यों का बुलौआ हो आमंत्रण हो या निमंत्रण, पीले चावल की बात ही निराली है। हल्दी कुमकुम से भीगे चावल के तिलक का पवित्रता और आध्यात्मिकता से गहरा जुड़ाव है।
हल्दी के विषय मे कौन नही जानता? किसी भी इंसान से इसके गुणों की चर्चा करें तो एकाध घंटे तक तो ज्ञान पिला ही देगा। फिर जानकारों के क्या कहने…? यूँ तो हल्दी भारत की प्राचीनतम औषधियों में से एक है, जिस पर प्रत्येक भारतीय आँख मूंद कर भरोसा करता है, किंतु लगता है कि आधुनिक विज्ञान को इस पर भरोसा नहीं था इसीलिए तो 4000 से भी अधिक क्लिनिकल स्टडी हल्दी के गुणों पर दे मारी और हर बार मुंह की खाई। हर बार हल्दी पहले से ज्यादा खास और विश्वसनीय होती चली गई।
जी हाँ यहाँ बात हो रही है हल्दी की ! जिसके बिना कोई भी भारतीय सब्जी या व्यंजन अधूरा है। बचपन में छोटी मोटी चोट लग जाने पर माँ अक्सर हल्दी और तेल मिलकर लगा दिया करती थी, और दर्द में झट आराम मिलने के साथ साथ घाव भी जल्दी भर जाता था, क्योंकि इसमें #एंटीसेप्टिक गुण भी पाए जाते है, जिन्हें अब वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा भी परखा जा चुका है।

सर्दी जुखाम, हड्डियों की बुखार, दाद- खाज- खुजली के उपचार में, हड्डियों के टूट जाने पर, दर्द निवारक के रूप में दूध के साथ और न जाने कितनी ही औषधियों के रूप में हल्दी को आजमाया जाता है। लेकिन इन सब पर भारी पड़ता है, इसका कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की तरह वाला उपयोग। भारतीय युवतियों की ख़ूबसूरती पर चार चांद लगाने के लिये यह मुख्य रूप से विख्यात है। हिन्दुओ के शादी संस्कार में दूल्हे और दुल्हन को इसी हल्दी की उबटन लगाकर निखारा जाता है। कहा जाता है कि हल्दी में उत्तेजक और मादक कर देने वाले गुण भी होते हैं।
ताजी हल्दी की गांठो (राइजोम) की सब्जी एक बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे मुख्यतः राजस्थान में बहुत पसंद किया जाता है। किंतु यह उन सभी स्थानों पर भी बनाई और पसंद की जाती है, जहाँ हल्दी की खेती की जाती है। यह सब्जी अपने आप में औषधीय व्यंजन है, जिसे वर्ष में एक या दो बार ग्रहण करना लाभदायक होता है।
आयुर्वेद में हल्दी को महत्वपूर्ण औषधी की तरह प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसके साथ साथ कई प्रमुख दवाओं की क्षमता बढ़ाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। इन्ही सभी गुणों से आकर्षित होकर अमेरिकी कंपनी ने इसे चुराकर अपने नाम से पेटेंट करवाने की गलती की थी। इसमें एन्टी कैंसर (कैंसर प्रतिरोधक) गुण भी पाये जाते है। घरो में अक्सर सौफ या अजवाईन को हल्दी के साथ भूनकर रखा जाता है क्योंकि इसमें सूक्ष्ममजीवो और कीटो का आक्रमण भी नहीं होता है।
गुरुदेव डॉ. Deepak Acharya जी कहते थे, कि हल्दी के बारे मे 2 मुख्य बातें ध्यान देने लायक हैं –
1. हल्दी पानी में पूरी तरह से घुलनशील नहीं है
2. हमारा शरीर भीतर से हल्दी को आसानी से पकड़ नहीं पाता है, विज्ञान की भाषा में कहें तो हल्दी की Bioavailability बहुत कम है
वे अक्सर कहते थे कि ज्यादातर भारतीय घरों में हल्दी का प्रयोग सब्जियों, दालों व अन्य व्यजंनों की रंगत बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन हल्दी का इस्तेमाल करते समय बहुत कम लोग इस बात को सोचते होंगे कि इस हल्दी की वजह से सबकी सेहत चुस्त- दुरुस्त होने वाली है। हल्दी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, एंटी -इनफ्लेमेट्री भी है और सैकड़ों समस्याओं में इसे बतौर औषधि उपयोग में लाया जाता है।
हमारे घरेलू याने देशी डॉक्टर्स (दादी और नानी) के हवाले से बात करूं तो एक जबरदस्त नुस्खा ध्यान में आता है…। एक गिलास पानी या दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर डालिये, 2 चुटकी काली मिर्च का पाउडर और एक चम्मच शहद डालकर पी लीजिये।
सर्दी जुखाम, गले में खराश, भारीपन जैसे छोटे मोटे रोगों का तो पता भी नहीं चलेगा कि कहां छू मंतर हो गए। यह एक बेहतरीन टॉनिक है। काली मिर्च और हल्दी का गजब का कॉम्बिनेशन है, काली मिर्च हल्दी को साथ लेकर हमारे शरीर के उन सभी हिस्सों तक पहुंच जाती है, जहाँ हल्दी की जरूरत है। दरअसल काली मिर्च हल्दी की bioavailability को बढ़ा देती है।
जरा सोचिए कि हमारी दादी या नानी को हल्दी के इस बहुमूल्य विज्ञान के विषय में किसने बताया होगा?
आपके पास भी हल्दी से जुडी हुयी कोई जानकारी हो तो साझा करें।
डॉ विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिंदवाड़ा (म.प्र.





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